Social Story: ” तलाक़… तलाक़… तलाक़ ” यह तीन शब्द जो किसी महिला का जीवन बदल दे वह अभी भी सिमरन के कानो में गूँज रहे थे।
क्या इतना आसान होता है शादी के इस अटूट बंधन को तोड़ देना? फिर क्यों कहते है लोग की जोड़िया रब बनाता है या शादी सात जन्मों का खेल है, प्रेम धर्म या जाती नहीं देखता, प्रेम रंग रूप नहीं देखता, प्रेम दौलत नहीं देखता?
डरी सहमी सिमरन सरफ़राज़ के कमरे में बिस्तर पर बैठी सरफ़राज़ का इंतज़ार कर रही थी. सरफ़राज़ क्यों? यहां तो उसकी जगह नहीं थी। उसके ख्वाबों का राजकुमार तो कोई और ही था। सिमरन का मन अभी धीरे धीरे अतीत की यादो में डूबा जा रहा था….
एक साल पहले:
सिमरन ने अभी -अभी कॉलेज में एडमिशन लिया था। सिमरन का रंग रूप साधारण से थोड़ा बेहतर था। अब तक वो गर्ल्स स्कूल में ही पढ़ी थी, पहली बार को-एजुकेशन में पढाई करने का मौका मिला। सिमरन की ज्यादातर दोस्त जो उसकी स्कूल की ही थी, ने यहाँ एडमिशन लिया था क्युकी यही सबसे नजदीक का कॉलेज था.
नए कॉलेज में पहला दिन वह भी उम्र के उस मोड़ पर जब शरीर यौवन की दहलीज पर बस कदम ही रखता है, किसका बस चलता है अपनी भावनाओं पर? भले ही लाख बंदिशे लगा दे कोई, जो होना होता है वह हो कर ही रहता है। सिमरन और उसकी सबसे अच्छी बचपन की सहेली आभा दोनों हे उतावली थी कॉलेज जाने के लिए। दोनों के ही घर में ढेरो पाबंदिया, लड़को से बात मत करो, ऐसे कपडे मत पहनो, बाल खोल के मत घूमो, मेकप मत करो और जाने क्या क्या? अनगिनत।
सिमरन और आभा निकले थे घर से बिलकुल वैसे ही जैसा उन्हें रहने को कहा गया था। आभा ने जाने कहाँ से मेकअप का कुछ जुगाड़ कर लिया था। दोनों ही कॉलेज पहुंचते ही वाशरूम का रास्ता पता किया और अंदर जाकर अपना हुलिया बदलने लगी। सिमरन के बाल कमर तक लम्बे थे जिसे खोलते ही उसका सौंदर्य अनोखा हो गया। ऊपर से कॉम्पैक्ट पाउडर जिसने उसके गेहुए रंग को और निखार दिया था और गुलाबी लिपस्टिक, बिलकुल अप्सरा लग रही थी। घर से निकली सिमरन और इस सिमरन में जमीन आसमान का अंतर था। यह सब बदलाव तो आभा ने भी किय मगर उसपर कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। मगर दोनों ही बेहद खुश लग रही थी। ख़ुशी से चेहरे की रौनक ही बदल जाती है।
कॉलेज चाहे कैसा भी हो, रैगिंग तो होनी ही है। वैसे भी जब वे दोनों कॉलेज के वाशरूम से निकली तब लड़के तो लड़के, लड़कियां भी मुड़ कर देख रही थी। बला की खूबसूरत लग रही थी सिमरन।
एक जगह कुछ लड़के लड़कियां भीड़ लगा कर खड़े थे। दोनों सहेलियों से सोचा, चलो चल के देखा जाए, क्या पता कुछ इम्पोर्टेन्ट बात हो। जैसे ही दोनों वहा पहुंचे, सर पर हाथ मार कर सिमरन के मुँह से निकल गया “धत्त तेरे की, फंस गए हमलोग”
यहाँ कुछ और नहीं बल्कि रैगिंग चालू थी। कुछ दबंग सीनियर्स ने नए छात्र छात्राओं को इकठ्ठा कर के रखा था। रैगिंग लेने वाले तीन लोग थे जिसमे से एक बेहद हैंडसम। नीली आंखे, गोरा रंग, ऊँचा लम्बा शरीर। नयन नक़्शे भी किसी फ़िल्मी हीरो की तरह थे। सिमरन की नजर तो उस बन्दे पर ही अटक गयी जो फिलहाल किसी और की रैगिंग लेने में बिजी था। उसे तो पता भी नहीं था की कोई उसे इतने प्यार से देखे जा रहा है। मगर कोई और भी था जिसकी नजर सिमरन पर और सिमरन की नज़र पर थी। उन्ही तीनों में से कोई एक।
रैगिंग में उनका नंबर भी आ गया
ये तीनो उसी कॉलेज के थर्ड यानी की फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स थे जिन्हे तिकड़ी के नाम से जाना जाता था। वह खूबसूरत मोहक लड़का जिसे सिमरन पहली नज़र में ही दिल दे बैठी, आमिर था। जैसा नाम वैसा ही रुतबा। शहर के बेहद अमीर खानदानों में से एक का इकलौता वारिस। दूसरा लड़का था सरफ़राज़। सरफ़राज़ आमिर के मुकाबले ज्यादा पैसे वाले घर से नहीं था मगर खानदानी जरूर था, उसके पिता की गिनती भी ऊँचे लोगों में ही होती थी। तीसरे का नाम मोहित। एकदम बिगड़ैल। यह भी रईस खानदान का इकलौता वारिस। इन तीनों में से सरफ़राज़ ही था जो पढ़ाई के लिए बेहद मेहनती था और कॉलेज के टॉप स्टूडेंट में गिनती होती थी। बाकी के दोनों , उनको पता ही था की बस ग्रेजुएट की डिग्री चाहिए।
यह सरफ़राज़ ही था जिसकी नज़र सिमरन पर टिकी थी और शायद उसे सिमरन भा गयी थी। मोहित ने सिमरन की तरफ देखा और आमिर को कुहनी मारते हुए कहा, देख! एक हीरोइन आयी है अपने कॉलेज में।
आमिर ने भी देखा और कहा चलो अब इसका नंबर। आमिर, सरफ़राज़ और मोहित उसके सामने खड़े हो गए। सिमरन तो अब तक टकटकी लगा कर आमिर को ही देख रही थी। आमिर को पता था की वो हैंडसम है और उसे ऐसी नज़रों की आदत थी। उसकी शादी तो बचपन में ही नाज़िआ से तय कर दी गयी थी। नाज़िआ बला की खूबसूरत, उसके आगे सब फेल है।
आमिर ने सख्ती से दोनों लड़कियों से नाम पूछा।
” आभा ” आभा ने घबराते हुए जवाब दिया।
“और तुम्हारा?” आमिर ने सिमरन की तरफ देखते हुए पूछा।
” पहले आप अपना नाम बताइये ” सिमरन ने बेखौफ हो कर पूछा। उसे तो नाम किसी भी हाल में जानना ही था। पूछने का मौका मिला तो उसने मौके का फायदा भी उठा लिया। दिल से मजबूर।
” वाह जी वाह.. जूनियर होकर सीनियर से सवाल करती हो ?” सरफ़राज़ ने गुस्से में बोल उठा। सरफ़राज़ को अपनी एंट्री मारनी थी। वह चाहता था की यह हसीना जिस पर अभी अभी उसका दिल आया है, आमिर के बजाये उससे बात करे।
आमिर ने शान मरते हुए कहा: ” आमिर… जी मोहतरमा, मेरा नाम आमिर है… ये है मोहित और ये तीसरे महाशय का नाम सरफ़राज़ है…अब अपना नाम बताइये”
” जी, मेरा नाम सिमरन है. ” सिमरन ने शर्माते हुए जवाब दिया. उसका चेहरा शर्म से लाल और गर्म हो गया था। सिमरन के पेट में तितलियाँ उड़ रही थी। आभा के तो डर के मारे हाथ पैर फूल रहे थे। तभी सामने से कोई टीचर आते हुए दिखे जो उनकी तरफ ही आ रहे थे।
