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Hindi Story: “अरे राधिका, सुनो , दोपहर हो रही है।चलो चलकर कुछ राशन खरीद लाते हैं । पड़सन मानसी ने चहककर कहा तो राधिका ने मना कर दिया।”मेरा मन नही है।”‘अरे अरे तबियत तो ठीक है ना।” मानसी ने पूछा। राधिका बोली “ठीक तो  है मगर मानसी आजकल ना 

कई बार ऐसा होता है कि मेरा कुछ करने का मन ही नहीं करता।मुझे सुबह से ही शारीरिक और मानसिक तौर पर थकावट महसूस होती है। चिड़चिड़ाहट तो होती है, और मान लो कोई बात करना चाहता है तो मैं चुप रहकर टाल देती हूं किसी के कुछ पूछने पर भी जवाब देने की इच्छा नहीं होती।कुछ भी अधिक नहीं कर रही सब वहीं जो रोज़मर्रा के काम हैं उन्हें ही करती हूं, लेकिन दिल से नहीं कर रही।” कहकर राधिका खामोश हो गई।” ओह राधिका यह अवसाद का पहला झोंका है ।राधिका अच्छा हुआ कि बता दिया कि तुमको  कभी-कभी ऐसा महसूस होता है, देखो सुनो तो, मेरी राय मानो राधिका कुछ छोटे-छोटे बदलाव बेहतर महसूस करा सकते हैं।

तुम अपना काम बदल लो।” है ,, मानसी , यह कैसी बात कर रही हो?” राधिका ने पूछा

“मेरा मतलब है कि 

रोज़-रोज़ एक ही काम करने से हर शख़्स ऊब जाता है। जैसे, तुम एक ही समय पर उठती हो, साफ़-सफ़ाई करती हो और खाना बनाती हो। ऐसे में ज़रूरी है अपनी दिनचर्या से एक दिन के लिए विराम लेना। इसके लिए एक दिन तय कर सकती हो जैसे कि रविवार। अवकाश के दिन सभी घर पर होते हैं इसलिए रोज़मर्रा के काम कम होते हैं और तुम दूसरे सदस्यों की मदद भी ले सकती हो। इससे  कुछ आराम करने को मिल जाएगा और अगले दिन फिर से ऊर्जा के साथ काम कर सकोगी।

एक ही पर ध्यान लगाएं

आमतौर पर ऐसा होता है कि काम कई होते हैं, लेकिन किसी एक काम में मन नहीं लगता। जब एक काम में मन नहीं लगता, तो उस काम को छोड़कर दूसरा काम करने लग जाते हैं। फिर होता ये है कि कोई भी काम पूरा नहीं होता। ऐसे में जिस काम में मन नहीं लग रहा है तो उसे छोड़ें नहीं बल्कि उसमें ध्यान लगाने की कोशिश करें। चाहें तो कुछ मिनट या घंटे के लिए विराम ले लें। उदाहरण के तौर पर, कपड़ों की अलमारी व्यवस्थित करते वक़्त पहले सारे कपड़े निकालकर तह लगाएं। कुछ मिनट आराम करें और फिर उन्हें अलमारी में जमाएं।

खुली हवा में समय बिताने से मन बदलेगा और शरीर में ऊर्जा आएगी। जब भी शारीरिक और मानसिक रूप से थकावट महसूस करें, तो कुछ समय खुली हवा और हरियाली में बिताएं। हल्का-फुल्का व्यायाम करें, गहरी सांस लें और टहलें।राधिका एक बात हमेशा याद रखना किऊर्जा बनाए रखने के लिए जीवन में मनोरंजन का होना बहुत ज़रूरी है। अगर आपको गाना सुनना पसंद है, तो इन्हें रोज़ की दिनचर्या में शामिल करें। जब कुछ करने का मन ना करे, तो अपनी पसंद की फिल्म, गाने या प्रोग्राम देखें। चाहें तो सखियों से भी फोन या वीडियो कॉल पर बात कर सकती हैं। इससे थोड़ा मन बदलेगा और ख़ुशी नई ऊर्जा देगी।वहीं  परिवार-दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ वक़्त बिताकर, थकान से मुक्ति मिलती है।.”

राधिका सुन रही थी उसे बहुत अच्छा लग रहा था।मानसी कहती रही  कि राधिका  आपको पता होना चाहिए कि आपको किस चीज़ से थकान होती है और किस काम से हौसला मिलता है. ख़ुशी मिलती है.कुछ लोग खेल-कूदकर थकान उतार लेते हैं. हां, एक बात तय है. हमें काम और आराम के बीच एक लाइन खींचनी होगी.इस बारे में तमाम रिसर्च से ख़ुद मुझे को भी अपनी परेशानी समझने और उससे निपटने में मदद मिली है.यानी थकान की हर इंसान में अलग वजह है. हां, इस बीमारी की तुम अकेले मरीज़ नहीं। मगर, इससे निपटने का तरीक़ा आपका अपना ज़रूर हो सकता हैफिर काम से तनाव होता है. तनाव से थकान और शरीर में ताक़त की कमी महसूस होने लगती है.राधिका मै ये भी मानती हूँ कि बार-बार मेल चेक करना, हमेशा सोशल मीडिया पर स्टेटस अपडेट करना भी हमें थकाता है मेरे  मुताबिक़, नई तकनीकों की वजह से ज़िंदगी आसान हुई है तो उनकी वजह से कई मुसीबतें भी आई हैं.आज अपने छोटे छोटे तनाव का बोझ लोग दिमाग़ पर लादकर उसे ढोते रहते  हैं  ।और याद कर करके ख़ुद को उस बोझ की याद दिलाते रहते हैं। ऐसे में थकान तो होगी ही।थकान और बेज़ारी का कोई ठोस इलाज भी नहीं।अगर कुछ राहत न हो तो मानसिक सलाहकार या व्यवहार मनोवैज्ञानिकों की मदद ले लेना ।वैसे यह शुरुआत है।राधिका ने सब गौर से सुना वह बोली” मानसी मै आज से ही अपने तौर तरीके पर विचार करती हूँ और कुछ दिन की  छुट्टियां लेकर थकान उतारती हूं।चलो मै तैयार हूं राशन लेने चलते हैं।”हंसती हुई राधिका तैयार हो गई ।

‘शाबाश राधिका।” कहकर मानसी ने उसकी इच्छा- शक्ति पर उसकी तारीफ की।समाप्त