मैंने बचपन को जिया है इस शहर में-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Mene Bachpan ko Jiya Hain Iss Sehar Mein

Hindi Kahani: उत्तराखंड का एक प्रमुख हिल स्टेशन रानीखेत जिसकी प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है, यही मेरी जन्मस्थली है ,जहां मेरा बचपन गुजरा, दसवीं तक मैंने रानीखेत में ही रहकर पढ़ाई की, फिर उसके बाद पापा का रिटायरमेंट हो गया और हम लोग दूसरे शहर हल्द्वानी आकर बस गए ,आज शादी के बाद में प्रयागराज में रहती हूं, लेकिन जो रानीखेत में समय बिताया वो समय मेरी जिंदगी का सबसे बेहतरीन समय रहा है, वहां की प्राकृतिक सौंदर्यता, शांत वातावरण, देवदार के ऊंचे पेड़ हिमालय की ऊंची ऊंची चोटियां विभिन्न देवी देवताओं के मंदिर आज भी याद आते हैं, उस समय स्कूल बस की सुविधा नहीं हुआ करती थी तब हम भाई बहन सब मिलकर स्कूल पैदल ही जाया करते थे, स्कूल के रास्ते में सोमनाथ ग्राउंड था वहां अपने देश के जवानों को देखकर बहुत खुशी होती थी और उन जवानों का जोश और जज्बा देखकर मन में देशभक्ति की भावना जाग उठती थी, 15 अगस्त 26 जनवरी के दिन वहां देखने लायक नजारा रहता था, रानीखेत में ठंड के दिनों में रामलीला ग्राउंड में मेला लगता था तब हम सब आस पड़ोस के बच्चे अपनी मम्मी पापा के साथ मिलकर मेला घूमने जाया करते थे, और गर्मियों में वही पर रामलीला देखने भी साथ ही जाया करते थे, जाड़ों के दिनों में रानीखेत में बर्फ गिरा करती थी जब बर्फ गिरती थी तो हम बाहर एक बर्तन रख देते थे और उसे बर्तन में गिरी बर्फ का गोला बना गुड़ के साथ खाते थे ताज्जुब की बात है कि उस बर्फ से ना तो कभी सर्दी जुकाम हुआ ना ही कभी बीमार हुए और आज थोड़ा भी ठंडा पानी पी ले तो गला खराब हो जाता है ,वह बचपन के दिन बहुत ही शानदार रहे आज कई साल हो गए लेकिन आज भी अपना वो शहर अपने आस पड़ोस के लोग वहां बिताया अपना बचपन और बहुत सी यादें मेरी जहन में है और हमेशा रहेंगी।

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