आज फिर नाराजगी-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी: Hindi Kahani
Aaj Fir Narajgi

Hindi Kahani: अब रविवार को दोपहर के समय भी यह नालायक फोन नही उठा रहा है ?” इस तरह ,,रूठ कर  मुंह बनाकर उमा एक कुर्सी मे बैठ गई। ,”सुनो उमा,,अभी अभी ,ये ,नई कंपनी में  नौकरी लगी है।

उसे, कुछ काम आ गया होगा ।”,” ओहो,,तो ,,कंपनी बदल दी है तो बिजी है ,पांच साल से नौकरी कर रहा है । अब तो बस बिजी होने का बहाना”। उमा के दिल मे शोले भड़क रहे थे । वो आगे बोली,” अब कंपनी बदल ली है ,तो इसलिए ,अभी  साहबजादे को फोन करने के लिए  समय नहीं है । जब पैसे की जरुरत होती थी । पूरे चार साल इसने चैन नही लेने नहीं दिया ।

सुबह हो या शाम दिन हो या रात बेटा टाइम मे फोन करके पैसे मांगता था ।” मगर,, उमा , ये तो सोचो ,और किसे करता ,माता-पिता तो हम ही है ना । तुम एक बात भूल रही हो । इशान को निजी तकनीकी कालेज से पढाई नही करनी थी । वो एक साल और मेहनत करके सरकारी तकनीकी महाविद्यालय से पढना चाहता था मगर तुमने उसे उकसाया और जिद करके उसका दाखिला कराया । फिर पैसे की बात पर क्यों झल्लाती हो ?” अरे,, मै तो बस मिसाल दे रही थी कि, अब कमाने लगा है तो माता-पिता जरूरी नही है । और, सोचो तो ,कि ,कल शादी कर लेगा तब तो पहचानने में भी आना -कानी करेगा ।,”,”ओहो,, अजीब बाते कर रही हो उमा । चलो हम दोनो मिलकर मटर छीलते है । और एक हास्य फिल्म देखते है ।,”अखिल को लाड आया वो आगे बोले ,”रूको मै लैपटाप लाता हूँ। उदास मत हो । याद करो तुम और मै बीएड कालेज मे पढते थे और हम दोनों ने बेरोजगारी मे परिवार को इत्तला किये बगैर विवाह भी कर लिया था ।”,”याद है ,हम्म याद है ।”, उमा हंस पडी ।और आगे बोली ।

,”बिलकुल,, मान लिया ,हम दोनो बेरोजगारी मे विवाहित थे । पर ,जब तक पक्की नौकरी नही लगी । हमने संतान नही पैदा की ।किसी पर बोझ नही बने ,यह भी याद है और मैने तीस साल निरंतर  नौकरी भी की । अब मेरी और तुम्हारी  साथ- साथ  सेवानिवृत्ति हुई है । हम दोनो ने अपना रूपया पैसा सब इशान पर लगा दिया । अरे, तो यह तो सब ही करते है उमा । ममता और स्नेह कभी धन दौलत नही देखता ।” ओहो,, तुम भी बस ,इशान के वकील बन रहे हो ।” अब उमा मटर छीलते हुए हंसने लगी थी ।उसे फिल्म देखने में खूब रस आने लगा था ।

पूरे दो घंटे कहाँ गुजर गये पता ही नही लगा । उसके बाद मटर और नूडल्स पका कर दोनो ने मजे लेकर खाया ।अब उमा एकदम सामान्य हो गई थी। तभी फोन बजा । इशान का फोन था ।उसने तसल्ली से बाते की । पता लगा कि इशान की युनिट के सीनियर  की सगाई  हो गई थी ।उसी सिलसिले में पूरा स्टाफ तैयारी कर रहा था और उनको एक सरप्राइज पार्टी दी जा रही थी ।अच्छा,,अच्छा,,  उमा ने सब बातें आनंद से सुनी। अब उसे न शिकायत थी न कोई गुस्सा था ।यह बावरा मन भी कमाल है वो बुदबुदाई उसकी आवाज सुनकर अखिल को हंसी आ गई।

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