अधूरा संसार तेरे बिन-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Adhura Sansar Tere Bin

बादल आसमान में घूमर घूमर कर मौसम को खूबसूरत बना रहे थे। मैं एक कप चाय के साथ बालकनी में बैठ कर मौसम का आनंद ले रही थी। अचानक चाय पीते पीते कहीं खो सी गई यादों की दुनिया में , पहली बार जब मैं मां बनने वाली थी तो परिवार वालों ने मेरा अल्ट्रासाउंड करवाया और पता चला कि लड़की है उन्होंने मेरा अबॉर्शन करवा दिया।मेरे ना चाहने के बावजूद मैं बहुत मना की फिर भी किसी ने मेरी नहीं सुनी  ।

बहुत दिनों बाद जब मैं दोबारा मां बनने वाली थी फिर से इन लोगों ने मेरे साथ वही किया जो पहली बार किया था बहुत  चीखने चिल्लाने के बावजूद भी किसी ने मेरी एक भी बात नहीं सुनी क्योंकि मेरे पेट में फिर से बेटियां ही थी। फिर से  उन्होंने मेरा अबॉर्शन करवा दिया। इस बार जो डॉक्टर ने कहा उनके शब्दों की गूंज अभी तक गूंज रही है।मैं कभी मां नहीं बन सकती उस दिन का भी मौसम ऐसा ही था। तेज बारिश के साथ तूफान जो मेरी जिंदगी में तूफान ला दिया, मैं कहती हूं आ जाओ फिर से बेटी मेरा अधूरा संसार तेरे बिन ।   

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