Hindi Love Story: इस सोच के साथ कोई मुलाक़ात कि, शायद वो आख़िरी हो; तन-मन को अस्त-व्यस्त कर देती है। यूँ इश्क़ के हमगुनाह और जाम टकराने वाले साथी की कशिश, हसीन रंगों में बिखरती है। रात हमारी कार, रौशनी से बचते हुए एक ढाबे के सामने खड़ी थी, और घूँट-घूँट स्कॉच; मोहब्बत के चखने के साथ रूह तर कर रही थी।
“एक बात तो तुम अच्छी तरह समझ लो। एक हक़ है मेरे पास जिसे तुम छीन नहीं सकते।” उसकी इस हक़ भरी सख़्त आवाज़ का मैं आशिक़ हूँ।
“मैंने तुमसे कोई हक़ नहीं छीना कभी।” जिसे ख़ुद की तरह ही जाना हो, उससे कुछ छीनकर मुझे क्या न्यारा मिल जाने वाला है।
“छीना क्यूँ नहीं, साथ रहने का सबसे बड़ा हक़ तो छीना है।” उसने खराश भरी आवाज़ में कहा, शायद बड़े घूँट के कारण।
“देखो, इसके लिए तुम सिर्फ़ मुझे ब्लेम करो, यह बात एकतरफ़ा है।”
“मुझे बहस नहीं करनी तुमसे। क्या पता आज के बाद कब मिलना हो; आज कोई लड़ाई नहीं चाहिए।” कहते-कहते उसके गले में नमी उतरी। दो दिन बाद ही वह सामाजिक तौर पर किसी और की हो जाने वाली थी।
“सुन रहे हो ना तुम?” जैसे वह आज के हर शब्द मुझे घोल के पिला देना चाहती हो।
“हाँ बाबा, सुन रहा हूँ। बोलो तो।”
“बेबी तुमसे ही चाहिए मुझे।” नमी फिर सख़्ती की ओर बही।
“हाँ, ले लो।” मैंने मुस्कुराने की कोशिश की।
“क्या मेरा यह हक़ नहीं कि मैं तय कर सकूँ, मुझे किसके बच्चे को जन्म देना है; किसे अपने ख़ून से सींचना है। मोहब्बत से पैदा हुई औलाद पवित्र है या सौदे से। मेरा शरीर बिक रहा है, मेरी आत्मा और मेरी कोख़ नहीं।” अब उसकी आवाज़ जल रही थी।
“तुमने सोच लिया है ठीक से, तुम जो कह रही हो?” हालाँकि हमने इस बात के सपने तो देखे थे, लेकिन अब दौर बदल चुका था।
“हाँ, बहुत अच्छे से सोच लिया है और मैं फ़ैसला कर चुकी हूँ।”
“ठीक है, मुझे इसमें कोई दिक्क़त नहीं। अगर तुम इस बात को साल भर बाद कह पाओ। उस समय तुम्हारा लिया हुआ फ़ैसला मुझे ज़्यादा असली लगेगा; जो कागजी भावनाओं की उपज नहीं होगा।” झूठे वायदों का बोझ ना मुझसे सहन होता है, ना किसी पर लादना चाहता हूँ।
“मैंने कहा ना, तुम मुझसे यह हक़ नहीं छीन सकते। हमारे अंश से मैं दुनिया को बटोर लूँगी; और कुमाता होने के पाप से भी बच जाऊँगी।” मैंने सोचा वह मेरी तरफ़ देखेगी, पर उसने नहीं देखा।
“मैं छीन नहीं रहा, सिर्फ़ ख़्याल के पक जाने का इंतज़ार करने के लिए कह रहा हूँ, अपना फ़ैसला तुम्हारे आगे के तजुर्बों की आग में निखर तो जाने दो।”
किसी आती-जाती गाड़ी की हेडलाइट हमारी ओर पड़ी। मैंने उसकी चुंधियाती हुई आँखें इतनी अडिग और पथरीली कभी देखी नहीं थीं।
ये कहानी ‘हंड्रेड डेट्स ‘ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Hundred dates (हंड्रेड डेट्स)
