Mujhe Maaf Kar Do
Mujhe Maaf Kar Do

Hindi Motivational Story: रात के दो बजे थे। कमरे में अँधेरा और खामोशी पसरी थी। सुदीप की नींद टूटी तो उसने हाथ बढ़ाकर बगल में टटोला, बिस्तर खाली था। उसका दिल जैसे अचानक तेज़ धड़कने लगा।
“कहाँ गई होगी इस वक्त?”
वह बाथरूम तक गया, खाली। किचन, खाली। ड्राइंग रूम, सिर्फ सन्नाटा।
कदम अब सीढ़ियों की ओर बढ़े। आधी सीढ़ी चढ़ते ही उसने हल्की-सी आवाज़ सुनी, छत से… जैसे कोई धीमे-धीमे बोल रहा हो। वह ठिठक गया।
यह मेघा की आवाज थी, मुलायम, पर उस मुलायमपन में एक अजनबी गर्मी थी, “…मनीष, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ… तुम्हारे लिए अपने पति को छोड़ सकती हूँ।”
सुदीप के भीतर जैसे कोई काँटा चुभ गया। गर्म रात में भी उसे ठंडी लहर ने घेर लिया। हाथ-पाँव सुन्न पड़ गए, पर कान और चौकस हो गए।
“कल वे बेंगलुरु जा रहे हैं… हफ़्ते भर के लिए… तुम्हें फोन करूँगी, तुम आ जाना… गुड नाइट।”
फोन के कटते ही सुदीप ने दरवाज़ा खोला।
मेघा चौंकी, फिर चेहरा सँभालने की कोशिश की, “आप… यहाँ?”
“हाँ, तुम्हें बिस्तर पर न पाकर ढूँढता हुआ यहाँ आ गया। किससे बातें कर रही थी?”
“मैं… मम्मी से…”
“मम्मी से? या अपने प्रेमी से?”
मेघा की आँखों में क्षण-भर के लिए डर चमका, फिर वह भी तल्ख हो गई, “आप बेवजह इल्ज़ाम क्यों लगा रहे हैं?”
“इल्ज़ाम नहीं, सच कह रहा हूँ। सब सुन लिया मैंने। कब से चल रहा है ये?”
“जब जान ही गए हैं तो सुन लीजिए, मैं मनीष से प्यार करती हूँ… उसके बिना नहीं रह सकती।”
सुदीप का गला सूख गया, “मनीष… वही जिसे तुमने चार महीने पहले मुझसे मिलवाया था?”
“हाँ।”
“और तुम जानती हो वो शादीशुदा है?”
“हाँ… और उसकी अनपढ़ पत्नी उसका जीवन बर्बाद कर रही है।”
सुदीप का स्वर काँप उठा, “और मेरा जीवन? मैं क्या हूँ तुम्हारे लिए?”
मेघा चुप रही।
सुदीप को लगा, उसके भीतर अब भी कहीं उम्मीद बची है कि मेघा शायद कह दे—“तुम मेरे सब कुछ हो।”
पर वो ख़ामोशी सब कह गई।
“मेघा, उसने तुम्हें बस फँसाया है… ऐसे मर्द सिर्फ जिस्म से मतलब रखते हैं।”
“नहीं… वो अच्छा इंसान है।”
सुदीप ने गुस्से में उसका मोबाइल छीन लिया, “मैं इसे तोड़ दूँगा। देखता हूँ उससे कैसे बात करती हो।”
मेघा का स्वर अब ठंडा और कटाक्ष भरा था, “तोड़ दीजिए… लेकिन मेरे दिल से उसे कैसे निकालेंगे?”
सुदीप ने लंबे मौन के बाद कहा, “ठीक है। अगर सचमुच उसके साथ रहना चाहती हो, तो एक शर्त है? उसे कहो कि पहले अपनी पत्नी को तलाक दे। अगर वो मान जाए, तो मैं तुम्हें आज़ाद कर दूँगा।”
“ठीक है… कल ही बात करूँगी।”
उस रात सुदीप ने बिस्तर की बजाय हॉल के सोफे पर लेटकर गुज़ारी।
नींद नहीं आई। बस छत पर फैला अँधेरा और भीतर पसरी चुभन साथ थी।
एक हफ़्ते बाद टूर से लौटकर वह घर पहुँचा।
मेघा मोबाइल में व्यस्त थी।
“मनीष से बात हुई?”
“नहीं… तुम्हारे जाने वाले दिन ही उसके पिता को हार्ट अटैक आया था। आज ठीक होकर घर आए हैं। आज शाम बात करूँगी।”
शाम ढली तो मेघा ने मनीष को कॉल किया, सुदीप के कहने पर स्पीकर ऑन किया।
“हाँ बोलो, मेघा।”
“मनीष… मैं चाहती हूँ कि तुम अपनी पत्नी को तलाक दे दो। फिर मैं भी सुदीप से तलाक लेकर तुमसे शादी कर लूँगी। जब तक ये नहीं होता, हम नहीं मिलेंगे।”
“ये क्या बकवास है?”
“बकवास नहीं… मैं तुम्हारी पत्नी बनना चाहती हूँ, रखैल नहीं।”
कुछ पल की चुप्पी… फिर मनीष का ठंडा स्वर, “मैं अपनी पत्नी को तलाक नहीं दे सकता।”
मेघा के होंठ काँप उठे, “यानि तुम…”
लेकिन उससे पहले ही कॉल कट गया। उसका मोबाइल हाथ से छूटकर सोफे पर गिरा, और वह फूट-फूटकर रो पड़ी।
सुदीप ने धीमे से कहा, “अब समझ आई सच्चाई? अगर वो सचमुच प्यार करता, तो तुम्हारी बात मानता।”
मेघा उठी, उसकी ओर बढ़ी, और सिसकते हुए उसके सीने से लग गई, “प्लीज़… मुझे माफ़ कर दो सुदीप…”
सुदीप ने उसके आँसू पोंछे, “जो हुआ, उसे भूल जाओ… आज से हम नई शुरुआत करेंगे।”
कमरे में अब भी अँधेरा था, पर लगता था—कहीं एक हल्की सी रोशनी फिर से लौट आई है।