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Hindi Motivational Story: एक लड़का था, जिसे बहुत और बात बात पर गुस्सा आ जाता था। यह देखकर उसके बुद्धिमान पिता ने उसे कीलों की एक थैली दी और कहा, ‘जब भी तुम्हें गुस्सा आए तो तुम इस लकड़ी के तख़्ते पर एक कील ठोक देना। चूँकि पिता का आदेश था इसलिए लड़के को यह बात माननी पड़ी।

पहले दिन लड़के ने 35 कीलें उस लकड़ी के तख़्ते पर ठोंक दी। जैसे-जैसे दिन बीतते गए लड़का अपने गुस्से पर काबू पाना कुछ हद तक सीख गया और दिन-ब-दिन तख़्ते पर, प्रतिदिन ठोंकी गई कीलों की संख्या कम होने लगी। लड़के ने महसूस किया कि अपने गुस्से पर काबू पाना आसान है बजाए लकड़ी के तख़्ते पर कील ठोंकने से। फिर एक दिन ऐसा भी आया कि उस दिन लड़के को एक बार भी गुस्सा नहीं आया उसने यह बात अपने पिता को बताई। पिता ने कहा”, बहुत अच्छा, अब तुम ऐसा करो, जब भी तुम गुस्से पर काबू पा लो तो तुम तख़्ते से एक कील निकाल लो। “इसी तरह दिन बीतते गए और एक दिन लड़के ने अपने पिता को बताया कि तख़्ते से सब कीलें निकल चुकी है। उसके पिता यह सुनकर उसे तख़्ते के पास ले गए और कहा, ‘मेरे बेटे, तुमने बहुत अच्छा काम किया लेकिन अब इस तख़्ते को देखो, यह तख़्ता जो पहले खूबसूरत था, पहले जैसा कभी नहीं हो पाएगा। जब तुम गुस्से की हालत में अपशब्द कहते हो तो वह सुनने वाले के मन में और ख़ुद तुम्हारे मन में भी एक गहरा निशान बना देता है, जिसे कभी नहीं मिटाया जा सकता।

अगली बार आपको गुस्सा आए तो उस पर काबू करने की कोशिश कीजिए और कड़े शब्दों के इस्तेमाल से बचिए क्योंकि आपके कहे शब्द कभी वापिस नहीं आएंगे और आपके पछतावे और माफ़ी माँगने के बावजूद स्थाई नुकसान पहुँचा चुके होंगे।

ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंNaye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)