देखिए, हालात तो बदलेंगे नहीं, ज़रूरत सिर्फ़ सोच और तौर-तरीके बदलने की है। अगर आप लंबे समय तक अपने-आपको इग्नोर करती रहीं तो बीमारी या फ्रस्ट्रेशन से आप अपने परिवार को वह सुख पूरी तरह से कभी नहीं दे पाएंगी, जो आप उन्हें देना चाहती हैं, इसलिए ध्यान रखिए इन बातों का-
- चाहे परिवार-बच्चे हों या दोस्त-रिश्तेदार, अपने-आप को किसी को भी टेकन फॉर ग्रांटेड मत लेने दीजिए। सभी का सम्मान कीजिए और सभी से अपना सम्मान करवाइए।
- महीने-दो महीने में ही सही, लेकिन एक दिन पार्लर के लिए रिजर्व रखिए। फेशियल, वैक्सिंग, मेनीक्योर-पेडिक्योर वगैरह चाहे आप घर पर भी कर सकती हों, लेकिन जब आप ये सब चीजें पार्लर में करवाती हैं तो इसके बहाने आपको थोड़ा सा आराम भी मिल जाता है। साथ ही आप ये भी जान पाती हैं कि ट्रेंडी क्या है, किस मौके के हिसाब से क्या ओढऩा-पहनना ठीक रहेगा या फिर आप पर सही मायनों में क्या अच्छा लगता है। ऐसा बहुत सी महिलाओं के साथ होता है कि वे दूसरी औरतों के तौर-तरीकों से इंप्रेस होकर खुद भी वैसा ही करने लगती हैं, चाहे वह चीज़ उन पर अच्छी लगे या न लगे। बहुत ज़रूरी है अपना स्टाइल तय करना।
- दोस्तों के साथ जाने कितने ही मुस्कुराती यादों के पल जुड़े होते हैं, लेकिन शादी, परिवार और बच्चों के बाद ज्यादातर महिलाओं की सहेलियां खो सी जाती हैं। उन्हें तलाश कीजिए और चाहे उस बेस्ट फ्रेंडड से कभी-कभार फोन पर बातें कीजिए या फिर कभी कुछ देर के लिए मिल लिया कीजिए।
- अगर आपका दिल खुश रहेगा, तभी आप जि़म्मेदारियां भी पूरी तरह से निभा पाएंगी, इसलिए ज़रूरी है कि हमेशा दिल की आवाज़ सुनें। भीतर से उदास दिल दूसरों को भी झूठी खुशी ही दे सकता है बस।
- अपने-आप से वायदा कीजिए पूरी नींद लेने का, सही डाइट लेने का, नियमित व्यायाम करने का। अपने शरीर को भी शरीर ही समझिए, मशीन नहीं।
- अपनी खुशी का भी ख्याल रखिए, क्योंकि अगर आप फ्रस्ट्रेशन में आने के बाद कुछ गलत कर बैठती हैं तो वह आपके अब तक के किए- कराए पर पानी फेरने के लिए पर्याप्त है। अपने दिल से पूछिए कि वह क्या चाहता है। ये अपने बच्चों या पालतू पशुओं के साथ खेलना हो सकता है, दोस्तों के साथ कहीं घूमने जाना हो सकता है, परिवार के साथ अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट में खाना या फिर फिल्म देखना हो सकता है या फिर अपनी रुचियों को समय देना भी।
- कुछ समय अकेले भी बिताइए, चाहे इसके लिए आप बाहर कुर्सी पर बिल्कुल अकेले बैठकर एक कप चाय ही पिएं, पार्क में किसी किताब के कुछ पन्ने ही पढ़ें, अपनी पसंद का म्यूजि़क ही सुनें या फिर आराम ही करें। पूरी दुनिया में किसी भी चीज़ को अपने इस एकांत में एंट्री न करने दें। याद रखिए, एकांत और अकेलापन दो अलग बातें हैं। इसका जादुई असर तो आपको ये करने के बाद ही समझ आएगा।
- उन तमाम बातों की लिस्ट बनाइए, जो करना पहले आपको बहुत खुशी देता था या फिर जो चीज़ें आप सीखना-करना चाहती थीं। इन्हें भी अपनी जि़ंदगी में गुंजाइश दीजिए। आज हम टेक्नोलॉजी में इतनी बुरी तरह से फंस गए हैं कि इसके बिना हमें लाइफ ही पॉसिबल नहीं लगती। इस गलतफहमी से बाहर आइए। टेक्नोलॉजी इंसान को सुविधा देने के लिए बनाई गई है, बंधुवा बनाने के लिए नहीं।
- जब भी आइने में खुद को देखें तो खुश होकर देखिए, मुस्कुराकर देखिए। अगर कहीं कुछ कसर लग रही है तो देर किस बात की। दूर कीजिए उस कमी को और फिर डालिए खुद पर एक भरपूर नज़र।
- विश्वास कीजिए, अपने लिए थोड़ा सा वक्त निकालने का मतलब स्वार्थी या आलसी होना नहीं होता।

