Hundred Dates
Hundred Dates

Hindi Love Story: उसे कल की कही बातों का पछतावा अब तक था। “सॉरी यार, मैं उन लड़कियों की तरह नहीं होना चाहती जो हर हाल में लड़कों की बेइज़्ज़ती करना अपना हक़ समझती हैं और यह उम्मीद रखती हैं कि, हर हाल में उनका सम्मान इसलिए ही किया जाना चाहिए कि वे लड़की हैं।”

“अरे! ऐसा तो तुमने कुछ नहीं कहा था, क्या सोच रही हो बेकार में।” किस बात के लिए माफ़ी माँगी जा रही थी मुझे यह समझ ही नहीं आ रहा था।

“कुत्सित लड़कियों ने तुम पुरुषों की आदत बना दी है थोड़ी बेइज़्ज़ती सह लेने की। मैंने सोचा वे सभी बातें तुमने मुझे कही होती, तो मुझे चुभती। मैं पुरुष नहीं बनना चाहती, लेकिन तुमसे वह दोगला व्यवहार नहीं चाहती कि मुझसे थोड़े बड़े होते हुए भी मेरे लिए कुर्सी खींच कर दो या खाने में सिर्फ़ मेरी मर्ज़ी चले या कि मुझे फूल और तोहफ़े ला कर देते रहो, या कि तुम ही रेस्टोरेंट का बिल चुकाते रहो। चारा डालने वाले इन सब वाहियात शिकारी चालों को मुझ जैसी लड़की ज़हे-नसीब नहीं, दोज़ख़ की मितली समझती है। इस दर्जे के लड़कीपने से मैं आज़ादी चाहती हूँ। प्लीज़ मुझे माफ़ करना। दोगला व्यवहार मुझे महारानियों सा नहीं, अपनी कमतरता और लकवाग्रस्त सा लगता है। मुझे उन दर्दों को गले लगाकर जीने की आदत नहीं डालनी, जो नशे बन जाएँ।”

मैं जानता हूँ कि उसके रंग बदलते चेहरों से सारी उम्र मोहब्बत ख़त्म नहीं हो सकेगी; आज फिर वह महारानी उसके चेहरे पर बैठी देखी, जो किसी महाराजा के कारण महारानी कहलाने में अपनी तौहीन समझती है। फिर कहीं वही अच्छा ख़्याल आया और गया कि शायद मैं वह महाराजा कहलाना पसंद कर लूँ, जिसका ताज मुझे इस महारानी के कर्मों से नसीब होता हो।