Motivational Story: सुबह से आंधी ने अपना रौद्र रूप दिखाया हुआ था। आंधी इतनी तेज हो तो बारिश कहां पीछे रहती उसने भी अपनी पूरी कहर बरपा रखा था।
लगातार आंधी और तूफान ऐसे चल रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा तूफान मचाने वाला हो।
वही तूफान आज नील की जिंदगी में भी आ चुका था। आज उसके यूपीएससी मेंस का रिजल्ट निकलने वाला था।
वह सुबह से अपने लैपटॉप और अखबार के पीछे लगा हुआ था।
“सर्वर भी डाउन आज ही होना था?” उसने मन ही मन चिढ़ते हुए कहा।
देखते देखते शाम हो गई। आंधी थम गया लेकिन खिड़की से बाहर अभी भी हल्की-हल्की बारिश हो ही रही थी। बाहर खड़े पलाश के पेड़ टप-टप कर आंसू बहा रहे थे।
मानो जैसे नील की आंखों के सारे आंसू प्रकृति ने ले लिया हो। नील फिर से एक बार हताश हो चुका था।
इस बार भी परीक्षा के परिणाम उसके हिस्से में नहीं आए थे। उसका प्रयास अधूरा रह गया था, वह हार गया था। घर में जवान हो रही बहनें और भाई भी थे।अपने तीनों भाई बहनों में वह सबसे बड़ा था।
“ लोग क्या कहेंगे ? वह एक नाकारा इंसान है। अपने मां बाप का पैसा खा रहा है। इससे कुछ करने धरने वाला नहीं! लोग तो लोग,उसके मां-बाप का क्या कहेंगे और उसके छोटे भाई बहनों पर उसकी क्या इमेज बनेगी?
सब यही सोचेंगे कि परीक्षा के नाम पर वह सिर्फ पैसे बर्बाद कर रहा है?”
यह सब सोचकर नील बहुत ही ज्यादा अपमानित महसूस कर रहा था और उससे भी ज्यादा थका हुआ।
उसने अपनी सारी मेहनत लगा दिया था मगर इस बार भी वह यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाया था।उसकी आंखें भर आई थी।
नील कंप्यूटर को थोड़ी देर तक टकटकी लगाकर देखता रहा फिर वहां से उठकर खिड़की की तरफ आ गया और बाहर देखने लगा।
बाहर खड़े पलाश और आम के पेड़ टप टप कर बरस रहे थे।
नील उन्हें देखने लगा।” तुम क्यों रो रहे हो? रोना तो मुझे चाहिए, वह जैसे निकम्मे इंसान को!” उसने अपने आप से कहा और रो पड़ा।
तभी उसके कमरे में किसी ने दस्तक दी। उसने पीछे मुड़कर देखा उसके पापा सोमनाथ जी खड़े थे।
“ क्या हुआ बेटा ! तुम रो रहे हो?”
“पापा, इस बार भी मैं यूपीएससी मेंस नहीं निकाल पाया!”नींव ने अपनी आंखें नीचे झुका लिया।
“कोई बात नहीं इस तरह से हार नहीं माना जाता!”उन्होने नील के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
“नहीं पापा मैं बहुत शर्मिंदा हूं। मैं ने आपका सर शर्म से झुका दिया।”
“ किसने तुमसे कहा ऐसा? जो खिलाड़ी मैदान में उतरते हैं वही रेस लगाते हैं ना। घर बैठे हुए लोग थोड़े ही रेस लगाते हैं! उन्हें मैदान में उतरने की भी हिम्मत कहां होती है बेटा ।
एक परीक्षा नहीं निकल पाया, कोई बात नहीं। अपनी कोशिश जारी रखो। अगर सेंट्रल लेवल पर कंपटीशन नहीं निकाल पाए तो स्टेट लेवल पर निकालो। कोशिश तो करो । जब कोई भी बड़ा कदम उठाता है तो गिरने के लिए तैयार होना चाहिए और फिर गिरने के बाद संभलना भी अपना पहला कर्तव्य है।”
“हां पापा!”नील खाली आंखों से अपने पिता की ओर देखते हुए हल्के से मुस्कुराया।
पीछे पीछे उसके मां आराधना भी वहां आ पहुंची। उसने चाय का कप देते हुए उससे कहा “नहीं बेटा तुम्हें हार नहीं माननी चाहिए। मेरा बेटा हो ना , हारा हुआ चेहरा अच्छा नहीं लगता। तुम्हें इस तरह हताश और परेशान देखते हुए मेरा दिल भरा जा रहा है।
बस एक यही रास्ता तो नहीं और भी हैं राहें दुनिया में।बस मंजिल ढूंढने की ललक होनी चाहिए। दुनिया कोई एक राह तो है नहीं जहां सफल हो जाओ वही तुम्हारी दुनिया है मेरी बात मानो और कोशिश और कर लो।”
अपने मां पापा की ओर नील ने देखा। उनकी आंखों में अभी उम्मीद के जोत जगमगा रहे थे।
नील ने अपनी आंखें नीचे झुका लिया।उसे उनका सामना करने की हिम्मत नहीं थी।
उसकी मनोदशा को देखकर आराधना की उसके पास आकर उसके सिर पर अपना हाथ फेरने लगी।
“ऐसे निराश नहीं होते हैं बेटा, अभी तुम इतने बड़े नहीं हो गए हो कि हताश हो गए हो।”
नील ने अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से अपनी मां की आंखों में झांका और उन्हें गले से लगाकर बोला
“मां, मैं आपको भरोसा देता हूं इस बार आपको निराश नहीं करूंगा।”
“ यह हुई ना बात बस अब तुम ने सिरे से राज्य स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दो।”
नील चुपचाप अपने माता-पिता की बातें सुनने लगा। उसने कुछ कहा नहीं मगर वह पूरी तरह से हताश हो चुका था। अब उसके अंदर कुछ करने की इच्छा भी नहीं रह गई थी।
उसने अपने माता-पिता को भरोसा तो दिया था लेकिन पढ़ने के नाम से ही उसके अंदर उच्चाट सी आ गई थी।
दूसरे दिन जब उसने सोकर वह उठा, बाहर से आराधना जी ने उसे चाय के लिए आवाज देकर बुलाया।
“नील बाहर आओ बेटा। चाय बन गई है।”
“हां मां,नील बाहर आया। सामने टेबल पर कई अख़बार पड़े हुए थे।वह अखबार उठाकर पढ़ने लगा।
तभी उसकी नज़र अख़बार के एक कोने पर गई जहां एक व्यक्ति का साक्षात्कार छपा हुआ था।
नील पढ़ने लगा। वहां एक शारीरिक रूप से अपंग व्यक्ति का साक्षात्कार छपा हुआ था।
उसने अपनी सफलता को संवाददाता के साथ शेयर किया था।
भाग्य का संयोग था।उस व्यक्ति के ऊपर आकाशीय बिजली गिर गई थी ।जिसके कारण उसका एक अंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। उसका शरीर एक तरफ से पूरी तरह से सुन्न पड़ गया था। उसमें पैरालिसिस आ गया था।
उसके माता-पिता गरीब थे फिर भी उन्होंने अपनी हैसियत से बढ़कर इलाज कराया मगर कुछ भी उसका नतीजा नहीं निकल पाया। घर में सभी लोग हताश और परेशान हो गए थे मगर उस व्यक्ति ने अपनी सब की हताशा और परेशानी को सामने रखकर अपने आप को मजबूत बनाया और फिर दुनिया के विपरीत जाकर उसने कुछ कर दिखाया।
जिसके लिए उसे अपने घर परिवार के लोगों से तथा बाहर के लोगों से हजारों बात सुननी पड़ती थी। मगर उसने तय कर लिया था।
उसने अपने लक्ष्य पर फोकस किया और कुछ कर दिखाया इस बात पर उसे बहुत ही खुशी थी।
“अंजन कुमार दास!” नील ने कई बार उसे व्यक्ति का नाम पढ़ा और दोहराया।
शारीरिक रूप से अपाहिज व्यक्ति ने वह कर दिखाया था जो करने के लिए बड़े-बड़े लोग पानी भरते हैं। उसने एक राज्य स्तर की विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण कर लिया था।
उसके साक्षात्कार को पढ़कर नील की आंखें चमक उठीं ।
उसने अपने आप से कहा “नहीं मैं हार नहीं मानूंगा। मैं अपने प्रयास जारी रखूंगा। अंजन कुमार दास मेरे लिए आदर्श है। जब वह यह काम कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं ?उन्होंने भी तो प्रकृति के विरुद्ध जाकर अपना परचम लहराया है ।दुनिया को बताया है कि प्रयास में, कोशिश में एक आशा है इसका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।”
नील ने एक नए सिरे से अपनी पढ़ाई में जुट गया।
लगभग 6 महीने बाद उसके राज्य स्तर की प्रतियोगी परीक्षा थी। उसने बहुत ही अच्छी तरह से तैयारी किया ।
अपनी पिछली सारी गलतियों से सबक लेकर उसने परीक्षा दिया।
इस बार उसके दोनों लिखित परीक्षा बहुत ही अच्छे गए थे ।उसने बहुत ही मन से अपने इंटरव्यू की तैयारी भी किया और जब परिणाम का समय आया तो वह खुशी से उछल पड़ा।
प्रतियोगी परीक्षा के टॉप की 20 में उसका नाम आ चुका था। उसकी मेहनत रंग लाई थी।
जब अखबार के प्रतिनिधि ने उससे उसकी सफलता के राज पूछा तो अपनी सच्चाई बताते हुए नील ने कहा “ मैं तो अपनी सारी असफलताओं से हार चुका था मगर उस दिव्यांग और शारीरिक रूप से अपंग व्यक्ति के साक्षात्कार ने मेरे अंदर के डर को हटा दिया। उसने मुझे हिम्मत दी।
तब मैंने यह सोचा जब कुदरत ने उसे शारीरिक रूप से पूर्ण नहीं बनाया पर उसने अपने हौसलों को अंजाम देने में कोताही नहीं की तब मैं कैसे कर सकता हूं। अपनी हार से ही सबक ले सकता हूं और मैं कर दिखाया मुझे अपनी सफलता पर बहुत ही ज्यादा गर्व है।”
जब अखबार में नील का इंटरव्यू छपा तो सभी जगह उसकी बहुत ज्यादा तारीफ हो रही थी।सब लोग नील की तारीफ करने लगे थे। उसकी मेहनत और कोशिश भरी आशा की तारीफ कर रहे थे।
“बेटा तुमने अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी, मेहनत नहीं छोड़ा। आखिरकार सफलता अर्जित कर ही लिया।”नील के माता-पिता दोनों की आंखों में आज गर्व भरी मुस्कराहट थी।
उनके बेटे ने अपनी मेहनत और लगन से राज्य स्तर की विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण कर लिया था।
आज पड़ोस के लोग सोमनाथ जी और आराधना जी, दोनों की तारीफ कर रहे थे और उन्हें बधाई दे रहे थे।
और नील की आंखों में उम्मीद को कर दिखाने की चमक थी।
“कोशिश में एक आशा छिपी होती है ,बस जरूरत है अपनी कोशिश को सही दिशा में बल देने की।” वह मुस्कुरा रहा था।
आज उसकी मेहनत पूरी हो गई थी। उसका प्रयास सफल हो गया था।
