Naye Rishtey
Naye Rishtey

Motivational Story in Hindi: “तेरे प्यार में हद पार कर जाएंगे
चाहे यह दुनिया कत्ल कर दे
यह उम्र तेरे साथ ही बिताएंगे।”

ऊपर लिखी पंक्तियाँ प्रेम की रुमानित से भरी हुई हैं। यह बात सही है कि हर प्रेम करने वाला व्यक्ति शायर नहीं होता और इतना क्रांतिकारी भी नहीं होता जो अपने प्रेम के लिए दुनिया से लड़ जाए, पर उसके दिल में जो एक प्रेम के ज्वाला उठती रहती है, वह कभी ना कभी भभकती जरूर है। ऐसे ही कहानी है अंकित और उमा की । अंकित और उमा एक ही कॉलेज में रहकर पढ़ाई कर रहे थे। अंकित जहां एमबीबीएस की पढ़ाई, तो उमा नर्सिंग का कोर्स कर रही थी। कॉलेज के समय का आकर्षण कब गहन प्रेम में परिवर्तित हो गया दोनों को पता ही नहीं चला। दोनों ही समझदार एवं अपने भविष्य के प्रति सजग थे ।जल्दी ही अंकित ने अपनी पढ़ाई पूरी की और आंखों का डॉक्टर बन गया। अंकित अपने परिवार का पहला डॉक्टर था। सबसे बड़ा होने के कारण पूरे परिवार के लिए गर्व का विषय था, माता-पिता को अपने बेटे से बहुत उम्मीदें थी। अंकित के पिता के पास अब अंकित के लिए एक से बढ़कर एक शादी के रिश्ते आ रहे थे, पर अंकित था कि हर रिश्ते में कुछ ना कुछ मीन-मेख निकाल कर शादी से बचता जा रहा था ।अंत में जब पिता हरीश ने उसे अपने सामने बैठाकर साफ-साफ बात करना चाही तो अंकित ने अपने पिता और माता सरोज के समक्ष अपना दिल खोल कर रख दिया। जहां अंकित अपने मन की बात कह कर स्वयं के दिल को हल्का महसूस कर रहा था, वही अंकित के पिताजी को अपने कंधे झुके हुए महसूस हो रहे थे, अंकित की माता सरोज अपने भाई बंधो द्वारा होने वाले उपद्रव की कल्पना करके सूखी जा रही थी। जिसकी आशा थी हरीश जी और सरोज जी इस शादी के खिलाफ थे।
दूसरी तरफ उमा अपने घर वालों को मनाने में कामयाब हो गई थी ।अंकित की तुलना में उमा अधिक स्पष्ट वादिनी, आत्मविश्वासी और लक्ष्य निर्धारित लड़की थी। वह जो निश्चित करती थी उसमें स्पष्ट होती थी। अंकित भी अपने घर वालों को मनाने की पूरी कोशिश कर रहा था। कभी अपने चाचा, कभी अपने माता-पिता को, कभी अपनी विवाहित बहन को समझाने की भरसक कोशिश कर रहा था ,लेकिन अपने अस्थिर स्वभाव के कारण सफल नहीं हो पा रहा था। उसे पता था कि वह सिर्फ उमा से ही शादी करेगा, पर यह बात अपने माता-पिता को समझा नहीं पा रहा था। अपने बेटे को इस भटकाव से बचाने के लिए हरीश जी ने उसके लिए एक रिश्ता पसंद कर लिया ।अपने ऊपर बढ़ते दबाव के कारण अंकित ने रिश्ते के लिए हां कर दी। अंकित अपने घर वालों को तो कुछ नहीं बोल पाया पर उसने उमा को उसके घर में हो रही सभी बातें बताई और जिस लड़की का उससे रोका हुआ था उसका नंबर उसने उमा को दे दिया ।उमा ने अपने और अंकित के प्रेम के बारे में उस लड़की को सब कुछ बता दिया ।अंकित के माता-पिता को अंकित से इस हरकत की बिल्कुल भी आशा नहीं थी। जिस बात को हरीश जी घर की चार दीवारी में खत्म करना चाहते थे वही बात अब पूरे रिश्तेदारी में पता चल गई थी। उस लड़की का नाम गरिमा था ।अपने साथ होने वाले धोखे से दुखी होकर गरिमा ने हरीश जी और सरोज जी को बहुत खरी खोट खोटी सुनाई।
हरीश जी सरोज जी और अंकित अपने कमरे में बैठे थे, सबकी आंखों में आंसू थे। हरीश जी अपने बेटे अंकित से-” तूने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा अंकित, किसी की कुंवारी कन्या का दिल दुखाने में तुझे थोड़ी भी शर्म नहीं आई। तूने मुझे भी उस पाप का भागी बना दिया है । मैं खुद को उस बच्ची का गुनहगार महसूस करता हूं ।”
अंकित -“और हम क्या करते पापा ,हमें जो समझ में आया हमने वही किया ।”

सरोज -“इसका मतलब जो उसने तुझे सिखाया तूने बस वही किया, अपने घर वालों के बारे में कुछ ना सोचा तूने।” अंकित’- “मम्मी हमने साथ मिलकर ही फोन किया था।” इतना सुनते ही सरोज जी का पारा सातवें आसमान में पहुंच गया। फुरकारती हुई बोली –
‘बात करवा मेरी उससे ,उसकी इतनी हिम्मत कैसे हुई ?”जब अंकित ने उमा को फोन मिलाने से मना कर दिया तो सरोज जी ने खुद ही अंकित का फोन उठाकर लास्ट डायल्ड कॉल पर फोन किया। वह गुस्से से भरी हुई बैठी थी फोन उठते ही उन्होंने बोलना शुरू कर दिया –
“देखो लड़की तुम जो भी हो ,तुम्हारा मेरे बेटे से संबंध नहीं हो सकता। तुमने तो पहले ही पूरे रिश्तेदारी में हमारी नाक कटवा दी। शादी की बाद तो तुम न जाने क्या ही करोगी। इतनी खरी खोट कोटी बातें सुनकर उमा ने फोन काट दिया ।सरोज जी हेलो हेलो करती रही गुस्से के आवेश में आने से सरोज जी का बीपी हाई होने लगा।
वे बोली- “फोन काट दिया, अभी फोन करके बोल उसे की तू उससे आज के बाद में नहीं मिलेगा।”
अंकित ने उमा को फोन किया। अंकित- हेलो उमी फोन क्यों काट दिया ।
उमा -“तो क्या करती ,तुम मना नहीं पाए ना अंकल आंटी को।”
अंकित -“उमा मेरी मम्मी का बीपी हाई हो रहा है ,मुझे लगता नहीं हम मिल पाएंगे ।”
अंकित-“इतनी जल्दी हार मान गए।”
अंकित- “जल्दी नहीं, पर अब बर्दाश्त नहीं होता यह माहौल ।”
उमा -“तो ठीक है मैं जा रही हूं, सब कुछ छोड़कर ।”
अंकित- “कहां?”
उमा -“कहीं भी जाऊं तुम्हें क्या ,मैं मरूं या जीऊँ तुम्हें क्या है,” इसके बाद उमा ने फोन काट दिया। अंकित बार-बार फोन मिला रहा था लेकिन वह उठा नहीं रही थी।उमा के अंतिम शब्द अंकित के दिलों दिमाग पर छाए हुए थे। अंकित ने गाड़ी की चाबी उठाई और जाने लगा ।
सरोज -“कहां जा रहा है?”
अंकित-” मम्मी वह कुछ भी कर लेगी अपने साथ, मुझे जाने दो ।”सरोज यह सुनकर घबरा गई और बोली –
“एक लड़की अपना घर तोड़ने के लिए बद्दुआ दे रही है और यह दूसरी मरने का इल्जाम लगाना चाहती है ।तू रुक हम भी चलेंगे तेरे साथ ।”
अंकित- “नहीं मम्मी,” आप………
हरीश-” बोला ना तुझे हम किसी की जान खतरे में नहीं डाल सकते। हरीश सरोज और अंकित तीनों एक गाड़ी में बैठकर उमा की लोकेशन ट्रेस करके उसके पास पहुंचे ।यह एक बस स्टैंड था। उमा बस में चढ़ रही थी ।अंकित की गाड़ी उससे बहुत दूर थी। उमा ने अंकित को देखकर भी नजर अंदाज कर दिया ।अंकित यह सहन नहीं कर पाया ।वह पैदल ही उमा की बस के पीछे भागने लगा। हरीश म और सरोज दोनों अपने बेटे का पागलपन देख रहे थे ,बस चल चुकी थी और अंकित बस के पीछे भागे जा रहा था ।उस समय पहली बार हरीश जी को लगा कि वह कितनी बड़ी गलती करने जा रहे थे। उन्होंने दौड़कर अपने बेटे को पकड़ा और एक चांटा लगाया -“क्या कर रहा है ऐसे कैसे पकड़ेगा उसे ,कर में बैठकर चल ।”

अपने बेटे को इस तरह देखकर सरोज की आंखों में आंसू थे ।अगले बस स्टैंड पर बस रुकी तो अंकित ने दौड़कर उमा को बस से बाहर निकाला। उमा का चेहरा भागने के कारण लाल होकर सूजा हुआ था। हरीश और सरोज भी उनके पास आ गए थे ।
सरोज को देखते ही उमा बोली -“क्या कमी है आंटी मुझ में, क्या दूसरी जाति से होना ही मेरी सबसे बड़ी गलती ह” सरोज कुछ बोल पाती ,उससे पहले ही हरीश ने अंकित और उमा के सिर पर हाथ रख दिया और बोले -“कुछ कमी नहीं है ,चुपचाप घर चलो तुम दोनों की शादी करवाने के लिए अभी बहुत पापड़ बेलने पड़ेंगे ।भाई बंधों को मनाना आसान नहीं था, लेकिन कहते है ना किसी बेटे के पास यदि पिता का सहारा हो तो वह बड़ी से बड़ी बाधा पार कर जाता है। ऐसा ही अंकित के साथ हुआ ।कई रिश्ते जुड़े कई टूटे ,कई लड़ाई झगड़े हुए ,लेकिन अंत में अंकित और उमा का रिश्ता जुड़ गया और एक जुड़े हुए रिश्ते ने धीरे-धीरे टूटे हुए सभी रिश्तों को अपना लिया ।आज जहां से मैं देखती हूं यही प्रेम की असली जीत है ।