बचपन से ही मुझे भाग्योदय शब्द सुनकर ऐसा लगता था कि आपके सभी शत्रु पराजित और आप किसी चमत्कार की शरण में…।

एक दिन खुले आसमान में सुबह की हल्की लालिमा में मैं चाय का लुफ्त उठा रही थी कि तभी तभी अखबार वाले ने अखबार मोड़कर यूं घुमा कर जोर से फेंका कि वो दूसरी मंजिल तक पहुंच जाए, लेकिन अखबार की गर्म खबरों के साथ-साथ मेरा सिर भी बिल्कुल गर्मा गरम हो गया। अखबार इतनी जोर से आकर मेरे सिर पर लगा था कि मानो किसी ने मेरे दिमाग के सभी बंद दरवाजे अचानक से खोल दिये हो। हमेशा से मुझे भाग्य से जुड़ी हुई बातें बहुत आकर्षित करती थी, इसलिए जब मैंने आज के राशिफल में पढ़ा कि आज कन्या राशि वालों का भाग्य उनका साथ देगा, शुभ समाचार मिलेगा और शत्रु पराजित होंगे’, तो मन ही मन मुस्काई मैं, कहा आज तो किस्मत साथ है, फिर डरने की क्या बात है? लेकिन जैसे ही कदम आॅफिस के अंदर पड़े, सारे भ्रम टूट गये। उधर से बाॅस चिल्लाते हुए आए और कहा, पूर्वी कल शाम मैंने तुम्हें मैसेज किया था कि इस महीने की प्रोग्रेस रिपोर्ट फैक्स करो। अभी तुरंत, मगर तुमने क्या किया? पिछले महीने की रिपोर्ट एक्साम की। उसके बाद आप घर चली गयी। वो भी मुझे बताए बिना। आज आकर अपना सारा पैंडिगं काम खत्म करके ही घर जाओगी। इधर बाॅस मुझ पर झल्ला रहे थे। उधर मेरे मन से आवाज आई। धत तेरी की। भाग्य ने क्या साथ निभाया वाह! वाह!

कुछ दिनों तक तो अखबार के उस पन्ने की तरफ नजर तक ना जाने दी मैंने खुद की, मगर सही बातेंं मन की कहां कभी मंजूर हुई हैं, बोलते हैं जीवन साथी द्वारा उपहार, सम्मान का लाभ मिलेगा और आपका आपसी प्रेम प्रगाढ़ होगा” सोचा इस बार तो ये भविष्यवाणी जरूर सफल होगी। क्योंकि आज जन्मदिन जो था मेरा। चेहरे पर लालिमा लिए मैं बड़ी ही बेसब्री से कर रही थी इनके घर आने का इंतजार, तभी डोरबेल बजी। मैं दरवाजे की तरफ दौड़ी, दरवाजा खोलते ही पति बोले, हाय बेबी, वाॅटसअप।

देेखो तुम्हारे लिए सरप्राइज है सरप्राइज, यह सुनकर मैं बहुत खुश हुई कि चलो इस बार तो इनको मेरा बर्थडे याद रहा। मैं प्रसन्न मुद्रा में अपने गिफ्ट के लिए दरवाजे से बाहर आई तो देखा कि इनकी दीदी अपने बेटे के साथ रिक्शे से उतर रही थी।

जब मैंने इनसे पूछा कि मेरा सरप्राइज तो इन्होंने मुझे बताया कि दो दिनों की छुट्टियों में दीदी ध्रुव के साथ यहां आई, यही सरप्राइज था। यह सुनकर मैं गुस्से में बिलकुल आगबबुला हो गई । लेकिन जुबान से कुछ ना कहा ताकि घर आये मेहमान को कहीं ये ना लगे कि मैं उनकी वजह से गुस्सा हूूं।

दो दिन बाद मेरे पति पीछे से आये और मुझे अपनी बाहों में भरकर बड़े ही प्यार से बोले ‘‘साॅरी बेबी, इस बार मैं तुम्हारा बर्थडे भूल गया। साॅरी.. साॅरी। उनके साॅरी पर मुझे गुस्सा तो बहुत आया मगर फिर सोचा चलो जाने दो अपनों से अब क्या शिकवा, अपने तो अपने होते हैं।

अगली सुबह बारिश की हल्की बूंदोंं के साथ चाय का आनन्द उठाते हुए अखबार के उस पन्ने पर छपी भविष्यवाणी का मैं चिन्तन कर रही थी कि आखिर ये भविष्यवाणियां होती किसके लिए हैं, वो कौन महान भाई- बहन होते हैं, जिनके जीवन में ये भविष्यवाणियां सफल होती होंगी। इनका रहस्य क्या है? मेरे जीवन में तो आज तक उल्टा परिणाम ही देखने को मिला है।

कुछ ही दिनों बाद जब मैं दिल्ली से जालंधर आने के लिए शताब्दी एक्सप्रेस से सफर कर रही थी। मेरी बगल वाली सीट पर शादीशुदा दंपती बैठे हुए थे। उनकी शुद्ध हिन्दी व बात करने के अंदाज से मुझे ऐसा लगा कि वो कोई पंडित हैं जो कि अखबारों में या टी.वी के कुछ चुने हुए चैनलों में अक्सर समस्याओं का निदान करते नजर आते हैं। मैंने सोचा कि क्यों ना मैं इन्हीं से पूछ लूं कि आखिर ये भाग्योदय किस बला का नाम है? ये भविष्यवाणियां हमेशा मेरी खुशियों के विपरीत क्यों चली जाती हैं?

इससे पहले कि मैं अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए उनसे कुछ कहती पंडित जी का फोन ढींक चीका..ढींका चीका हैं हे रिंग करने लगा। हैलो मैं पंडित भीष्मनारायण स्वामी …..स्वामी जी मैं बसंत कुंज से ………..आपने जो मेरे पति की नशे की लत छुड़वाने के लिए उपाय बताये थे, मैं बिलकुल वैसा ही कर रही हूूॅं कल रात को काफी नशे में घर आए, पर मैंने उनको खुद को छूने तक ना दिया। और सुबह जो आपने पूजा करने को कहा था, मैं वो भी कर रही हूॅं स्वामी जी 15 दिन से मैं पूरे नियम से यह उपाय कर रही हूॅं मेरे पति की नशे की आदत छूट तो जायेगी ना और मेरी बात मानने लगेंगे।

पंडित जी….हां …. हांं बिल्कुल मानने लगेगें और उनकी वो बुरी लत भी छूट जायेगी।  आप मुझ पर भरोसा रखिए, बस पिछली बार तो मंदिर में हवन करवाया था। इस बार घर पर भव्य रूप में हवन का आयोजन करेंगे, फिर देखियेगा कि आपके जीवन में सब कुछ सिर्फ अच्छा हो अच्छा होगा। फोन पर पंडित जी और उस महिला की बातें सुनकर पंडित जी की धर्मपत्नी की हंसी रोके नहीं रुक रही थी और पंडित की अपनी पत्नी की कलाई पकड़कर बार- बार उसे अपनी हंसी शांत करने का इशारा कर रहे थे।

पंडित जी की वार्तालाप सुनकर मेरे मस्तिष्क की घंटियां टन…टना…टन बजने लगी। भाग्योदय से जुड़ी भविष्यवाणियों को लेकर मेरे मस्तिष्क में कोलाहल मचा हुआ था। इससे पहले कि मैं किसी निष्कर्ष पर पहुंचती, पंडित जी का फोन फिर से ढींका चीका…ढींक चीका रिंग करने लगा।

हैलो मैं भीष्मनारायण स्वामी… स्वामी जी मैं राजेन्द्र की मां करोलबाग से बोल रही हूं। पंडित जी, हां जी बोलिए माता जी स्वामी जी वो जमीन वाला मामला सुलझ तो जायेगा ना, सुनवाई मेरे बेटे का ही पक्ष ऐसा कुछ उपाय बताएं। पंडित जी, जी बिल्कुल, आपके बेटे के ही पक्ष में होगा। उस जमीन से जुड़े कितने ही मामले सुलझे हैं ये सभी पितृदोष की पूजा करवाने का ही शुभ परिणाम है। अब बस एक बार जमीन की सुनवाई से पहले गौ दोष की पूजा भी करवा देंगे। उसके बाद आपके बेटे के भाग्य से जुड़े सभी दोष दूर हो जाएंगे। उसके बाद ये जमीन आपके बेटे के नाम पर होने से कोई रोक नहीं सकता।

इस बार पंडित जी की बातें सुनकर मैं समझ गई भाग्योदय का झोलझाल सारा, जिसे समझती थी जिसे मैं खुद के भाग्योदय का रास्ता, वो तो निकला इनकी उन्नति का रास्ता..।

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