Chunmun rabbit aur smart phone
Chunmun rabbit aur smart phone

भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

चुनमुन खरगोश ने जब से नया स्मार्ट फोन खरीदा था, उसके तमाम नए दोस्त बन गए थे। मुनमुन बकरी, कालू कुत्ता, कालिया कौवा, खोखों बंदर, थुलथुल भैंस, गुनगुन भौरा, चालू चिडिया, ननमुन तितली, हिन्नू हिरण, हिन–हिन घोड़ा और न जाने कौन-कौन । चुनमुन खरगोश के पास फेसबुक या व्हाट्सएप पर बहुत से नए-अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट आती। यह सभी को कर देता।

वह जब स्कूल जाता तो चुपचाप अपना फोन भी ले जाता। अब उसका ध्यान पढ़ने में कम, दोस्तों के साथ चैटिंग, गेम या बातचीत करने में ही ज्यादा लगा रहता। मम्मी समझाती, चुनमुन, अब तुम पढ़ाई में मन नहीं लगाते हो। दिन-रात फोन पर टिभ-टिभ लगे रहते हो।

पहले पढ़-लिखकर कुछ बन जाओ, तब खूब फोन पर बातें करना।

पर चुनमुन खरगोश, मम्मी की बात भला क्यों मानने लगा। वह बहाना बनाकर फिर फोन में बिजी हो जाता।

मुनमुन बकरी, बड़े प्यारे-प्यारे शेर, कविताएं पोस्ट करती, हरी-हरी घास के मैदान के नजारे, चुनमुन खूब लाइक करता। कमेंट भी करता ।

कालू कुत्ता अपनी बहादुरी के रोज नए-नए किस्से सुनाता तो कालिया कौवा कांव-काव ही करता रहता। चालू चिड़िया और ननमुन तितली, हिन्नू हिरन, अपनी नई-नई फोटो, पिक्चर पोस्ट कर सैकड़ों लाइक बटोरते।

चुनमुन खरगोश दिन भर फोन पर ही लगा रहता। किसी से तो घंटों बातें ही करता रहता। इस कारण उसका होमवर्क भी पिछड़ जाता। मम्मी-पापा, टीचर सबसे झूठ बोलकर चुनमुन बच निकलता और पढ़ने-लिखने के नाम पर वह फोन में ही मस्त रहता।

सभी दोस्तों ने लम्बी-लम्बी डींगे हांक रखी थीं। प्यारे दोस्त चुनगुन, जब कोई समस्या हो, एक कॉल कर देना या एक पोस्ट डाल देना तुरंत हाजिर हो जाएंगे।

चुनमुन इन्ही सब के साथ मस्त रहता और खाने-पीने, पढ़ने तक की कभी-कभी उसको सुध न रहती।

एक दिन चुनमुन, पार्क में एक पेड़ के नीचे बेंच में बैठे-बैठे अपनी किसी दोस्त के साथ चैटिंग कर रहा था कि भूखे खालू भेड़िया ने उसे देख लिया। गोलमटोल चुनमुन खरगोश को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। वह घात लगाकर चुनमुन पर हमला करने ही वाला था कि अचानक पत्ते खड़कने से चुनमुन की नजर खालू भेडिए पर पड़ गई। उसने फौरन कालू कुत्ते को फोन किया, ‘कालू जल्दी आ जाओ, मुझे खालू भेड़िए ने घेर लिया है।

-अरे यार, आज मुझे सुबह से ही जुकाम-बुखार है। मैं लेटा हूं तुम किसी और दोस्त को कॉल कर के बुला लो, कहकर कालू कुत्ता बहाना बना गया। चनमन ने फिर मनमन बकरी को फोन किया, मनमन बहन, तुम्हारी सींगे चाकू की तरह तेज हैं न! तुरंत पार्क में आ जाओ और खालू भेडिए को मारकर भगा दो, वह मुझ पर हमला करने वाला है।

-अरे ऐसा करो चुनमुन कि तुम किसी और दोस्त को बुला लो, मैं अपने बच्चों के लिए नाश्ता बना रही हूं।

-मुनमुन बकरी भी झूठ बोल गई।

-अरे हिन-हिन दादा, मैं संकट में हूं, चुनमुन ने हिन-हिन घोड़े को फोन लगाया, खालू भेड़िया मुझे पकड़ना चाहता है। मेरी मदद करो।

-मैं अभी रेस कम्पटीशन में जा रहा हूं, लौटकर आऊँगा तो फोन करूंगा। कहकर हिन-हिन घोड़े ने फोन काट दिया।

चुनमुन ने एक-एक कर अपने सारे दोस्तों को फोन किया। मैसेज डालें। व्हाट्सएप किया। पर उसकी मदद को कोई नहीं आया। दोस्ती के बड़े-बड़े दावे करने वाले दोस्तों ने या तो बहाने बना दिए या फोन काट दिया या स्विच ऑफ कर लिया।

खालू भेड़िया लगभग उसके पास ही आ गया था। वह उस पर झपटने ही वाला था कि तभी उसे टीचर की एक बात याद आ गई थी। टीचर ने क्लास में एक दिन कहा था- सभी को अपनी मदद खुद करनी चाहिए। संकट में घबराना नहीं चाहिए।

उसने तुरत अपना फोन, खालू भेडिए के सिर पर दे मारा और उछलकर भाग खड़ा हुआ।

उसने अपने पापा से रेसिंग सीखी थी, वही काम आई। वह छलांगें भरता हुआ इतनी तेज भागा कि खालू भेड़िया आखें फाड़े उसे देखता ही रह गया।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’