भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
नए साल की खुशी- चीकू खरगोश अपने दोस्तों के साथ बहुत खुश था। उन सभी ने नये साल की आगमन की जोरदार तैयारी की थी। भोलू भालू ने ढेर सारा शहद जमा कर रखा था, जबकि चीकू खरगोश ने गाजर, मूली और अमरूद का संग्रह किया था। मीक चहा हरी मटर और हरे चने लेकर आने वाला था। गिल्लू गिलहरी भला पीछे क्यों रहती! उसने ढेर सारी मूंगफली इकट्ठा कर रखी थी।
“हम इस बार भी जंगल के उस पार पहाड़ पर पिकनिक मनायेंगे” – भोलू भालू बोला-“वहाँ हम सुरक्षित रहकर नववर्ष सेलिब्रेट कर सकते हैं।”
“क्या यार! हर बार उसी जगह जाना!” -मीकू चूहा उकताकर बोला”मैं तो कहूँगा कि इस बार हम नदी किनारे रेतीले तट पर अपना तंबू डाल खुशी मनाएँ। वहाँ खुले में हमें ढेर सारी प्यारी धूप मिलेगी। नदी की तरफ से आने वाली ठंडी हवा कितनी अच्छी लगेगी। कितना मजा आयेगा!”
“ठीक कहते हो” -चीकू खरगोश ने हाँ में हाँ मिलाई- “वहाँ नदी की रेत पर हम खूब खेलेंगे-कूदेंगे, खाएँगे-पिएँगे, नाचेंगे-गायेंगे, तो कितना आनंद आयेगा!”
“यही ठीक रहेगा” गिल्लू गिलहरी बोली- “और जब हम थक जाएंगे, तो अपने टेण्ट में आकर आराम से लेटे रहेंगे।” सबका यही मन था, इसलिए वे पहाड़ की बजाय नदी की ओर बढ़ चले। यहाँ नदी के रेतीले तट पर अनेक तंबू लगे हुए थे। तंबूओं के अंदर कुछ लोग या तो खाना बना रहे थे या गा-बजा रहे थे। थोड़ा आगे मंथर गति से कल-कल करती नदी बह रही थी। वहाँ एक जगह रूककर मीकू चूहे ने खुलकर साँस ली, फिर बोला”यहाँ कितना अच्छा लग रहा है। कितने सारे लोग और उनके रंग-बिरंगे तम्बू हैं। यहाँ आकर मन खुश हो गया।”
“अरे, वो देखो” चीकू खरगोश फुसफुसाया- “कालू कुत्ता भी अपने शैतान साथियों के साथ आया हुआ है। “
“उनसे बचकर रहना।” भोलू भालू ने चेतावनी दी- “ये सभी उल्टा-पुल्टा खाते-पीते हैं और लड़ाई-झगड़ा करते हैं। उधर बिलकुल ध्यान नहीं देना।”
“हम अपना टेण्ट उनसे थोड़ी दूरी पर लगाएँगे।” गिल्लू गिलहरी बोली-“इन शैतानों से दूर ही रहना अच्छा!” इन लोगों ने अपना तम्बू नदी से थोड़ी दूरी पर लगाया। फिर भोजन बनाने की तैयारी करने लगे।”
इस बीच चीकू ने गिटार और मीकू ने ढोल बजाकर गाना गाना शुरू कर दिया। भोलू और गिल्लू गाने की धुन पर नाचने लगे। इसके बाद बाहर फैली रेत पर उन्होंने फुटबॉल और क्रिकेट खेलने का आनंद लिया। जबतक खाना बनता रहा, वे बारी-बारी नदी किनारे, यहाँ-वहाँ भी घूमते रहे। गिल्लू गिलहरी और चीकू खरगोश ने देखा कि वहीं थोड़ी दूर पर कालू कुत्ता अपने साथियों के साथ उठा-पटक, दौड़ा-दौड़ी करने में मशगूल हैं। अचानक वे सभी अपने कपड़े उतारकर नदी में नहाने के लिए उतर गये। वे सभी गिल्लू पर फिकरेबाजी करने लगे। साथ ही चीकू को धमकाने लगे, तो वे चुपचाप वापस अपने टेण्ट में चले आए।
खाना बन चुका था और अब वे हँसी-मजाक करते खाना खा रहे थे। अचानक नदी की तरफ शोर हुआ, तो वे सभी नदी की ओर भागे। कालू कुत्ता नदी की गहराई में डूब-उतरा रहा था। उसे तुरन्त मदद की जरूरत थी। मगर गहरे पानी में जाने का कोई साहस नहीं कर पा रहा था। अचानक भोलू भालू से गिल्लू बोली- “कालू को बचा लो भोलू भाई। नहीं तो वह डूबकर मर जाएगा।” भोलू ने चीकू खरगोश से कहा- “चीकू भाई! टेण्ट को सीधा करने के लिए हमने जो रस्सियाँ बाँधी है, उसे खोल लाओ। मैं इसे बचाने का प्रयास करता हूँ।” चीकू तुरन्त टेण्ट खोलने लगा। मीकू चूहा और गिल्लू गिलहरी उसकी मदद करने लगे। रस्सी लेकर वे तुरंत भोलू के पास पहुंचे। रस्सियों को जोड़, लंबा और मजबूत बनाया गया। भोलू ने रस्सी के एक सिरे से खुद को बाँध लिया। रस्सी का दूसरा सिरा कालू की ओर फेंका। कई कोशिश के बाद कालू रस्सी के दूसरे सिरे को पकड़ने में कामयाब हुआ। भोलू रस्सी को आहिस्ता-आहिस्ता अपनी ओर खींच रहा था। उसी के सहारे काल नदी किनारे आ रहा था। नदी से बाहर निकलकर किनारे आते ही कालू बेदम होकर जमीन पर गिर पड़ा। भोलू तुरंत उसके पास दौड़ा। उसके पेट में पानी चला गया था। भोलू तुरन्त उसका प्राथमिक उपचार करते हुए उसके पेट से पानी निकालने लगा। उसने चीकू से कहा”टेण्ट में से सरसों तेल की शीशी ले आओ। सरसों तेल की मालिश से इसे गर्मी मिलेगी। गिल्लू और मीकू अब उसकी तेल मालिश कर उसे गर्मी प्रदान कर रहे थे।
भोलू फिर चीकू से बोला- “तुम थोड़ा-सा शहद ले आओ। मैं इसके मुँह में थोड़ा-सा शहद टपका दूँगा, तो इसको ताकत मिलेगी। यही इसके लिए दवा का भी काम करेगा।”
अंततः कालू कुत्ते को होश आया। उसके अपने साथी वहाँ से कब के भाग चके थे। वह अपने चारों तरफ भोलू भाल, चीक खरगोश, मीक चूहा और गिल्लू गिलहरी को देख रहा था। वे सभी उसकी जान बचाने में लगे थे।
“मैंने तुम्हारे साथ बुरा व्यवहार किया।” कालू की आँखों में पश्चाताप के आँसू थे-“मुझे तुम लोग माफ कर दो और मुझे अपना साथी बना लो।”
“तुम स्वभाव के बहुत अच्छे हो। लेकिन बुरी संगत ने तुम्हें बुरा बना दिया।” गिल्लू अपने तीनों साथियों को देखते हुए बोली- “अब तुम हमारे दोस्त हो।” कालू की आँखों से खुशी के आँसू बहने लगे।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’