क्रिसमस वाले दिन सुबह से ही सांताक्लाज की खूब व्यस्तता थी। सच पूछो तो अपरंपार।
दिन भर बच्चों के उपहार इकट्ठे करके वह अपने बड़े से पिटारे में भरता रहा। पिटारा इतना भर गया कि उसे बंद करना ही मुश्किल था। सांताक्लाज को बड़े जतन से उसे बंद करना पड़ा।
थोड़ी देर में ही शाम घिरने लगी, और फिर हलका-हलका सा अँधेरा हुआ। सांता ने अपनी बग्घी को सुंदर खुशबूदार गुलाबों और रंग-बिरंगी झंडियों से सजाकर उसमें उपहारों वाला बड़ा सा पिटारा रखा। फिर उसकी बग्घी झटपट सड़क पर दौड़ने के लिए उतर आई।
सांता का दिल मारे आनंद के बल्लियों उछल रहा था। अब उपहार बाँटने का समय नजदीक आ गया था। पर इससे पहले वह जल्दी से जल्दी क्रिसमस के सुंदर दृश्यों और जगह-जगह सजाए गए क्रिसमस ट्री की मोहक झाँकियों को अपनी आँखों से देख लेना चाहता था!
बड़ी देर तक वह अपनी बग्घी को गलियों और सड़कों पर यहाँ-वहाँ दौड़ाता रहा। बीच-बीच में रुककर लोगों के घर सजाए गए क्रिसमस ट्री देखता और सिर हिलाकर अपनी खुशी प्रकट करना न भूलता। उस समय उसकी टोपी का फुँदना भी हिलता, जैसे वह भी क्रिसमस के आनंद में थिरक रहा हो।
किसी-किसी ने तो पूरे घर को ही रंग-बिरंगी लाइटों से सजा दिया था, पर लाखों घर पूरी तरह अँधेरे में थे।
एकाएक उसे वे बच्चे याद आए, जिनके चेहरों पर गहरी उदासी थी। जरूर उनके भीतर भी ऐसा ही अँधेरा होगा, जैसा इन घरों में पसरा हुआ है।
सांता को इंतजार था रात के अगले पहर का। आधी रात, ताकि बच्चे सो जाएँ। जब बच्चे अपने सपनों की दुनिया में खोए हों, तभी तो उन्हें सरप्राइज देने का मजा है—उसने सोचा। बस, वह चुपके से गहरी नींद में मुसकराते बच्चों के सिरहाने उपहार रखकर आ जाएगा। चुपचाप।
“ओह, कैसे रोमांच भरे होंगे वे क्षण…!” सोचते हुए सांता की अजीब सी हालत थी। ऐसी बेसुधी की हालत, जिसमें खुद उसे अपना होश न था।
खुशी और उल्लास की एक लहर थी, जो उसे उड़ाए लिए जा रही थी। और ऊपर, और ऊपर, और-और ऊपर…!
मगर अभी तो काफी वक्त बाकी था। किसी तरह उसे अपने आप पर काबू पाना था, और यही सबसे मुश्किल काम था।
“तब तक क्यों न दूर-दूर की सैर की जाए?” सांता ने सोचा और उसकी बग्घी दुनिया के एक देश से दूसरे देश, एक शहर से दूसरे शहर में दौड़ने लगी। हर जगह उसे ऐसे दृश्य देखने को मिलते कि खुशी और उदासी के रंग बार-बार उसके चेहरे पर आ-जा रहे थे।
धीरे-धीरे सड़कें और गलियाँ सूनी होने लगीं। लोग छोटे-छोटे समूहों में अपने-अपने घरों की ओर जा रहे थे। कुछ देर में हर ओर सर्दी की ठंडी हवा के थपेड़ों के साथ एक शांत सन्नाटा पसर गया।
ये उपन्यास ‘बच्चों के 7 रोचक उपन्यास’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Bachchon Ke Saat Rochak Upanyaas (बच्चों के 7 रोचक उपन्यास)
