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मिट्टी के तेल का डिब्बा, माचिस और त्रिशूल लेकर नफरत और गुस्से से लगभग कांपता हुआ दूसरे धर्म वालों को सबक सिखाने के लिए ज्यों ही वह अपने घर से निकला, उसने देखा सामने से एक आदमी उसके आठ वर्षीय लड़के को उठाकर लिए आ रहा है। लड़के की टांग पर पट्टियां बंधी हुई थीं। जरूर यह दूसरे धर्म वालों का काम होगा। “क्या हुआ मेरे बच्चे को।” तड़प कर पूछा बच्चे की माँ और उसने।

बच्चे को बिस्तर पर लिटाकर उस आदमी ने बड़े इत्मीनान से कहा- “आप लोग खुशकिस्मत हैं क्योंकि आप एक बहुत नेक, जज्बाती और रहम दिल बेटे के माँ-बाप हैं। एक कुत्ते के पिल्ले को कार की चपेट में आने से बचाने के चक्कर में चोट खा बैठा है आपका बेटा..। घबराने की कोई बात नहीं। “दो-तीन हफ्रते में सब ठीक हो जाएगा…”

मिट्टी के तेल का डिब्बा और त्रिशूल छूटकर नीचे जा गिरे थे। वह अपने लड़के के पास गया तो वह बोला, “पापा… आज ये अंकल न होते तो मैं भी… मैंने पिल्ले को तो बचा लिया पर कार की ब्रेक की तेज आवाज से डरकर वहाँ घूम रहा एक आवारा सांड घबराकर अंधाधुंध भागने लगा। कार मुझे गिराकर भाग गई। मैं वहाँ पड़ा था। अगर ये अंकल न बचाते तो सांड मुझे मार डालता। मेरी ये पट्टी भी इन्होंने ही करवाई…”

तड़पकर रह गया वह एक मेरा बेटा है जो एक पिल्ले के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहा है और एक मैं हूँ? और ये आदमी… “आपकी बड़ी मेहरबानी… आपका शुभ नाम?”

“जी, शकील अहमद।” – वह आदमी बोला।

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)