होली है..-गृहलक्ष्मी की कविता: Holi Poem
Holi Hain...

Holi Poem: प्रेम विश्वास का पर्व ये होली
वैर द्वेष को आओ मारें गोली
होली है…

न रहे मन में अब कोई गांठ बाकी
निस्वार्थ प्रेम दिलों में भर दें
आओ रंगों से ये जीवन रंग दें
मधुर संदेश देने आयी देखो

फिर से यें रंगीली होली

“मैं” को भूलो “हम” को जीयो
“मैं” कि मुक्ति से जीवन बने ये सुन्दर
जो “हम” में है ए मेरे अपनों
वो ना मुझमें है ना तुममें है

आओ प्रीत के रंग लगायें
मधुर संदेश देने आयी देखो
फ़िर से ये रंगीली होली

दिल के रिश्ते कभी न टूटें
मधुर जज़्बातों से बनें ये बंधन
कभी न टूटें कभी न रूठे
बन जायें इक दूजे के दिल की धड़कन
आओ खेलें ऐसी होली कि
इक दूजे बिन रहा न जाये

आओ प्रेम रस में सब डूब जायें
मधुर संदेश देने आयी देखो
फ़िर से ये रंगीली होली

खुशियों का त्योहार ये होली..
रंगों का त्योहार ये होली
आओ उड़ायें प्रीत के रंग हमजोली
आँसू बांटे खुशियां बांटें..
ये जीवन बस एक उत्सव बन जाये

प्यार के रंगों से हम सब रंग जायें
आओ एक दूजे के सुख दुख बांटें
हर तरफ़ अपनी मुस्कान बिखरायें
आओ सद्भावना की होली खेलें
मधुर संदेश देने आयी देखो
फ़िर से ये रंगीली होली..

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