Move on
Move on-Nariman ki Kahaniyan

भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

रश्मि आंटी जोगिंग और साइकिलिंग करके घर आती है। घर आकर साइकिल स्टैंड पर लगाती है, अपने लॉन में खड़ी होकर थोड़ा कसरत करती है और फिर किचन में जाकर पानी गर्म करके पीते हुए बाहर आती है, जैसे ही अख़बार उठाकर कुर्सी पर बैठकर पढ़ना शुरु करती है तब ही उनकी नज़र टोकरी में रखे दूध के पैकेट पर पड़ती है और सोचती हैं, लड़का अभी तक उठा नहीं क्या? अभी नया पीजी रखा था रश्मि ने दूध का पैकेट उठाया और उसका दरवाजा खटखटाया

राहुल, “जी आंटी गुड मॉर्निंग अंदर आइए ना”

रश्मि, “अरे नहीं बेटा बस ये तुम्हारा दूध का पैकेट नीचे पड़ा था तो सोचा तुम्हें दे आँऊ।”

राहुल, “धन्यवाद”

रश्मि ने पूछा, “आज तुम ऑफिस नहीं गए।”

राहुल, “नहीं आंटी रात से बुखार है, छुट्टी के लिए ऑफिस में फोन कर दिया है।”

“बेटा कोई दवाई ली या फिर ला कर दूं?”

नहीं रात को ली थी, अब बस टिफिन का इंतज़ार कर रहा हूं, आ जाए तो खाने के बाद दोबारा दवाई ले लूंगा।”

रश्मि, “कोई बात नहीं, मैं चाय बनाकर ले आती हूं और कुछ खाने को भी”

अरे नहीं, “आप क्यों तकलीफ करती हैं, मैं कुछ ना कुछ देख लूंगा।”

“अरे बेटा ऐसी कोई बात नहीं है।”

(इतने में राहुल के पिता का फोन आता है और वह उनसे बात करते हुए बताता है, जी पापा अभी शिफ्ट करा है, सब अच्छा है यहां पर बस आज थोड़ी तबियत ठीक नहीं थी इसलिए ऑफिस नहीं गया)

(रश्मि चाय बनाकर लाती है और उसे पकड़ाते हुए जैसे ही राहुल को छूती है)

रश्मि, “अरे, तुम्हें तो बहुत तेज बुखार है तुम सब लड़के एक जैसे ही होते हो, रोहित भी ऐसे ही करता था, बैठो तुम यहां पर और अब उठने की ज़रूरत नहीं है यह पकड़ो चाय और यह नमकीन और बिस्कुट और दवाई पास में ही रखी है, इसके बाद ले लेना किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे फोन कर देना। कहते हुए राहुल को कंबल ओढ़ाती है तो राहुल थोड़ा भावुक हो जाता है।”

“क्या हुआ बेटा, मैंने कुछ ज्यादा कह दिया।”

“कुछ नहीं आंटी, मां की याद आ गई अगर वह होती तो”

“मैं समझ सकती हूं बेटा”

‘अगर निभाने की हो तबियत तो रिश्ते यूं ही बन जाते हैं वरना आजकल तो लोग अपनी परछाई से भी बगावत कर देते है।’

‘दोपहर में रश्मि घर के काम कर रही थी कि अचानक एक किताब में से तभी एक पत्र गिरता है, रश्मि उसे देखती है, खोलती है, पढ़ने लगती है और पुरानी यादों में खो जाती है, बस याद आता है तो वही शब्द “कीप मिसिंग मी”

‘अचानक राहुल दरवाजे को खटखटा कर अंदर आ जाता है और कहता है माफ करना मैंने आपको तकलीफ दी बस चाय और आपके प्यार के लिए धन्यवाद कहने आया था। अब मैं पहले से बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं।’

“अगर मेरा बेटा होता, तो उसके लिए भी यही करती। इतने में कुकर की सीटी बजती है तो रश्मि कहती हैं खाना बना हुआ है, खा कर जाना।” “अरे नहीं आप फिर से तकलीफ़ मत कीजिए:

“अरे नहीं, बेटा खाना बना हुआ है।”

‘इस बीच राहुल की टेबल पर रखे फोटो फ्रेम पर नजर पड़ती है।’

रश्मि टेबल पर खाना लगाती है और कहती है

“बैठ जाओ बेटा, वैसे भी काफी सालों से सामने की कुर्सी पर कोई नहीं बैठा, कभी-कभी वैसे भी आ जाया करो। कुछ आवाजें हो तो अच्छा लगता है।”

“आपका बेटा कहां है?” राहुल ने पूछा

“रश्मि ने बताया, दिव्या ने एम.बी.ए. किया और अपने पति के साथ बेंगलुरु में रहती है। विजय आर्मी से रिटायर हुए थे और रोहित एम.बी.बी.एस. फाइनल में था, एक दिन विजय, रोहित को एयरपोर्ट से लेकर आ रहे थे कि रास्ते में एक्सीडेंट हो गया, दोनों ही मुझे अकेला छोड़ कर चले गए। मुझे तो वक्त ने इतना भी मौका नहीं दिया कि मैं उनके साथ आखिरी वक्त में उनके पास रह पाती बस। यह बताते बताते वह रोने लगती है और अपने आपको संभाल नहीं पाती।”

“माफ़ कीजिएगा आंटी”, कहकर पानी का गिलास आंटी को देता है और फिर खाना खाकर वहां से चला जाता है।

‘अगले दिन सुबह’

“रश्मि गीता से तुम फिर आज देर से आई हो, तुम्हें पता है ना कुछ बर्तन निकाले हुए हैं, उन्हें आज धो कर जाना बहुत जरूरी है।”

“क्या बताऊं मैं मेम साहब, रात को आदमी पीकर बहुत देर से आया। सुबह आंख ही नहीं खुली और तो और आज बेटी को भी खाने को कुछ नहीं दे सकी, प्याज तक नहीं थे घर में”

“तुझे कितनी बार समझाया है, यह सब क्यों बर्दाश्त करती हैं?”

“अरे नहीं मेम साहब, मेरा आदमी मुझे बहुत प्यार करता है, बस जब पी कर आता है तो रात को देरी कर देता है।”

रश्मि “मैं आज शाम को मंडी जाऊंगी और कुछ सब्जी तेरे लिए भी ले आऊंगी। कल सुबह याद से तुम जरूर ले जाना और ऐसे किसी चीज़ की जरूरत हो तो पहले बता दिया कर।”

“जी मेम साहब”

(शाम को घर के गेट पर रश्मि की गाड़ी रूकती है, रश्मि कार से सब्जी के थैले उतारती है, इतने में राहुल भी मोटरसाइकिल लेकर आ जाता है और राहुल रश्मि की मदद करने की कोशिश करते हुए उनका सामान उठाकर अंदर ले जाने की जिद करता है)

“कोई बात नहीं बेटा, मैं कर लूंगी”

राहुल ‘अपना प्यार से हक जताते हुए कहता है’

“आंटी अगर आपका अपना बेटा होता तो आप उसे भी यही कहती क्या?”

(रश्मि थोड़ी भावुक हो जाती हैं और मुस्कुरा कर उसे अपना सामान दे देती है जिसे लेकर राहुल बड़े मजे से घर के अंदर चला जाता है। अचानक रश्मि का फोन बज उठता है। रश्मि फोन उठाती है)

‘लड़के को एक्सक्यूज मी कहकर फोन सुनते हुए रसोई की तरफ चली जाती है और फोन पर मुस्कुरा कर वार्तालाप करते हुए शर्माती है और राहुल की तरफ बीच-बीच में नज़र चुरा कर देखती है, राहुल दूर से खड़ा, यह सब देख रहा होता है और रश्मि इशारे से राहुल को जाने का इशारा करती हैं।’

रश्मि (फोन पर)

“जिस मोड़ पर बिछुड़े थे, ज़िन्दगी ने आज फिर वही लाकर खड़ा कर दिया मैं चाहूं तो भी आगे बढ़ने की हिम्मत ही नहीं होती।”

राहुल बाहर की तरफ निकल जाता है। जैसे ही राहुल बाहर पहुंचता है, एक कोरियर वाला गेट पर खड़ा है। उससे कोरियर लेता है और साइन करके पेपर वापस कर देता है। वह आंटी का कोरियर देने के लिए अंदर आता है। बॉक्स के ऊपर लिखा होता है कि ” (कीप मिसिंग मी)” राहुल यह पढ़ लेता है। रशिम को बॉक्स देने अंदर आता है और देखता है की आंटी अभी भी फोन पर बात कर रही हैं।

“आंटी आपका कोरियर आया है।”

रश्मि (फोन पर)

“एक मिनट रुकना” (कोरियर लेते हुए की (मिसिंग मी) पढ़कर राहुल से नजरें चुराती है और बैंक यू बोल कर अंदर की तरफ बढ़ने लगती है) “और फोन पर कहती हैं तुमने भेजा है।”

राहुल यह बात सुन लेता है और मंद-मंद मुस्कुराता हुआ, वहां से निकल जाता है

(फोन पर दूसरी ओर) शरद : पुरानी यादें, अधूरे वादों को पूरा करना है नई शुरुआत के साथ…

“पुरानी यादें अधूरे वादों को पूरा करना चाहता हूं”

ज़िन्दगी को अब तबियत से

जीना चाहता हूं”

सारा दिन रश्मि खत के बारे में सोचती रहती है और पुरानी यादों में खोई रही, सोचते-सोचते रात हो गई। खत को अपने पास रखा हुआ है और गिफ्ट बॉक्स बिस्तर के ऊपर ही पड़ा है, उसे देखकर उसकी आंखों से आंसू झड़ रहे हैं।

“भूल से ही सही, भूलने की हर कोशिश की तुझको

मगर हर बार, अपने और करीब पाया मैंने तुझको”

अगले दिन सुबह रश्मि चाय बनाती है, कमरे में आकर चाय का कप टेबल पर रखने लगती है, अचानक ही टेबल पर पड़ा फोटो फ्रेम हिलता है और गिरने लगता है लेकिन रश्मि उसे बचा लेती है और बचाते हुए बोलती है “आज भी नहीं टूटने दिया। रिश्ते, चीजें और यादें संभाल कर रखे हैं। विजय तुम्हारे और रोहित के जाने के बाद बहुत ही अकेली पड़ गई, थक गई हूँ। कहते-कहते आंखें भर जाती हैं”

राहुल घर आते ही आंटी से पूछता है मेरे कोरियर का कोई पैकेट तो नहीं आया।

“हां टेबल पर रखा है, ले लो।”

राहुल कोरियर के पैकेट को उठाता है तो उसे टेबल पर आंटी का खुला हुआ गिफ्ट नजर आता है। गिफ्ट के बॉक्स के ढक्कन के ऊपर लिखा है तुम्हारे जवाब के इंतजार में और नीचे हार्ट का सिंबल बना हुआ है। राहुल वह पढ़ लेता है, इतने मे रश्मि किचन से आवाज़ लगाती है “बेटा चाय बनी हुई है पी कर जाना।”

ओके आंटी।

दोनो साथ बैठकर चाय पीते हैं।

राहुल चाय का एक बूंट पीने के बाद गहरी सांस भरकर कहता है, यादों को कैद किया जा सकता है? पर यादों में ज़िन्दगी को कैद नहीं कि जा सकती। कैसे अकेले काटोगे जिन्दगी?

रश्मि हैरान-परेशान होकर, राहुल की ओर देखती है।

राहुल, कई लोग जिन्दगी भर जीने की तैयारी में वक्त बिता देते हैं, वह जी ही नहीं पाते. उन्हें लगता है कि जिन्दगी को कल जी लेंगे पर वह जानते ही नहीं ज़िन्दगी जीने का नाम आज ही है। माफ करना आंटी, पर जिन्दगी जब दोबारा मौका दे तो खोना नहीं चाहिए, अपने अधूरे प्यार को पूरा कर लीजिए।

रश्मि, राहुल को घूरती हुई, गहरी सांस लेती है और कहती है, कॉलेज में उसके इजहार और मेरे इकरार में फासला रह गया था और आज उम्र के इस पड़ाव में रिश्तों ने जो फासला बनाया है। उसे तोड़ पाना इतना आसान नहीं है। कॉलेज छूटने के बाद, हम कभी नहीं मिले। अभी कुछ दिन पहले ही फेसबुक पर अचानक, किसी दोस्त के जरिए हमारी बातचीत शुरू हुई और अभी तक फोन पर ही बात हो रही है।

ज़िन्दगी आगे बढ़ने का नाम है आंटी और फिर अपनी ज़िन्दगी के फैसले लेने का हक केवल आपका है। कोई क्या सोचेगा, इन सबका डर निकाल कर अपनी ज़िन्दगी में लौटने की कोशिश कीजिए।

लेकिन बेटा “एक औरत के लिए सबसे बड़ा बंधन और बेड़ी ये समाज होता है और एक औरत समाज से नही लड़ सकती, समाज के बंधनों को नहीं तोड़ सकती।”

राहुल, “जब आप मुश्किल में रहते हैं या रोती हैं तो यह समाज आपको आकर खुश नहीं करता। यह समाज भी हम ही लोगों से बना है, हम अपनी सोच बदलेंगे तभी यह समाज भी बदलेगा।”

‘किसी के जाने से सफ़र तो नहीं खत्म हो जाता ज़िन्दगी का

रेंगती ही रहती है जिन्दगी पटरियों पर किसी रेल की तरह’

रशिम थोड़ी-सी हिचकिचाहट दिखाते हुए साथ ही खुशी का इज़हार भी करती है।

थैंक यू राहुल

राहुल की आंखे भर आती है और अचानक बात बदलते कहता है तो कब मिलवा रही हो अपने बॉयफ्रेंड से?

(इस बात पर दोनों हंस पड़ते हैं।)

रश्मि (हंसते हुए) अगले सप्ताह

(एक सप्ताह बाद)

रश्मि और शरद किचन में काम कर रहे हैं और राहुल के आने का इंतज़ार भी कर रहे हैं।

शरद रसोई में रश्मि का हाथ बटाते हुए उसे समझाते हुए कहते हैं बिल की पेमेंट फोन से किया करो। बाहर जाकर थकने की ज़रूरत नहीं और एटीएम की बजाय नेट बैंकिंग इस्तेमाल किया करो, अपनी बॉडी मसाज वाली को भी बुला लिया करो, ये जो दर्द की शिकायत हर वक्त करती रहती हो सब खत्म हो जाएंगी।

रश्मि मुस्कुरा कर शर्माते हुए बोली, इन सब कामों के लिए तुम्हें हसबैंड रख रही हूं ना।

शरद, क्या? (इतना कहकर दोनों एक-दूसरे के गले लग जाते हैं)

“हां मैंने आज भी संभाल कर रखी है, तेरी मैली-सी वो कमीज़ धो तो सकती थी, मगर तेरी खुशबू चली जाती”

(अचानक लड़की की आवाजें आती हैं।)

दिव्या- मां, मां

रशिम और शरद को एक साथ देखती है।

(अगले दिन बात खुलती है कि शरद राहुल का पिता है, राहुल अपने पिता के इस निर्णय को सराहता है क्योंकि मां के जाने के बाद वह अक्सर ज़िद करता था और अपने पिता को समझाता था कि ज़िन्दगी अकेले नहीं कटती और आज उनके इस निर्णय पर वह बहुत खुश था)

राहुल अपने पापा के कोट पर फूल लगा रहा है और बोलता है “अब आप लग रहे हैं खूबसूरत दुल्हे मतलब (नाउ यू लुकिंग द परफेक्ट ब्राइडग्रूम) पापा”

(दूसरी तरफ दिव्या अपनी मां को बोलती है)

“मैं आपके इस फैसले से बहुत खुश हूँ, आपको ज़िन्दगी मे आगे बढ़ना चाहिए। नाउ यू मूव ऑन”

“ज़िन्दगी में यह मिलन जरूरी है

फिर वह चाहे हो जिस तरह

अगर की मैंने देर, क्या पता तुम मिल जाओ

और जिन्दगी ही छूट जाए।”

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’

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