मासूम आरव : गृहलक्ष्मी की कहानियां

उसकी मासूम मुस्कान, चमकती आंखें और दुनिया को समझने की कोशिश करती नजरें सुमन के दिल को हर दिन उम्मीदों से भर देती थीं।

Hindi Short Stories: सुमन एक साधारण गृहिणी थी, उसकी पूरी दुनिया उसके इकलौते बेटे आरव में ही सिमटी हुई थी। आरव जन्म से ही एक स्पेशल चाइल्ड था। उसे बोलने, समझने और छोटी-छोटी बातें सीखने में काफी परेशानी होती थी। लेकिन उसकी मासूम मुस्कान, चमकती आंखें और दुनिया को समझने की कोशिश करती नजरें सुमन के दिल को हर दिन उम्मीदों से भर देती थीं। सुमन ने अपने बेटे के लिए कई सपने देखे थे। वह चाहती थी कि आरव भी बाकी बच्चों की तरह स्कूल जाए, नए दोस्त बनाए, सीखे, बढ़े और एक दिन आत्मनिर्भर बने। हालांकि समाज की सोच और लोगों की बातें कई बार उसकी हिम्मत तोड़ने की कोशिश करती थीं, लेकिन ये भी एक सच है एक माँ की उम्मीदें कभी हार नहीं मानतीं।

एक दिन सुमन ने ठान लिया कि अब आरव का एडमिशन एक अच्छे प्राइवेट स्कूल में करवा कर रहेगी। वह मन में ढेर सारी उम्मीदें लेकर स्कूल पहुँची। वहाँ के प्रिंसिपल ने आरव से कुछ सामान्य सवाल पूछे, लेकिन आरव पहली बार उनसे मिला था इसलिए थोड़ा नर्वस हो गया और उन सवालों को ठीक से समझ भी नहीं पाया।

कुछ ही मिनटों में उन्होंने कह दिया, “मैम, हम सिर्फ़ सामान्य बच्चों को ही एडमिशन देते हैं। आपके बेटे के लिए स्पेशल स्कूल ज़्यादा ठीक रहेगा। हम आपकी कोई मदद नहीं कर सकते। सुमन को ऐसी उम्मीद बिलकुल नहीं थी। उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसे महसूस हुआ जैसे किसी ने उसके सपनों को एक ही झटके में तोड़ दिया।

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Happy family

आँखों में आँसू लिए वह स्कूल से बाहर निकल आई, लेकिन उसके भीतर की माँ ने हार नहीं मानी। उसने सोच लिया था कि अगर स्कूल उसके बेटे को नहीं अपनाता, तो वह खुद उसका स्कूल बन जाएगी। अगले ही दिन से सुमन ने घर पर ही आरव की पढ़ाई की शुरुआत कर दी। उसने इंटरनेट पर रिसर्च की, किताबें पढ़ीं, और ऐसे तरीके अपनाए जो स्पेशल बच्चों के लिए मददगार होते हैं।

रंगों से खेलते-खेलते आरव ने बड़ी आसानी से अक्षरों की पहचान करना शुरू कर दिया था। सुमन ने गिनती के लिए छोटे-छोटे खिलौने इस्तेमाल किए, और कहानियों के ज़रिए समझाना शुरू किया।

Positive parenting
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हर बार जब आरव कोई नई चीज़ सीखता, सुमन उसकी जमकर तारीफ़ करती। माँ का ऐसा व्यवहार देख आरव का आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था। धीरे-धीरे आरव ने रंग पहचानना, अक्षर पढ़ना और छोटे वाक्य बोलना भी शुरू कर दिया। उसकी ये सभी कोशिशें किसी चमत्कार से कम नहीं थी।

सुमन ने आरव के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा करने शुरू किए, ताकि सभी स्पेशल बच्चों के माता-पिता को भी प्रेरणा मिल सके। देखते ही देखते उसके वीडियो वायरल होने लगे। बहुत से माता-पिता सुमन से संपर्क करते थे और उसकी मदद से अपने बच्चों को पढ़ाने के आसान तरीके अपनाने लगे थे।

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कुछ महीनों बाद उसी स्कूल के प्रिंसिपल ने सुमन से संपर्क किया जिन्होंने कुछ समय पहले आरव को एडमिशन देने से साफ़ इनकार कर दिया था। प्रिंसिपल ने फ़ोन पर सुमन से कहा मैम मै आपसे माफ़ी माँगना चाहता हूं। हमने आरव के वीडियो देखे हैं। वह बहुत ही खूबसूरत तरीके से आगे बढ़ रहा है। वह दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन चुका है। हम चाहते हैं कि वह हमारे क्लासरूम का हिस्सा बने।”

सुमन की आँखों से आँसू बह निकले — लेकिन इस बार ये आँसू दर्द के नहीं, बल्कि गर्व और जीत के थे। आज आरव उसी स्कूल में पढ़ता है, जहाँ एक दिन उसे नकार दिया गया था। बच्चे उसे “हीरो” कहकर बुलाते हैं। माँ की मदद से आरव ने ये साबित कर दिखाया था कि विशेष होने का मतलब कमजोर होना नहीं होता।

और सुमन अब सिर्फ़ एक माँ नहीं, बल्कि हज़ारों माता-पिता की प्रेरणास्रोत बन चुकी थी।

उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली तरूणा ने 2020 में यूट्यूब चैनल के ज़रिए अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद इंडिया टीवी के लिए आर्टिकल्स लिखे और नीलेश मिश्रा की वेबसाइट पर कहानियाँ प्रकाशित हुईं। वर्तमान में देश की अग्रणी महिला पत्रिका...