svarg kee devee by munshi premchand
svarg kee devee by munshi premchand

सीतासरन का खुमार शाम को टूटा। आंखें खुलीं तो सामने लीला को खड़ी मुस्कुराते देखा। उसकी अनोखी छवि आंखों में समा गई। ऐसे खुश हुए, मानो बहुत दिनों के वियोग के बाद उससे भेंट हुई हो। उसे क्या मालूम था कि यह रूप धरने के लिए लीला ने कितने आँसू बहाए हैं, केशों में यह फूल गूंथने से पहले आंखों से कितने मोती लुटाए हैं। उन्होंने एक नवीन प्रेमोत्साह से उठकर उसे गले लगा लिया और मुस्कुराकर बोले- आज तो तुमने बड़े-बड़े शस्त्र सजा रखे हैं, कहीं भागूं ?

लीला ने अपने हृदय की ओर उँगली दिखाकर कहा- यहाँ आ बैठो। बहुत आगे फिरते हो, अब तुम्हें बाँधकर रखूंगी। बाग की बहार का आनन्द तो उठा चुके, अब इस अँधेरी कोठरी को भी देख लो।

सीतासरन ने लज्जित होकर कहा- उसे अँधेरी कोठरी मत कहो लीला वह प्रेम का मानसरोवर है।

इतने में बाहर से किसी मित्र के आने की खबर आई। सीतासरन चलने लगे, तो लीला ने उनका हाथ पकड़कर कहा- मैं न जाने दूँगी।

सीतासरन- अभी आता हूँ।

लीला- मुझे डर लगता है, कहीं तुम चले न जाओ।

सीतासरन बाहर आये तो मित्र महाशय बोले- आज दिन-भर सोते ही रहे क्या? बहुत खुश नजर आते हो। इस वक्त तो वहाँ चलने की ठहरी थी न? तुम्हारी राह देख रही है।

सीतासरन- चलने को तो तैयार हूँ लेकिन लीला जाने नहीं देती।

मित्र- निरे गाउदी ही रहे। आ गये फिर बीबी के पंजे में! फिर किस बिरते पर गरमाये थे?

सीतासरन- लीला ने घर से निकाल दिया था, तब आश्रय ढूंढ़ता फिरता था। अब उसने द्वार खोल दिये और खड़ी बुला रही है।

मित्र- अजी, यहाँ वह आनंद कहाँ? घर को लाख सजाओ, तो क्या बाग हो जायेगा?

सीतासरन- भई, घर बाग नहीं हो सकता, पर स्वर्ग हो सकता है। मुझे इस वक्त अपनी क्षुद्रता पर जितनी लज्जा आ रही है, वह मैं ही जानता हूँ। जिस सन्तान- शोक में उसने अपने शरीर को घुला डाला और अपने रूप-लावण्य को मिटा दिया, उसी शोक को केवल मेरा एक इशारा पाकर उसने भुला दिया। ऐसा भुला दिया, मानो कभी शोक हुआ ही नहीं। मैं जानता हूँ वह बड़े-से-बड़े कष्ट सह सकती है। मेरी रक्षा उसके लिए आवश्यक है। जब अपनी उदासीनता के कारण उसने मेरी दशा बिगड़ती देखी, तो अपना सारा शोक भूल गई। आज मैंने उसे अपने आभूषण पहनकर मुस्कुराते देखा, तो मेरी आत्मा पुलकित हो उठी। मुझे ऐसा मालूम हो रहा है कि वह स्वर्ग की देवी है और केवल मुझ-जैसे दुर्बल प्राणी की रक्षा करने के लिए भेजी गई है। मैंने उसे जो कठोर शब्द कहे, वे अगर अपनी सारी सम्पत्ति बेचकर भी मिल सकते, तो लौटा लेता । लीला वास्तव में स्वर्ग की देवी है।

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