Kids Story: गर्मियों के इन दिनों ने अपना कहर जारी रखा हुआ था, सूरज धरती को तपा रहा था, मानो उसे पृथ्वी का विनाश करना हो, मगर आज सूरज और गर्मी शायद छुट्टी पर गए हुए थे, इसलिए आज सुबह से ही आसमान बादलों की चादर ओढ़े हुए था। इसलिए विनय ने अपने कमरे का
एयर कंडीशनर बंद कर दिया था और खिड़की के पास रखी हुई अपनी मेज और कुर्सी पर बैठ कर अपने स्कूल का गृहकार्य करने में व्यस्त हो गया था। खिड़की से आती ठंडी हवा और पंछियों की चहल कदमी ने विनय के मन को गृहकार्य को पूरा करने में लगाए रखा था। विनय अपने गृहकार्य में इतना खो गया था कि उसे कुछ भी याद नहीं रहा था, कि कब शाम आ गई और दोपहर चली गई थी। तभी दरवाजा खुलता है और मां विनय को दूध का गिलास देते हुए उसके सिर पर हल्के से हाथ रखते हुए कहती है – “विनय बेटा दूध पी लो देखो शाम को पांच बजने वाले हैं, फ़िर तुम्हें मैदान में भी जाना है”।विनय को अचानक याद आता है और वह अपनी मां से कहता है -” मां, मैं तो यह भूल ही गया था,मौसम इतना अच्छा था कि मेरा मन होम वर्क में ही लगा रहा , मुझे मैदान के बारे में कुछ भी याद नहीं रहा”। विनय जल्दी से दूध पी लेता है और मेज से अपनी सभी कॉपियों और किताबों को अलमारी में अपनी- अपनी जगह पर रखकर और कपड़े बदलकर घर से अपनी साइकिल पर अपनी फुटबॉल को साथ में लेकर मैदान की ओर चल पड़ता है।
विनय अभी घर से कुछ ही दूरी पर पहुंचा था , कि बादलों ने बारिश शुरू कर दी विनय खुद को बारिश में भीगने से बचाने के लिए अपनी साइकिल को एक घने पेड़ के पास स्टैंड पर लगाकर उस घने पेड़ के नीचे आश्रय ले लेता है। वह अपने चारों तरफ देखता है, तो उसे एक पुरानी साइकिल और अपनी हम उम्र का एक इंसान दिखाई देता है,वह भी उसी के जैसे कपड़े पहने हुए होता है और उसके हाथों में एक फुटबॉल भी होती है। विनय यह देखकर बहुत उत्सुक हो जाता है। विनय उसके पास पहुंचकर उससे पूछता है – “तुम कौन हो और तुम्हारा नाम क्या है” ? वह जवाब देता है – ” मेरा नाम अमित है। मैं मैदान में फुटबॉल खेलता हूं। वह फिर विनय से पूछता है – ” तुम कौन हो ?
विनय जवाब देता है – ” मेरा नाम विनय है, मैं भी मैदान में फुटबॉल खेलता हूं। मैंने तुम्हें पहले कभी देखा नहीं है मैदान में फुटबॉल खेलते हुए। अमित कहता है -मैं सुबह फुटबॉल खेलने आता हूं,आज से मेरे स्कूल सुबह के हो गए हैं, इसलिए मैं आज शाम को आया हूं।
कुछ देर बाद बारिश रुक जाती है। दोनों साथ में मैदान की तरफ चल देते हैं। अमित को फुटबॉल बहुत अच्छा खेलते देखकर विनय चौंक जाता है, वह अमित से पूछता है – अमित तुम इतनी अच्छी फुटबॉल खेलना कहां से सीखे? अमित कहता है – ” विनय यह मेरे अभ्यास का कमाल है, मैं हर रोज दो घण्टे फुटबॉल का अभ्यास करता हूं। विनय अमित से उसे फुटबॉल सिखाने के लिए कहता है। अमित विनय को फुटबॉल सिखाने के लिए राजी भी हो जाता है। दोनों की बहुत ही कम समय में बहुत अच्छी और गहरी दोस्ती भी हो चुकी थी। दोनों का एक – दूसरे के घर आना – जाना भी शुरू हो चुका था। विनय अमित की पढ़ाई में मदद कर देता था , और अमित विनय की फुटबॉल सीखने में दोनों की इस दोस्ती ने एक – दूसरे को उनकी कमजोरी को हटाकर उनके व्यक्तिव को निखारने का काम किया था। यह देखकर सभी उनकी तारीफ करने लगे थे।
मगर कुछ ही महीनों के बाद अमित की मां बीमार हो गईं,अमित अपनी मां की देखभाल करने की वजह से स्कूल और मैदान दोनों से दूर हो गया था ,उसका पूरा समय सिर्फ अपनी मां की देखभाल करने में ही चला जाता था,अमित का स्कूल और मैदान पर नहीं आने का कारण जानने के लिए विनय उसके घर पर जाता है , वहां पहुंचकर विनय को सब कुछ पता चलता है,विनय अपने घर आ जाता है। घर पर आकर विनय अपने पूरे समय में अपने मित्र की सहायता करने के बारे में ही सोचता रहता है। जब विनय की मां उससे पूछती है – विनय क्या हुआ कोई बात है ? विनय अपनी मां को सारी बात बता देता है। विनय की मां उससे कहती है – ” विनय तुम्हें अपनी मित्र की सहायता करनी चाहिए। विनय कहता है – हां , मां आपने सही कहा। विनय हर रोज अपने मित्र अमित के घर जाकर उसकी पढ़ाई मे मदद करता और जब अमित घर पर नही होता तो वह स्वयं उसकी मां की देखभाल अपनी मां समझ कर करता था। फिर वह अपनी पढ़ाई और आगे आने वाले टीम सिलेक्शन की जानकारियां भी स्वयं अमित को देता था।
कुछ ही हफ्तों के बाद अमित की मां की तबियत ठीक होने लग जाती है, इसे देखकर दोनों दोस्तों के होठों पर मुस्कान आ जाती है। धीरे – धीरे सब कुछ सामान्य होने लग जाता है। विनय और अमित वापिस स्कूल और मैदान में मिलने लगे थे। और टीम सिलेक्शन की तैयारियों में जी जान से लग जाते हैं। कुछ ही दिनों के बाद टीम सिलेक्शन शुरू हो जाता है,टीम सिलेक्शन अलग- अलग स्तर पर होता है, दोनों अपनी पूरी मेहनत और लगन से सभी स्तरों पर अपना शत प्रतिशत देते हैं। कुछ ही दिनों के बाद टीम सिलेक्शन का परिणाम आ जाता है। दोनों दोस्त बाकी खिलाड़ियों के साथ में मैदान में पहुंच जाते हैं, टीम में जितने खिलाड़ियों का चयन होता है, उसमें अमित का नाम भी मुख्य खिलाड़ी के रूप में होता है। मगर विनय का नहीं होता है।विनय उदास होने लगता है, तभी एक सूचना को सूचना पटल पर चिपकाया जाता है, जिसमें विनय का नाम टीम के कप्तान के रूप में लिखा होता है,अमित विनय को सूचना के बारे में बताता है और विनय अमित को गले लगाकर धन्यवाद कहता है।
