Hindi Story: पार्क में सैर करते हुए मिश्रा जी के एक दोस्त ने उनसे पूछ लिया कि अक्सर लोग यह कहते हैं कि मोहब्बत नाकाम हो जायें तो इंसान गमों में डूबने लगता है। परंतु कभी किसी ने यह नहीं बताया कि यदि किसी खुशनसीब की मोहब्बत कामयाब हो जायें तो क्या होता है? मिश्रा जी ने अपनी खास चुटकी भरी शैली में अपने उस मित्र को समझाते हुए कहा कि यदि मोहब्बत कामयाब हो जाये तो फिर सारी जिंदगी गम आंसू बन कर रास्ता बदल-बदल कर निकलते हैं।
अगर आप को मेरी बात पर एतबार न हो तो कभी किसी शादीशुदा से एक पल के लिए उसके दिल का हाल पूछ कर देख लेना। एक क्षण में दूध का दूध और पानी का पानी कर के दिखा देगा। किसी और का क्या मैं अपने ही बहू-बेटे का एक मजेदार किस्सा आपको बताता हूं। इतना तो आप भी जानते ही हो कि मेरे बेटे ने हमारे लाख मना करने पर भी अपनी मर्जी से दफ्तर में साथ काम करने वाली एक लड़की से शादी की है। कल रात ही दोनों के बीच किसी बात को लेकर जोरदार तकरार हो गई। बहू ने चीखते हुए कहा कि मैं तो तुम्हारे साथ शादी करके लुट गई, बर्बाद हो गई। मेरे बेटे ने कल तक हूर परी दिखने वाली अपनी पत्नी से कहा कि मैं भी तुम्हारे साथ शादी करके कोई अनिल अंबानी नहीं बन गया, बल्कि जो कुछ भी मेरे पास था वो भी सब कुछ लुट गया है।
अपनी बात को जारी रखते हुए मिश्रा जी ने कहा कि जीवन में खुशी और गम का तो चोली-दामन का साथ है। अगर आप सोच रहे हैं कि गम सिर्फ इश्क और मोहब्बत की राह में ही मिलते हैं तो आप थोड़ा गलत सोच रहे हैं। इस बात से इंकार करना जरूर थोड़ा कठिन है कि इश्क और प्यार की जुदाई के चलते इंसान अक्सर गमों के अंधकार में खो जाता है। अगर अपनी अच्छी किस्मत के चलते जिंदगी में कोई किसी ऐसे एक गम से बच भी जाता है तो जरूर उसे कोई न कोई दूसरा गम सता रहा होता है। गरीब बेचारा बच्चों की पढ़ाई, मंहगाई की मार और बीमारी के महंगे इलाज से, अमीर अपने खोखले दिखावेपन से, सरकार रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार से, भारत माता अपने लुटते हुए गुलजार के गमों से दुःखी है। मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार को बेमौसम बरसात का, किसान को सूखे की मार का गम तो सदा ही सताता रहता है। किसी को बिन बुलाये मेहमानों के आने से, किसी को अपने करीबी के खो जाने से गम के सागर में डुबकियां लगाने पर मजबूर होना पड़ता है। गम सिर्फ कमजोर, मजबूर और लाचार लोगों को ही दुःखी और परेशान करता है, ऐसी बात नहीं है। जमाने ने बड़ी-बड़ी हस्तियां को भी इस लाइलाज बीमारी के प्रकोप से घबरा कर अक्सर मौत को गले लगाते हुए देखा है।
कमरतोड़ महंगाई के गमों से लाचार और बेजार जनता अपने गमों की हाहाकार का दुःखड़ा रोये भी तो किस के आगे? देश के नेता कुछ उपकार करने की बजाए सभी हदों को पार करते हुए खुल कर चोरबाजारी और जनता के माल को लूट कर हर देशवासी के गमों में इजाफा कर रहे हैं। सब कुछ जानते हुए भी हमारी सरकार कान में रूई डालकर चैन से सो रही है।
लेखक महाशय टूटी हुई पतवार से अपनी जीवन नैया को खींचते हुए चीख-चीख कर जमाने के गमों का हाल बयां कर रहे हैं, लेकिन उस बेचारे की चीख दुनिया के बड़े-बड़े गमों में न जाने कहां दब कर रह जाती है? चारों ओर छाये हुए गमों के बादलों को देख ऐसा लगने लगा है कि जैसे दुनिया का कोई भी व्यक्ति इनसे नहीं बच पाया। कुछ लोग गमों को हिम्मत से सहने की बजाए मयखानों में नशे का सहारा लेकर गम को भुलाने की नाकाम कोशिश करते हैं। ऐसे लोग खुद को गम से बचाने की बजाए अंधेरी गलियों में भटकते हुए खो जाते हैं।
हमारे बुजुर्ग अपने जीवन के तजुर्बे के मद्देनजर यही सीख देते हैं कि जिस प्रकार घर में आई हुई खुशी को अपनों के साथ बांट लिया जाये तो वो दुगनी हो जाती है, ठीक उसी तरह गम कितना भी बड़ा क्यूं न हो उसे अपने प्रियजनों के साथ बांटने से यह नामुराद आधा रह जाता है। बुजुर्गों का यह भी मानना है कि इस दुनिया में कोई भी काम मुश्किल नहीं है, इसलिए काम करने से डर कर गम को पालने की जरूरत नहीं होती। कोई भी बड़े से बड़ा ताकतवर इंसान भी दुनिया के सभी काम अकेले नहीं कर सकता, ऐसे में घबरा कर गम को दिल में जगह देने से अच्छा है कि सच्ची लगन से काम करते हुए अपनी सारी उम्मीदें और उसका फल भगवान पर छोड़ दे। कुछ ही समय में आप देखेंगे कि आपकी मंजिल आपके सामने होती है।
गमों से घबराने की जगह उनको भूलने के लिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि परमात्मा को याद करने के साथ-साथ अपने काम में महारत हासिल की जाये। इस तरह इंसान अपने सभी गमों को धीरे-धीरे भूलने लगता है। इससे पहले कि गम हमारे अपने ही प्यारे चमन को जला कर राख कर दे, हमें गुजरे हुए वक्त के हर गम को हंसी-खुशी में तब्दील करना होगा। आयु के अनुसार बूढ़ा होना चिंता की बात नहीं, किंतु व्यर्थ के गमों से समय से पहले ही बूढ़ा होना कोई अक्लमंदी नहीं है। जो कोई सभी गमों को भूलकर विकट परिस्थितियों का हंसी-खुशी सामना करता है, जमाना उसे एक जनसाधारण से महावीर बना देता है। जीवन में मिलना-बिछुड़ना, उतार-चढ़ाव, नफा-नुकसान सभी कुछ भगवान की मर्जी से ही होता है। गमों के इतने दुष्प्रभावों के बारे में सब कुछ जानने के बाद जौली अंकल की सोच तो यही कहती है कि ईश्वर और समय हर गम को मिटाने के दो परम चिकित्सक है, इसलिये हमारा जीवन चाहे कैसा भी हो, कभी भी गम से न घबराना। जब तक हम जिंदगी को समझना शुरू करते हैं, तब तक यह आधी खत्म हो चुकी होती है।
ये कहानी ‘कहानियां जो राह दिखाएं’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं–
