गरुड़ासन
दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं। बाएं घुटने को हल्का सा मोड़ते हुए दाईं जांघ को बाईं जांघ के ऊपर क्रॉस करते हुए रखें। फिर दाएं पंजे से बाएं पैर की पिंडलियों को लॉक कर लें। ऐसे ही हाथों को भी क्रॉस करके लॉक कर लें।
 
अपने हाथ के अंगूठे पर ध्यान केन्द्रित करते हुए 10 सेकंड इसी अवस्था में रुकने की कोशिश करें। फिर ऐसा ही दूसरी तरफ से भी करें। इसके अभ्यास से एकाग्रता तथा संतुलन बढ़ता है, जो तनाव को दूर करने में मदद करता है। साथ ही कंधों, पैरों और कमर की थकान और अकडऩ को दूर करता है, जिससे बॉडी में एक नई ऊर्जा महसूस होने लगती है।

 

पाद हस्तासन
दोनों पैर मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाकर गहरी श्वास लें। फिर श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर से आगे की ओर नीचे झुकें। अपने हाथों से जमीन को छूने की कीजिए। थोड़ी देर इसी अवस्था में रहें। इस तरह से 5-10 बार करना है।
 
इस अभ्यास को करने से ब्लड का फ्लो सिर की तरफ आता है, जिससे मस्तिष्क को उचित मात्रा में ऑक्सिजन मिलती है, जो तनाव को कम करती है। इसके साथ ही यह पीठ और कमर की अकडऩ दूर करता है, जिससे शरीर भी रिलेक्स होता है।
बालासन
घुटनों के बल बैठते हुए अपने हिह्रश्वस को दोनों एडिय़ों के मध्य रखें। आगे की ओर झुकते हुए जमीन को माथे से छूने की कोशिश करें। इस समय छाती जांघों को स्पर्श करने लगेगी।
 
हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए हाथों को आरामदायक स्थिति में पंजों के बराबर रखें। पांच बार गहरी सांस लेने तक इसी अवस्था में रुकें। इस आसन का सीधा प्रभाव नर्वस सिस्टम पर पड़ता है, जो दिमाग को शांत करता है और स्ट्रेस को दूर करता है।
 भ्रामरी प्राणायाम
इसके लिए कमर और गर्दन सीधी रखते हुए बैठ जाएं। हाथों के अंगूठे से अपने कानों को बंद करें तथा बाकी उंगलियों से आंखों को हल्के हाथों से बंद करें। लंबी गहरी श्वास लें, फिर श्वास छोड़ते हुए भौंरे की गुंजन जैसी आवाज निकालें।
इस अभ्यास को 5-10 बार लगातार करें। इस प्राणायाम से हमारे मस्तिष्क में कंपन होने लगता है, जिसका प्रभाव हमारे नर्वस सिस्टम पर पड़ता है, जो तनाव को दूर करके दिमाग शांत करता है।
ओम उच्चारण
अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए आंखें बंद करके बैठें। दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखें। धीरे-धीरे लंबी गहरी श्वास लें। श्वास को छोड़ते हुए ओम का उच्चारण करते हुए मस्तिष्क में उत्पन्न कंपन को महसूस करना है।
इस तरह से लगातार 5-10 बार ओम का उच्चारण करना है। अभ्यास होने पर
धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर अपनी क्षमतानुसार कर सकते हैं।