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Hindi Story: एक रात वीरू ने सपने में देखा कि उसे बहुत जोर से प्यास लगी है। उसने अपनी पत्नी बसन्ती से पानी पिलाने को कहा। वीरू की पत्नी ने नींद में ही पति से पूछा कि क्या बहुत जोर से प्यास लगी है? वीरू ने कहा- ‘नहीं मैंने आधी रात को अपना गला चैक करना है कि कहीं यह लीक तो नहीं कर रहा।’ इससे पहले कि वीरू गुस्से में जमीन-आसमान एक करता बसन्ती बुरा-सा मुंह बनाते हुए झट से बिस्तर छोड़ कर पानी लेने के लिये रसोईघर की ओर चली गई।

कुछ देर बाद जब बसन्ती पानी लेकर आई तो उस समय तक वीरू की फिर से आंख लग गई और वह गहरी नींद में सो चुका था। बसन्ती सारी रात पानी का गिलास पकड़े वीरू के बिस्तर के पास खड़ी रही। सुबह जब वीरू की आंख खुली तो अपनी पत्नी को गिलास पकड़े देख कर बहुत खुश हुआ और मन ही मन सोचने लगा कि मैं कितना नसीबवाला हूं जो मेरी पत्नी आज के इस जमाने में भी मेरी इतनी इज्जत और कद्र करती है। पत्नी के इस व्यवहार से खुश होकर वीरू ने उससे कहा कि आज जो चाहो मांग लो, बोलो क्या मांगती हो? बसन्ती जो सारी रात पानी का गिलास पकड़ कर खड़े रहने से थक चुकी थी, उसने चिढ़ते हुए कहा- ‘तुम तो मुझे तलाक दे दो, ताकि मेरी जान छूट जाये और मैं भी जिंदगी के चार दिन चैन से जी सकूं।’

पत्नी के मुंह से इतने कड़वे शब्द सुन कर वीरू के दुःखी मन से यह आवाज निकली कि मैं अपने परिवार वालों को क्या समझता था परंतु मेरी तो इस घर में कोई कद्र है ही नहीं। वीरू ने भगवान की तस्वीर की तरफ मुंह करके कहा- ‘हे भगवान्, अब मैं एक दिन भी और जीना नहीं चाहता। मुझे जल्दी से उठा लो।’ पास खड़ी बसन्ती ने कहा कि हे भगवान्! इनसे पहले मुझे उठा ले। वीरू ने झट से पलटी मारते हुए कहा-‘हे भगवान्! मेरी प्रार्थना चाहे न सुन, कम से कम मेरी पत्नी की तो सुन ले।’ इतनी बात सुनते ही बसन्ती ने भी उल्टी-सीधी सुनाते हुए पति से कहा कि तुमने आज तक हमारी भलाई के लिये किया ही क्या है? वीरू, जिसने घाट-घाट का पानी पिया हुआ है। उसने तपाक् से कहा कि मैंने तुम से शादी की है, क्या यह किसी भलाई से कम है? क्या तुमने कभी सोचा है कि शादी से पहले तुम पर कभी किसी ने तरस खाया था, सिर्फ मैंने ही तुम पर तरस खाकर तुमसे शादी की थी। अपने पति की बेसिर-पैर की बातें सुनकर बसन्ती ने कहा-‘इसलिये शायद अब शादी के बाद सब लोग मुझ पर तरस खाते हैं। वीरू को कहना पड़ा कि मैं ही बड़ा बेवकूफ था जो मैंने तुम्हारे साथ शादी की। बसन्ती ने भी बराबर की टक्कर जारी रखते हुए कहा-‘मैं तो अच्छे से जानती थी, पर यही सोच कर शादी के लिये हां कर दी थी कि तुम एक न एक दिन सुधर जाओगे।

अभी वीरू का सपना चल ही रहा था कि दरवाजे पर जोर से हो रही दस्तक से उसकी नींद खुल गई। वीरू ने पीछे मुड़ कर देखा तो एक साधु महात्मा दरवाजे पर खड़े थे। इससे पहले कि साधु अपनी कोई मांग वीरू के सामने रखते, वीरू ने उनसे कहा कि बाबा आप यहां से जाओ, आज मेरा मूड बहुत ही खराब है। साधु महात्मा ने कहा कि बेटा हमें कुछ नहीं चाहिये, बस इतना बता दो कि आज सुबह-सुबह इतने दुःखी क्यूं हो रहे हो? वीरू ने साधु के पैर छूते हुए उनसे कहा कि मैं आज तक यही समझता था कि मेरी पत्नी और घरवाले मुझे बहुत प्यार करते हैं। लेकिन आज सपने में देखा कि यह सब धोखेबाज है। साधु महात्मा ने वीरू को समझाते हुए कहा कि हो सकता है तुम्हें मेरी बातें अच्छी न लगे, लेकिन सच्चाई यही है कि आज हर कोई अपने स्वार्थ हेतु तुमसे रिश्ता कायम रखता है। जब उनका मतलब पूरा हो जाता है तो कोई किसी से बात तक नहीं पूछता। साधु की बातें सुनकर एक ही पल में वीरू का मुंह उतर गया। साधु महात्मा ने वीरू से कहा कि यदि तुम्हें मुझ पर ऐतबार न हो तो तुम खुद यह सारा नजारा अपनी आंखों से देख सकते हो। लेकिन उसके लिये षर्त इतनी है कि तुम्हें थोड़ी देर के लिये मरने का नाटक करना होगा। जैसे ही वीरू ने हामी भरी, साधु महात्मा ने अपनी शक्ति से वीरू की आत्मा को उसके शरीर से अलग कर दिया।

अगले ही क्षण सारे गली-मुहल्ले में वीरू की मौत की खबर आग की तरह फैल गई। कई लोग अपना कामकाज छोड़ कर वीरू के घर आ पहुंचे। वीरू का एक पड़ोसी उसकी पत्नी के करीब आकर कह रहा था कि बहुत अच्छा और ईमानदार था तुम्हारा पति, कभी किसी से कोई झगड़ा नहीं करता था। अपने बच्चों को भी हर समय कितना प्यार करता था। यह सब कुछ सुन कर वीरू की पत्नी ने अपने बेटे के कान में धीरे से कहा कि जा, जरा कफन उठा कर देख तुम्हारा ही पापा मरा है ना। अभी यह नाटक चल ही रहा था कि साधु बाबा वहां प्रकट हुए और बोले कि मुझे ऐसा लग रहा है कि आप सभी लोग वीरू की मौत से बहुत दुःखी हो रहे हो। यदि आप चाहो तो मैं उसे जिंदा कर सकता हूं। लेकिन उसके लिये आप में से किसी एक को मरना होगा। वीरू के सभी सगे रिश्तेदार कोई न कोई बहाना बनाकर यह कहने लगे कि मरने वाले के साथ भी कभी कोई मर सका है क्या? जब साधु ने वीरू की पत्नी से यही सवाल किया तो उसने कह दिया कि महाराज अभी तक मैंने जिंदगी में देखा ही क्या है? अपनी पत्नी के अल्फाज़ सुनकर वीरू को दिन में ही तारे नज़र आने लगे थे।

साधु महाराज ने अपनी शक्ति से वीरू को इशारा करते हुए कहा कि हम चाहे कितना ही कहते रहे कि हमारे घर वाले हमें बहुत प्यार करते हैं, हमारी बहुत कद्र करते हैं, लेकिन हमारे मरने के चंद घंटों बाद ही घर वाले जल्द से जल्द जलाने की तैयारी कर लेते हैं। बेटा, जिस प्रकार रेगिस्तान में पानी की एक-एक बूंद का महत्त्व होता है, ठीक उसी प्रकार जब हमारे हाथ से हमारा जीवन छूटने लगता है, उस समय हमें उसका महत्त्व समझ आता है। साधू महात्मा के इस करिश्मे को देख कर जौली अंकल इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यदि हम चाहते हैं कि लोग दिल से हमारी इज्जत और कद्र करे तो हमें अपनी सभी बुरी आदतों को छोड़ कर सदा अच्छे काम करने होंगे। अच्छे काम करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि लोग उन अच्छे कामों के कारण आपका नाम हमेशा याद रखते हैं। जो कोई इस राह पर चलते हुए खुद को सुधार और संवार लेता है, फिर सारा जमाना ऐसे लोगों का गुणगान करते हुए सच्चे मन से उनका कद्रदान हो जाता है। केवल कामयाब लोग ही इतिहास लिख पाते हैं।