Hindi Motivational Story: प्रेम के पिताजी एक फैक्टरी में नौकरी करते थे। उसकी माँ लोगों के घर का काम करके कुछ पैसे कमाकर लाती थी। पति-पत्नी कड़ी मेहनत सिर्फ़ इसलिए करते थे कि प्रेम पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी कर सके। प्रेम भी एक आदर्श बेटे की तरह मन लगाकर पढ़ाई करता था बारहवीं पास करने के बाद प्रेम आई टी आई में पढ़ाई करने लगा। कुछ ही समय बाद उसे नौकरी मिल गई। प्रेम की कमाई से धीरे-धीरे उसके माता-पिता को राहत मिली। कुछ ही वर्षों में प्रेम ने अपना घर बना लिया, और फिर एक गाड़ी भी ले ली। प्रेम अपने काम में इतना मसरूफ़ रहता कि उसके माता-पिता के लिए ज़रा भी समय ना बच पाता। जब भी माता-पिता उससे उसकी व्यस्तता के बारे में पूछते, तो वह कहता, मैं यह सब आपके लिए ही तो कर रहा हूँ।
प्रेम की जब भी एक ख़्वाहिश पूरी हो जाती, वह दूसरी के पीछे भागने लगता। कुछ ही दिनों में प्रेम को विदेश जाने का मौका मिला। वह अपने माता-पिता से यह कहकर विदेश चला गया कि अब मैं आप दोनों को जल्द ही विदेश बुलाऊँगा। लेकिन प्रेम को विदेश में अपना पैर जमाने में कई साल लग गए। इधर माता-पिता की तबीयत भी ख़राब रहने लगी। जब भी माता-पिता प्रेम से वापस आने को कहते, वह मुस्कुरा कर जवाब देता कि बस मैं यहाँ अपना काम समेट लूँ, फिर आता हूँ। बदले में प्रेम अपने माता-पिता को ढेर सारे पैसे भेज देता और अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेता।
फिर एक दिन प्रेम को माँ का फोन आया कि पिता की तबियत बहुत बिगड़ गई है और वह अस्पताल में भर्ती है। प्रेम ने पहले तो खूब सारा पैसा घर भेजा, फिर देश लौटने की तैयारी करने लगा। लेकिन जब वह वापस अपने घर पहुँचा, तब तक उसके पिता उससे बहुत दूर जा चुके थे। प्रेम ने अपने जीवन में बहुत कुछ कमाया, लेकिन वह अपनी सारी दौलत देकर भी अपने माता-पिता के साथ सुकून के कुछ पल नहीं बिता सका।
यह जरुरी नहीं कि जिनके पास सब कुछ हो, उनके पास ख़ुशी भी हो।
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