Hindi Love Story: शादी का मौसम था और घर में हर तरफ चहल-पहल थी। हल्दी-मेहंदी की महक, ढोल-नगाड़ों की गूंज, हंसी-ठिठोली से पूरा घर जीवंत था। मेरी दीदी सिया की शादी थी और पूरे घर में खुशी का माहौल था। मैं यानी नायरा घर की सबसे छोटी और सबसे शरारती लड़की थी। इस शादी में मेरी खास ड्यूटी थी जिसमें हर रस्म में जान डालना, हर मौके पर मज़ाक करना और दीदी को हल्की-फुल्की टेंशन देना। लेकिन मुझे क्या पता था कि इस शादी में एक शख्स मेरी जिंदगी को उलझा देगा और वो था मेरी दीदी का देवर आरव!
पहली बार मैंने उसे मेहंदी की रस्म में देखा। लंबा कद, हल्की दाढ़ी, हल्के भूरे बाल और आंखों में शरारत की एक खास चमक। वह अपने भाई के साथ रस्म निभा रहा था, लेकिन जैसे ही हमारी नजरें टकराईं, उसने हल्की-सी मुस्कान दी।
मेरी कजिन रिया ने कान में फुसफुसाया, अरे वाह! यह कौन है?
मैंने कंधे उचकाकर जवाब दिया – दीदी का देवर।
उसने शरारती अंदाज में कहा – और तू अब तक मिली क्यों नहीं?
मैंने हंसते हुए जवाब दिया – शायद किस्मत को वक्त चाहिए था
मुझे खुद भी समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों हुआ, मगर आरव की नजरें मुझ पर थी और मेरी बेचैनी बढ़ रही थी।

आरव को जैसे मेरा नाम ही याद नहीं रहता था। जब भी सामने आता, नए-नए नाम से बुलाता कभी मिस मेहंदी, कभी गुलाबो, तो कभी शर्मीली।
एक दिन रस्मों के दौरान मैं स्टेज के पास खड़ी थी, तभी अचानक मेरा दुपट्टा खिंच गया। चौंककर पीछे मुड़ी तो देखा, आरव था!
क्या प्रॉब्लम है तुम्हारी? मैंने गुस्से से पूछा।
कोई प्रॉब्लम नहीं, बस देख रहा था कि तुम गिरे बिना डांस कर सकती हो या नहीं, उसने मासूमियत से कहा।
ओह! तो अब मैं चल भी नहीं सकती?
नहीं, वो भी मैं ही सिखाऊंगा, उसने आंख मारते हुए कहा।
मेरा चेहरा गुस्से से लाल हो गया, लेकिन दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं।
हल्दी का दिन आया। जैसे ही मैंने दीदी के चेहरे पर हल्दी लगाई, अचानक किसी ने मेरे गालों पर हल्दी लगा दी।
मैंने गुस्से से पलटकर देखा- आरव!
तुम पागल हो गए हो क्या? मैंने गुस्से से कहा।
अब हल्दी लग ही गई है तो सोच लो, अगला नंबर तुम्हारा भी हो सकता है, आरव ने मुस्कुराते हुए कहा।
सपने देखना बंद करो! मैंने गुस्से में कहा और बदला लेने के लिए एक मुट्ठी हल्दी उठा ली।
आरव यह देखकर तुरंत भागा, लेकिन मैं भी कहां कम थी! पूरा घर हमारी इस हल्दी की जंग से हंस-हंसकर लोटपोट हो गया। आखिरकार मैंने उसे पकड़ ही लिया और हल्दी उसके गालों पर मल दी।
तुम सच में दीदी के देवर नहीं, अब हल्दी के रंगे शेर लग रहे हो! मैंने हंसते हुए कहा।

अब शादी की तैयारियों में मैं व्यस्त हो गई थी, मगर आरव हर जगह मौजूद रहता। जब मैं फूलों की सजावट देख रही थी, वह अचानक आकर बोला, तुम्हारे बालों में गुलाब अच्छा लगेगा।
जब मैं किचन में मिठाइयों की ट्रे सजा रही थी, वह पीछे से आकर धीरे से कहता, तुम्हारी मीठी बातें भी इतनी ही टेस्टी होती हैं क्या?
मैं हमेशा उसे झिड़क देती, मगर मन ही मन उसकी मौजूदगी अच्छी लगने लगी थी।
संगीत की रात आई, और मैं गुलाबी लहंगे में तैयार हुई। जैसे ही मैं स्टेज पर परफॉर्म करने के लिए आई, मेरी नजरें खुद-ब-खुद आरव की ओर चली गईं। वह मेरी तरफ देख रहा था, उसकी आंखों में कुछ ऐसा था जिससे मैं बच नहीं पा रही थी।
डांस खत्म होने के बाद जब मैं स्टेज से उतरी, उसने धीमे से कहा, आज तो सच में तुम सबसे खूबसूरत लग रही हो। मैंने कोई जवाब नहीं दिया, बस नजरें चुराकर वहां से चली गई। मगर दिल के कोने में कुछ हलचल थी।
उस दिन शादी की रस्में देर रात तक चलीं। मैं बहुत थक चुकी थी, लेकिन दिमाग किसी और बात में उलझा हुआ था, आज पूरे दिन आरव कहीं नहीं दिखा था। यह और भी अजीब था क्योंकि पिछले कई दिनों से वो हर जगह मेरे सामने आ जाता था।
रात को हल्की ठंडी हवा चल रही थी। मैं छत पर चली गई, थोड़ी शांति चाहिए थी। चांदनी रात में हल्की-हल्की रोशनी चारों ओर फैली हुई थी। नीचे शादी की तैयारियों की हलचल चल रही थी, लेकिन छत पर एक अजीब-सी शांति थी।
तभी पीछे से किसी की आहट सुनाई दी। मैं पलटी और सामने आरव था। उसकी आंखों में बेचैनी थी, जैसे कुछ कहना चाहता हो।
तुम यहां क्या कर रहे हो? मैंने हल्की नाराज़गी दिखाते हुए पूछा।
तुमसे मिलने आया हूं। पूरा दिन तुमसे बात नहीं हुई और अब और इंतजार नहीं हो रहा था। उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी तड़प थी।
मुझे समझ नहीं आया कि क्या कहूं। हवा और ठंडी हो गई थी, लेकिन दिल की धड़कनें तेज़।
इतनी जल्दी मिस करने लगे? मैंने हल्की मुस्कान छिपाते हुए कहा।
अगर कहूं कि पहले दिन से ही कर रहा था, तो? उसने धीरे से कहा और मेरी तरफ बढ़ा।
मेरे हाथों में ठंड लग रही थी और शायद वो ये समझ गया। उसने धीरे से मेरी हथेलियां पकड़ लीं।
तुम्हारी उंगलियां इतनी ठंडी क्यों हैं?
शायद हवा ज्यादा ठंडी है, मैंने धीरे से जवाब दिया।
या फिर तुम्हारा दिल धड़क रहा है? उसकी आवाज़ में हल्की शरारत थी, लेकिन इस बार वो गंभीर था।
हम दोनों के बीच सिर्फ कुछ इंच की दूरी थी। चांद की रोशनी उसकी आंखों में गिर रही थी और उन आंखों में कुछ ऐसा था जिससे नजरें हटाना मुश्किल था।
तुम… कुछ ज्यादा ही बोलते हो, मैंने खुद को सामान्य करने की कोशिश की।
और तुम कुछ ज्यादा ही नज़रे चुराती हो, उसने धीरे से कहा और मेरी उंगलियों को अपने हाथों में कस लिया।
कुछ देर तक हम दोनों बस यूं ही खड़े रहे, बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने… बस एक-दूसरे को महसूस करते हुए।
चलो, अब सो जाओ, मैंने धीरे से कहा और हाथ छुड़ाने की कोशिश की।
लेकिन उसने हल्का-सा खींचकर मुझे फिर से रोक लिया।
अगर अभी जाने दिया, तो कल से फिर तुम्हें ढूंढने की आदत पड़ जाएगी, उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
मैंने झेंपते हुए उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ाया और भागते हुए सीढ़ियों की तरफ बढ़ी। लेकिन मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कान थी… और आरव की आंखों में एक वादा कि यह कहानी यहीं खत्म नहीं होगी।

शादी का आखिरी दिन आ गया…विदाई। दीदी को गले लगाकर जब मैं रोने लगी, तब पहली बार आरव ने बिना किसी मजाक के मेरी तरफ देखा। उसने धीरे से मेरा हाथ थामा।
मत रो, मैं हूं न!
क्यों? मैंने आंसू पोंछते हुए पूछा।
क्योंकि… मैं तुम्हें पसंद करता हूं, उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
मैं अवाक रह गई।
अब क्या करोगे? मैंने हिम्मत करके पूछा।
अब बस तुम्हारे हां का इंतजार करूंगा, फिर अगली शादी की तैयारी करेंगे, उसने मुस्कुराते हुए कहा।
और मैं… बिना कुछ कहे, बस मुस्कुरा दी।
