मां के नौ रुप और एक मेरी मां—गृहलक्ष्मी की कहानी
Maa ke Nau Roop aur Ek Meri Maa

Navratri Special Story: रश्मी प्रतिदिन की तरह जब मार्निग वाक करने के लिए अपने घर से निकली तो उसे रास्ते में कॉलोनी की अन्य औरते भी मिल गई जो उसके साथ प्रतिदिन मोर्निग वॉक करने जाया करती थी. वे उनके साथ सड़क की मोड़ की तरफ अभी पहुंची भी नही थी कि तभी कचरे फेकने वाली नगर पालिका की कचरा पेटी के पास ही उसने कुछ लोगो की भीड़ इकट्ठी देखी तो रश्मी ने अपने साथ की उन औरतों से कहा कि,– पता नही क्यो वहा इतनी भीड़ इकट्ठी है ? चलो !चलकर देखते है कि आखिर बात क्या हैं?

अरे! जानें दे रश्मी अगर कोई बात भी होगी तो इससे हम लोगो का क्या लेना देना? वैसे भी वहा हमसे और तुमसे पहले ही बहुत से लोग खड़े है लेकिन रश्मी नही मानी वे उस कचरा फेंकने वाली पेटी की तरफ़ चल पड़ी. तो मजबूर होकर वे औरतें भी रश्मी के पीछे-पीछे चल पड़ी वहा उन सभी ने देखा कि उस कचरा फेकने वाली पेटी के अंदर किसी कलयुगी मां ने एक नवजात बच्ची को खुदरे कपड़े में लपेटकर रात के किसी प्रहर इसे यहां फेक गई है उसी औरत को यहां इकट्ठी भीड़ भला-बुरा और अनाप-शनाप कहने में व्यस्त थी.

लेकिन उस इकट्टी भीड़ में से किसी ने भी ये नही सोचा कि, उस नवजात बच्ची की उस पत्थर दिल मां को कुछ अनाप-शनाप कहने से कही ज्यादा जरूरी था कि, वे उस बच्ची को सबसे पहले कचरे की पेटी में से निकाल कर अपने सीने से लगा लेते . तभी रश्मी की नज़र उस नवजात बच्ची के शरीर पर पड़ी तो उसके होठों से बरबस एक चीख निकल पड़ी. दरअसल! उस नवजात बच्ची के शरीर पर कई जगह लाल रंग के चकत्ते जैसे निशान पड़ गए थे. उस निशान से ये साफ लग रहा था कि इस नवजात बच्ची को पूरी रात इन लाल रंग की चींटियों ने काटा हैं .

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तभी रश्मी ने उस नवजात बच्ची के शरीर पर एक बार फिर से चींटियों को चढ़ते हुए देखा तो उस नवजात बच्ची की पीड़ा का एहसास कर वह बुरी तरह से सिहर उठी. उसे लगा कि, अब अगर इस नवजात बच्ची को इस कचरे की पेटी से नही निकाला गया तो शायद ये नवजात बच्ची इसी कचरे की पेटी में अपना दम तोड़ देगी.रश्मी ने मन ही मन एक निर्णय ले लिया और उसने उस नवजात बच्ची को कचरे की पेटी से निकाल कर अपने सीने से लगा लिया. लेकिन तभी उसके मुंह से निकला हे! भगवान इस बच्ची का तो पूरा शरीर ही बुखार की वजह से बुरी तरह से जल रहा हैं.

रश्मी ने एक नज़र वहा इकठ्ठी भीड़ की तरफ देखा तो उसके होठों से ये ना चाहते हुए भी निकल गया कि “आप में से अधिकांश लोग परसो से प्रारंभ हो रही नवरात्रि का व्रत रखेंगे और घरों में नौ दिन तक कन्या और मां के विभिन्न रूपों की पूजा व आराधना करेंगे लेकिन ये नवजात बच्ची एक अदद मां के सीने से लगने के लिए इस कचरे की पेटी में तड़प रही थी लेकिन आप सब की इस इकट्ठी भीड़ में से किसी भी पुरुष पिता या मां की कोख या उसकी लोरी वाला वह आंचल क्यो इस नवजात बच्ची के लिए नही तड़पा ये हमारे इस सभ्य कहे जाने वाले समाज के लिए काफी शर्म की बात है.” खैर आप सभी परेशान ना हो ये कचरे की पेटी में फेकी गई कोई नजायज नवजात बच्ची नही.

बल्कि ये अपनी इस मां की बेटी है. इतना कह के रश्मी ने उसे अपने सीने से लगा लिया और बिना मार्निग वॉक किए वह अपने घर लौट आई. जबकि उसके साथ की औरतो ने उससे रास्ते में कहा भी कि, कही तू पागल तो नही हो गई रश्मी ! क्या तेरा पति तेरा परिवार और तेरे खुद का बेटा इसे स्विकार करेगा ? अरे! पगली तू एक बार और सोच लें क्योंकि ये कहना आसान है लेकिन करना बहुत मुश्किल. तो रश्मी बोली,– ‘कोई इसे स्विकार करे या ना करे लेकिन मैंने इसे अगर बेटी स्विकार लिया हैं तो अब मैं कुछ भी हो जाए इसे अपने से जुदा नहीं करूंगी.’

लेकिन रश्मी के घर रश्मी के इस फैसले का सभी ने स्वागत किया. इतना ही नही रश्मी के बेटे राहुल ने उसका नाम अपने मम्मी से पापा से जिद करके लता रख दिया. और फिर जब लता स्कूल जानें लायक हुई तो रश्मी के कहने पे राहुल के पापा ने जौनपुर शहर में अपना पुश्तैनी बना-बनाया मकान बेचकर लता के साथ नोएडा रहने के लिए चले आए. ताकि बड़ी होती हुई लता को उसके कचरा पेटी में पाए जानें का सवाल उसका पीछा ना कर सके.अब बाकायदा लता का नाम नोएडा के सबसे चर्चित मदर मैरी स्कूल में करा दिया गया. फिर समय पंख लगा के उड़ता रहा राहुल को भी अब सरकारी नौकरी मिल गई थी. लता अब काफी बड़ी हो गई थी उसने भी इस बार आई ए एस की परीक्षा दी थी. उसका परिणाम भी नवरात्रि के ठीक एक दिन पहले ही आना था.

खैर! अभी लता का सारा ध्यान अपनी मम्मी के नवरात्री के व्रत के सामान खरीदने और कमरे में कलश रखने की तरफ लगा हुआ था. वे सारा दिन लता का इसी में चला गया. अतः वे रात में थकी होने की वजह से जल्दी सो गई. तभी सुबह राहुल भैया ने जब उसे झिझोड़ा तो वे आंख मूंदे–मूंदे ही बोली क्या भैया ! थोड़ी देर और सोने दो ना. अरे! उठ जल्दी तुझे कुछ पता भी है कि क्या हुआ हैं? राहुल भैया ने कुछ ऐसे कहा कि, उसकी आंख पट से खुल गई . वे घबरा कर बोली,– क्या हुआ भैया और आपकी आंख में आसूं क्यू हैं? अरे! उठ पहले बाहर निकल कर तो देख.

लता बिना अपने पैर में स्लीपर डाले ही बाहर निकल आई तो वे आवाक रह गई. उसने देखा कि,– वहा उपस्थित सभी लोग एक दुसरे को मिठाई खिला रहे थे ढोल नगाड़े के साथ उसके मम्मी-पापा डांस कर रहे थे लता यह सब देख कुछ समझ नही पा रही थी. उसने पूछा कि अब कुछ बताओगे भी भैया कि बात क्या है? तू पहले चल तो वहा और जैसे ही लता मम्मी पापा के पास पहुंची तो उसके मम्मी-पापा और भैया ने एक साथ लता को अपने दिल से लगा लिया.

वे तीनों रो रहे थे. तभी राहुल भैया ने खुद को सामान्य कर कहा कि , तुने आज पूरे राज्य में ही नही बल्कि इस पूरे देश में लड़कियों का नाम रौशन कर दिया है. अरे ! पगली तुम आई ए एस की रैंकिंग में टॉप आई हो लता! अब लता भी रोने लगी. वे तो भूल गई थी कि आज तो आई ए एस का रिजल्ट आना था. तभी लता के मम्मी- पापा ने एक साथ उसके मुंह को लड्डू से भर दिया .राहुल बोला अरे-अरे थोड़ा आराम से खिलाइए मम्मी- पापा लता कही भागी थोड़ी ना जा रही हैं .तभी कुछ एक पत्रकार भी वहा आ गए. उन्होने ने कहा कि, अगर आप सभी को ऐतराज ना हो तो हम लोग लता का इंटरव्यू लेने के लिए आए है.जी बिल्कुल! आइए! वे सभी लता के साथ अंदर चले आए और वहा रखे सोफे पे बैठ गए . तो राहुल बोला,– लता तु भी यही बैठ तब तक मैं और मम्मी इनके लिए पानी पीने का इंतजाम करके आते हैं.

तभी राहुल और उसकी मम्मी उन सबको पानी पिलाने के लिए एक प्लेट में लड्डू व पानी लेके आ गए. पानी पीने के बाद वे भी वही सामने खाली सोफे पर बैठ गए पत्रकारो ने अब लता से उसकी पढाई लिखाई और तैयारी से सम्बन्धित प्रश्न पूछने शुरु किए तो लता एक एक कर उनके सारे प्रश्नों का उत्तर देती रही लेकिन ज्यों ही पत्रकार ने परिवार से सम्बन्धित प्रश्न लता से पूछा तो, उसकी आंख अचानक से भर आई वे अत्यधिक भावुक हो गई. 

रश्मी को लगा कि, कही लता भावुकता में अपने कचरा पेटी में फेकी होने की वह सारी जानकारी इन पत्रकारों के सामने उजागर ना कर दे . जिसे छिपाने के लिए हम सभी जौनपुर शहर से इतनी दूर आकर नोएडा में बस गए थे. उसके इस डर की वजह से रश्मी अपनी जगह से उठी और वह लता के पास आकर बैठ गई और उसने बड़े ही प्यार से लता के सर पे अपने हाथ रख दिए. दरअसल रश्मी और उसके पूरे परिवार ने इस सच को लता से हमेशा छिपाए रखा था कि लता जौनपुर शहर के एक कचरे की पेटी में उसे मिली थीं.

लेकिन एक दिन जब लता स्नातक के लास्ट इयर में थी तो उसके साथ मार्निग वॉक करने वाली उन औरतों में से एक औरत अचानक से उसे रास्ते में मिल गई तो उसने कहा, अरे! रश्मी तुमने जौनपुर वाला पुस्तैनी घर क्या बेचा कि जैसे हम सभी को एकदम से भूल ही गई. मुझे तो उम्मीद ही नही थी कि तुमसे इस तरह हमारी नोएडा में मुलाकात होगी . खैर! जाने दे चल मुझे अपना घर दिखा और चाय पानी करा. अरे! इतने वर्षो के बाद मिली है तो कुछ बता वात भी कर लेंगे इसी बहाने उसने यह बात इतने अधिकार पूर्वक रश्मी से कही थीं कि रश्मी चाह कर भी उसे मना नही कह पाई.

दरअसल जौनपुर की तरह यहां अपना अलग से कोई घर या मकान तो था नही हां! थ्री बी एच के का एक बड़ा सा फ्लैट था जो कि नोएडा के हिसाब से मकान या घर सरीखा ही था. उसने चाय-पानी करने के बाद जब रश्मी से यह पूछा कि, रश्मी तु जिस लड़की या बच्ची को उस नगर पालिका के कचरे की पेटी से उठाकर लाई थी उसका क्या हुआ? इस अप्रत्याशित प्रश्न के पूछते ही जैसे रश्मी के पैरो तले से जमीन खिसक गई क्योंकि उसे पता चल चुका था कि लता ने बगल के कमरे में खड़ी होकर उस औरत की सारी बाते सुन ली है.

फिर उसके जाने के बाद लता ने रोते हुए अपनी मम्मी का हाथ अपने सर पर रखा और कहा तुम्हे मेरी कसम हैं मम्मी प्लीज बताइए कि क्या अभी जो औरत आपसे कह रही थी क्या वे सारी बात सच हैं? अगर आपने सच नही बताया तो तुम आज के बाद से मेरा मरा हुआ मुंह देखोगी. तभी रश्मी ने अपने हाथ से उसका मूंह ढक लिया और बोली कि अरे! लता मरे तेरे दुश्मन तु सच जानना चाहती हैं तो सुन और फिर रश्मी ने एक एक कर सारी बात लता से बता दी.

लता को सब कुछ बताने के बाद रश्मी ने अपने दोनो हाथ जोड़ कर लता से कहा कि ,”मैने तुम्हें अगर अपनी कोख से जन्म लेने वाले राहुल से कम प्यार किया हो तो तुम चाहे जो सजा देना चाहो अपनी इस मम्मी को दे सकती हो लेकिन तुम अपनी इस मम्मी को छोड़ने की कभी सोचना भी मत अगर जिस दिन तुम मुझे छोड़ने की सोचना तो इतना जरुर सोच लेना की तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी ये मम्मी भी इस दुनियां को छोड़ कर हमेशा के लिए चली जाएगी.” इतना सुनते ही लता दौड़ कर अपनी मम्मी के सीने से लगके रोने लगी.

रश्मी को एक बार फिर लगा कि कही लता भावुकता में आकर इन पत्रकारों को वह सब कुछ बता ना दे इसलिए वे आकर लता के पास बैठ गई और उसने लता के सर पर अपना प्यार भरा हाथ फेरा और बोली कि यह भी कोई पुछने की बात है अरे! हर मां बाप अपनी बेटी को उसके हिस्से की दुनिया और खुशी देने के लिए अपने हिस्से के दिन रात भी न्योछावर कर देते हैं फिर हम कितने खुशनसीब हैं कि आज हमारी बेटी ने हमे इतनी बड़ी खुशी दी है कि जिसे हम चाहकर भी शब्दो मे व्यक्त नही कर सकते.

इसके बाद जब सारे पत्रकार चले गए तो रश्मी ने कहा कि लता उस दिन तुम्हे याद हैं कि तुमने मुझसे यह वादा भी किया था कि तु उस बात को फिर से याद नही करोगी. हां! मम्मी तो फिर चल मेरे साथ किचन में कल से मुझे नौरात्रि का व्रत भी तो रहना हैं लेकिन इस बीच लता की आंख फिर से भर आई और वे मन ही मन कह उठी कि कचरे की पेटी में फेकी हुई मुझ जैसी अभागी नवजात बच्ची को अगर तुम मां के रुप में नही मिलती मम्मी तो मेरा अस्तित्व क्या होता? तुम बेशक नौरात्रि में मां के नौ रूपों का व्रत रखो मेरे लिए तो “एक ही रूप में मेरी मां हैं और वह हो तुम”.