दार्जिलिंग की ख़ास बात
इस जगह की संस्कृति और प्रकृतिक ख़ूबसूरत हर किसी को अपनी तरफ खिंचती है। जिसकी वजह से हर वह इंसान जो घूमने फिरने का शौक़ रखता है इस जगह पर आने कि इच्छ रखता है।
3 Days Darjeeling Trip: हर एक हिल स्टेशन का अपना एक चरम होता है। फिर चाहे वहाँ का मौसम हो या फिर पर्यटन स्थल सबकुछ अलहदा जान पड़ता है। हमारे देश के पूर्वोत्तर राज्य में स्थित ऐसा ही एक हिल स्टेशन है दार्जिलिंग जोकि पूरी दुनिया में अपने चाय के बाग़ानों और मौसम के लिए जाना जाता है। इस जगह की संस्कृति और प्रकृतिक ख़ूबसूरत हर किसी को अपनी तरफ खिंचती है। जिसकी वजह से हर वह इंसान जो घूमने फिरने का शौक़ रखता है इस जगह पर आने कि इच्छ रखता है। इस लेख के माध्यम से हम आपको इस बात की पूरी जानकारी देने वाले हैं कि दार्जिलिंग को तीन दिन में कैसे एक्सप्लोर करें।
इस जगह पर जाने पर आपको दार्जिलिंग का शाब्दिक अर्थ पता चलता है कि दोर्जे का अर्थ थंडर और लिंग का शांति की धरती होता है। इसीलिए दार्जिंलिंग को लैंड ऑफ थंडर बोल्ट कहा जाता है। एक समय था जब दार्जिलिंग सिक्किम का एक हिस्सा हुआ करता था। जिस पर बाद में नेपाल ने कब्जा कर लिया था। ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजों ने युद्ध में इसे वापस लेकर सिक्किम के राजा से संधि की और वापस लौटा दिया। तमाम हिल स्टेशन की ही तरह इस जगह को भी अंग्रेजों ने विकसित किया और कुछ सालों के बाद दार्जिलिंग को सिक्किम से अलग करके इसका अलग अश्तित्व क़ायम किया।
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दिन 1
दार्जिलिंग मॉल
दार्जिलिंग समुद्र तल से तक़रीबन दो हज़ार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जिसकी वजह से इस जगह का मौसम काफ़ी ठंडा और सुहाना होता है। साथ ही साथ यह पर्यटन स्थलों के मामले में भी काफ़ी समृद्ध है। इस जगह के के बीचों बीच दार्जिलिंग मॉल इलाका है। जिसमें कई सारी और कई तरह की दुकान आदि स्थित हैं। इस जगह पर ज़्यादा चहल पहल नहीं होती और आपको घूमना अच्छा लगेगा।
टाइगर हिल

टाइगर हिल दार्जिलिंग की सबसे ख़ास और लोकप्रिय जगहों में शुमार की जाती है। कुछ लोगों का तो यह तक मानना होता है कि बिना टाइगर हिल देखे दार्जिलिंग की यात्रा पूरी नहीं हो सकती है। टाइगर हिल शहर से महज़ कुछ ही किमी. की दूरी पर स्थित एक बहुत ही लाजवाब जगह है। यह समुद्र तल थोड़ी ज़्यादा ऊँचाई पर होने के नाते लोगों को अपनी तरफ़ आकर्षित करती है। इस जगह से कंचनजुंगा समेत कई हिमालयन रेंज की चोटियों को आसानी से देखा जा सकता है। समुद्र तल से 2,950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल को दार्जिलिंग की सबसे ऊंची जगह के तौर पर जाना जाता है।
महाकाल मंदिर

दार्जिलिंग में कई तीर्थस्थल भी हैं। यदि आप धार्मिक जगहों के प्रति दिलचस्पी रखते हैं तो महाकाल मंदिर की सैर कर सकते हैं। महाकाल मंदिर एक ऐसा मंदिर है जिसमें आपको बुद्धिज्म और हिंदुज्म की झलक एक साथ देखने मिलेगी। इस जगह पर ही भोटिया बुस्टी मोनेस्ट्री भी स्थित है जो दार्जिलिंग आने वाले सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहता है। यह मंदिर थोड़ी ऊँचाई पर स्थित है जहां पहुंचने के लिए 100 से भी कहीं अधिक सीढ़ियों को चढ़ना होता है। इस जगह का प्राकृतिक वातावरण बहुत ही ख़ूबसूरत और शांत है।
दिन 2
दार्जिलिंग जू

दार्जिलिंग यात्रा के दौरान चिड़ियाघर ज़रूर देखना चाहिए। दार्जिलिंग जू को पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क के नाम से प्रसिद्ध यह जगह लगभग 27 हेक्टेयर में फैली हुई है। इस जगह पर पर्यटकों की आवाजाही बहुत ज़्यादा रहती है। आपको यहाँ कई तरह के जानवर देखने को मिल सकते हैं। जिसमें रेड पांडा और तिब्बती वोल्फ की सम्भावना ज़्यादा है। इस चिड़िया घर में हिमालयन भालू भी पपाया जाता है।
घूम मोनेस्ट्री

दार्जिलिंग के पास में ही एक बहुत ही खूबसूरत मोनेस्ट्री स्थित है। जिसे घूम मोनेस्ट्री अथवा यिगा चोएलिंग मोनेस्ट्री के नाम से जाना जाता है। इस जगह पर जाने के लिए आपको दार्जिलिंग शहर से 8 किमी. की दूरी तय करनी होती है। जिसके बाद आप इस बेहद शांत और सुखद जगह पर पहुंचते हैं। यह दार्जिलिंग की सबसे पुरानी मोनेस्ट्री के तौर पर जानी जाने वाली जगह है। इस जगह पर बुद्ध का 15 फीट ऊंचा प्रतिमा भी है।
जापानीज मंदिर

जापानीज मंदिर दार्जिलिंग की जलपहाड़ पहाड़ी पर स्थित है। इस जापानीज मंदिर को स्थानीय तौर पर निप्पोनजन मयोहोजी बुद्ध मंदिर के नाम से भी लोग जानते हैं। इस मंदिर को एक जापानी बौद्ध भिक्षु ने बनवाया था जिसकी वजह से इसका नाम जापानीज मंदिर पड़ा। जापनीज शैली में बने इस मंदिर से जापानी वास्तुकला की झलक मिलती है। यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत है। इस जगह से कंचनजुंगा की चोटियाँ दिखाई देती हैं।
दिन 3
रिवर राफ्टिंग
दार्जिलिंग में घूमने के साथ-साथ आप बहुत सारी ऐक्टिविटीज़ भी कर सकते हैं। जिसमें से रिवर राफ्टिंग भी एक है जोकि बहुत ही रोमांचक होती है। दार्जिलिंग के तीस्ता नदी में रिवर राफ्टिंग का जो रोमांच है वह आप कभी नहीं भूल पाएँगे। यह आपको एक अलग और अलहदा रोमांच का अहसास कराने वाला साबित होगा। इसके अलावा आप इस जगह पर आकर रोपवे आदि का भी अनुभव ले सकते हैं।
टॉय ट्रेन

दार्जिलिंग आए और टॉय ट्रेन की यात्रा नहीं की तो भला आपकी यात्रा कैसे पूरी होगी। यह यात्रा आपको एक बहुत ही रोमांचक और ख़ूबसूरत सफ़र पर लेकर जाती है। इसलिए दार्जिलिंग आने वाले सैलानियों की प्राथमिकता में रहती है। इस सफ़र में आपको कई तरह के प्राकृतिक नज़ारे देखने को मिलेंगे। आप हिमालय की ख़ूबसूरती को बेहद ही नज़दीक से देख पायेंगे। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल टॉय ट्रेन की शुरूआत 1800 ईस्वी में हुई थी।
चाय के बागान

दार्जिलिंग को सबसे ज़्यादा यहाँ के चाय के बागानों के लिए जाना जाता है। दार्जिलिंग में कहीं 80 से भी ज्यादा चाय के बाग़ान हैं। इस जगह पर पहुंचने के बाद आपको दूर-दूर तक बस हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है। ऐसा लगता है कि यहाँ के मनमोहक मौसम में चाय की भीनी सुगंध घुल गई है। इस जगह से हिमालय के बहुत ही शानदार नजारे देखने को मिलते है। दार्जिलिंग जाएं तो चाय के बागान देखना बिल्कुल भी नहीं भूलें।
दार्जिलिंग कैसे पहुँचे?
फ्लाइट से: वायु मार्ग से दार्जिलिंग जाने वाले लोगों के लिए सबसे निकटतम एयरपोर्ट बागडोगरा है। बागडोगरा से दार्जिलिंग की दूरी 95 किमी. है। इस जगह से दार्जिलिंग आप सार्वजनिक परिवहन अथवा निजी टैक्सी के ज़रिए बहुत ही आसानी से पहुंचा जा सकता है।
ट्रेन से: ट्रेन से दार्जिलिंग जाने वाले लोगों के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है। न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग की दूरी महज़ 88 किमी. रह जाती है। इस जगह से दार्जिलिंग आप सार्वजनिक परिवहन अथवा निजी टैक्सी के ज़रिए बहुत ही आसानी से पहुंचा जा सकता है।
वाया रोड: दार्जिलिंग सड़क मार्ग अथवा सार्वजनिक परिवहन से जाने वालों के लिए भी काफ़ी अनुकूल है। यह देश के सभी शहरों से अच्छी तरह कनेक्टेड है। कोलकाता से दार्जिलिंग जाने के लिए आपको सीधी बसें मिल जाएंगी। प्राइवेट टैक्सी बुक करके भी आप दार्जिलिंग पहुँच सकते हैं।
