एक किसान ने कुछ हंस पाले हुए थे। एक लोमड़ी की बहुत दिनों से उन पर नजर थी। वह उन्हें अपना भोजन बनाना चाहती थी, लेकिन किसान एक पल को भी हंसों को अकेला नहीं छोड़ता था, जिसकी वजह से लोमड़ी को उन्हें खाने का अवसर नहीं मिल पा रहा था। एक दिन उसने देखा कि किसान हंसों को दाना खिलाकर सोने चला गया है।
मौका देखकर वह हंसों के पास आ पहुँची और बोली कि अब तुम्हें मुझसे कोई नहीं बचा सकता। इस पर हंस बोले कि मौसी, हम जान चुके हैं कि अब हमारा अंत निश्चित है। लेकिन, हम मरने से पहले अपने ईश्वर की प्रार्थना करना चाहते हैं। लोमड़ी हंसकर बोली कि जरूर करो, लेकिन जान लो कि अब तुम्हारा ईश्वर भी तुम्हें मुझसे नहीं बचा सकता।
हंसों ने प्रार्थना के बहाने आंखें बंद करके जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। उनकी आवाज सुनकर किसान की नींद खुल गई। वह समझ गया कि कोई न कोई बात जरूर है, वर्ना हंस रात गए इतनी जोर से न चिल्लाते। वह कुल्हाड़ी लेकर वहाँ आ पहुँचा। लोमड़ी को देखते ही वह सारा माजरा समझ गया और लोमड़ी को मारने दौड़ा। लोमड़ी ने बड़ी मुश्किल से भागकर अपनी जान बचाई।
सारः थोड़ी सी बुद्धिमानी से हर संकट से निकला जा सकता है।
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