वो मासूम सी लड़की-गृहलक्ष्मी की कहानियां: Innocent Girl Story
Innocent Girl Story

Innocent Girl Story: वो मासूम सी लड़की मेरे साथ कक्षा छः से ही पढ़ रही थी। नाम था नगीना। किसी नगीने से कम भी नहीं लगती थी। सादगी भरा उसका सौंदर्य सहज ही किसी को भी अपनी ओर आकृष्ट कर लेता था। मृदुभाषी, विनम्र और सरल स्वभाव वाली वह भोली भाली ,प्यारी सी लड़की मेरे हृदय में जगह बना चुकी थी।

मुझे याद नहीं कि कभी कक्षा में उसकी किसी से तनिक भी लड़ाई हुई हो। उसका स्वभाव अंतर्मुखी था।वह पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाली थी। कभी कोई वाद-विवाद प्रतियोगिता होती तो वह प्रतिभाग नहीं करती ।पता नहीं मंच पर आने से क्यों इतना डरती थी। उसकी मासूमियत के कारण ही वह मेरी परम मित्र बन चुकी थी। धीरे-धीरे हमने कक्षा बारह तक की पढ़ाई साथ-साथ की।
वह अक्सर अपने सपने के विषय में बात करती थी। उसका सपना प्रशासनिक सेवा में जाने का था। मेहनत से कभी हार न मानने वाली वह लड़की पता नहीं कैसे कुछ हालातों के सामने हार गई। एक दिन कॉलेज से घर जाते समय उसे कॉलेज के रास्ते से ही गाड़ी सवार चार युवकों ने अपहरण कर लिया और फिर दो दिन बाद वह अर्ध मूर्छित अवस्था में शहर के बाहर बने हुए फार्म हाउस पर मिली। उसकी स्थिति देखकर सहज ही उसके शोषण का अंदाजा लगाया जा सकता था ।
शारीरिक यातना के असंख्य निशान उसके दुख और पीड़ा को बयान कर रहे थे। उसके साथ क्या हुआ ..?क्यों हुआ… इन प्रश्नों को जानने के लिए सभी लालायित थे। उसे चिकित्सालय ले जाया गया अनेक भयावह परीक्षणों से गुजरना पड़ा ।शारीरिक घाव भरने के बाद भी वह एक-डेढ़ महीने तक कॉलेज नहीं आयी। मैं कई बार उसके घर गया किंतु वह अपने कमरे में गुमसुम सी बैठी रहती। मुझे उससे कुछ भी पूछने का साहस नहीं होता था। बस यही सोचकर स्वयं को रोक लेता था कि कहीं फिर से उसके जख्मों को हरा तो नहीं कर रहा हूँ। मैं प्रतीक्षा में था कि किसी दिन वही मुझे आपबीती सुना देगी किंतु समय व्यतीत होता रहा और मेरी सहनशीलता जवाब देने लगी ।वह अपने कमरे से बाहर नहीं निकलती थी। उसका इस तरह दुनिया से नजरें चुराना मुझे अंदर ही अंदर कचोटता रहता था। मैंने उसकी माता जी से भी पूछा
” नगीना आजकल पढ़ाई क्यों नहीं करती है..? कॉलेज क्यों नहीं आती है..?”
तो उन्होंने कहा
“बेटा उसके साथ जब से वह घटना हुई है, हम तो कहीं मुँह दिखाने के काबिल ही नहीं बचे हैं। और फिर घर से बाहर निकलती है तो दुनिया वाले उसे अजीब नजरों से देखते हैं ..भाँति-भाँति के सवाल पूछते हैं। बस इन सब से बचने का एक ही तरीका है।”
मैंने उनकी बात को बीच में ही काटते हुए कहा
” यह तरीका नहीं ..इसे जीवन से पलायन करना कहते हैं। आपको उसके सपने के विषय में तो पता होगा..?”
” बेटा ऐसे ऊँचे- ऊँचे सपने तभी साकार होते हैं, जब समाज में कुछ मान-सम्मान प्राप्त हो। अब तो समाज में हमारी इज्ज़त ही नहीं बची, तो ऐसे सपने देखने का क्या फायदा?”
उसकी माँ की बातें सुनकर न जाने क्यों मैं अंदर ही अंदर सिहर गया।
और मैंने नगीना से मिलने का फैसला कर लिया। मैंने उसकी माता जी से पूछा
“आप नगीना को मेरे साथ कुछ देर के लिए बाहर भेज सकती हैं..?यदि आप मुझ पर विश्वास करती हैं तो ..?”
उन्होंने सहमति में गर्दन हिला दी ।
और फिर मैंने नगीना से तैयार होकर चलने के लिए कहा । पहले तो नगीना ने साफ इंकार कर दिया, किंतु मैंने अधिकारपूर्वक उसका हाथ पकड़ा और उसे सीधा घर के बाहर बाइक तक लेकर आया। अब वह विवश होकर बाइक पर बैठ गयी। मैं सोचता रहा कि आखिर नगीना को कहाँ लेकर जाऊँ जहाँ कुछ देर शांति से बैठकर नगीना अपने मन की गिरहें खोल सकें। घर से कुछ दूर यूँ ही चलते हुए एक शान्त स्थान दिखा। पास में ही एक मंदिर था। मंदिर के बाहर एक विशालकाय बरगद का वृक्ष। वृक्ष के बने गोल से घेरे के पास मैंने बाइक रोकी और हम दोनों वहीं बरगद की घनी छाँव में बैठ गए। नगीना प्रश्नवाचक नजरों से मुझे देखती रही। मैंने स्वयं को संयत करते हुए नगीना से पहला प्रश्न दाग दिया
” उस दिन तुम्हारे साथ क्या हुआ था ..? “
नगीना ने अपना चेहरा हथेलियों से छुपा लिया ।मुझे उसके सिसकने की आवाज आ रही थी, किंतु मैं फिर भी पूछता रहा “मुझे एक -एक बात बताओ “
“तुम सुन नहीं सकोगे “
“क्या मैं इतना कमजोर हो चुका हूँ”
” ऐसी बात नहीं ,किंतु उस हादसे के बाद मैं स्वयं को बहुत ही निर्बल मानने लगी हूँ”
” बल केवल शारीरिक क्षमता का प्रतीक नहीं ,अपने विवेक और विद्वता का सही जगह प्रयोग करने वाला भी बलवान होता है।”
फिर नगीना ने मुझे उस दिन का सारा वृतांत अक्षरशः बताया।
कि कैसे चार युवकों ने उसका अपहरण किया, फिर उसे बारी -बारी से अपनी वासना का शिकार बनाया। और फिर मृत समझकर उसे सड़क के किनारे फेंक गए ।जब नगीना चिकित्सालय से छुट्टी लेकर घर वापस आई, तो आस-पड़ोस की महिलाओं और उनकी टीका- टिप्पणियों ने उसके आत्मविश्वास को बहुत ठेस पहुँचाई। किसी ने पूछा “कितने लड़के थे”?
हे भगवान…जिस लड़की के साथ बलात्कार हुआ हो अब उससे शादी कौन करेगा ..? पूरा जीवन कैसे बीतेगा.. कलंक लग गया इसे”
आस-पड़ोस की लड़कियाँ जो पढ़ाई के लिए उसके घर आती थीं… साथ खेलती थीं…सबने मुँह फेर लिया।
अब कॉलोनी में होने वाले आयोजनों में भी उसके माता-पिता को नहीं बुलाया जाता ।एक तरीके से उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है।
उस मासूम सी लड़की ने मुझसे पूछा
“अब तुम ही बताओ कैसे घर से बाहर निकलूँ.. कैसे कॉलेज जाऊँ..”
“क्या तुम उन लड़कों को पहचानती हो?”
” नहीं ..क्योंकि आरोपियों ने मेरी आँखों पर एक भारी कपड़े की पट्टी बांधी हुई थी।
मैंने नगीना से पूछा
“तुमने पुलिस केस क्यों नहीं किया..?”
” क्या फायदा होता ..अभी तो समाज के प्रश्न मन को भेद रहे हैं? फिर पुलिस और अदालत के प्रश्न भी प्रतिदिन मुझे छलनी करते”
” क्या मैं उसी नगीना से बात कर रहा हूँ, जो इतनी साहसी और मेहनती हुआ करती थी कि “प्रशासनिक सेवा परीक्षा” पास करने के सपने देखती थी ?”
“वह समय बीत चुका है अखिल.. अब तुम्हारे सामने जो नगीना है ,वह एक कमजोर लड़की है, जो स्वयं की रक्षा भी ना कर सकी। ।उसकी आँखों के सपने उससे छीन लिए गए हैं मैं अपवित्र हो चुकी हूँ”
“क्या तुम मात्र एक देह हो..? सपनों का वह अथाह गहरा समंदर कैसे सूख गया, जिसमें अभिलाषाओं की तरंगमालाएँ कल -कल करती थीं?”
” शाख से टूटे हुए फूल फिर से नहीं जोड़े जा सकते ..बीता हुआ समय कभी वापस नहीं लाया जा सकता.. तुम भी मुझसे वास्ता मत रखो अखिल वरना यह दुनिया तुम्हारे लिए भी बात बनाएगी।मैं तुम्हारी मित्र बनने के योग्य नहीं हूँ..”

नगीना तुम मात्र मेरी मित्र नहीं हो …तुम मेरा जीवन हो.. मेरी साँसें हो। तुम मेरी हमसफ़र हो।”
नगीना ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और कहा
” मैं तुम्हारी हमसफर बनने के काबिल नहीं ..फिर यह दुनिया तुम्हें ताने सुना- सुना कर जीने नहीं देगी। अखिल मैं मलिन हो चुकी हूँ, बासी फूल फूल कभी देवता के चरणों में अर्पित नहीं होते ।तुम्हें तो एक से बढ़कर एक अच्छी लड़की मिल जाएगी ।”
“तुम बार-बार स्वयं को अपवित्र कहकर क्यों मेरे प्रेम का अपमान करती हो .?मैंने तुम्हारी आत्मा से प्रेम किया है और आत्मा हमेशा पवित्र ही रहती है।

वह लड़की आज मेरी जीवन संगिनी है ।हमने जीवन के प्रत्येक उतार-चढ़ाव में एक -दूसरे का साथ दिया। नगीना के आरोपियों को भी मैंने सजा दिलवाई ।नगीना का प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास करने का सपना तो पूर्ण नहीं हुआ, किंतु वह आज शहर की जानी-मानी वकील बन चुकी है ।जो बलात्कार पीड़ित महिलाओं के केस लड़ती है और उन्हें न्याय दिलाने का हर संभव प्रयास करती है ।वह गरीब परिवारों की मदद के लिए उनके केस निशुल्क लड़ती है।