Moral Education for Kids: शिशु आगे चलकर कैसा होगा, ये तो किसी माता-पिता को पता नहीं होता, लेकिन बच्चे को शुरुआती दिनों से ही अच्छी सीख देने के साथ ही नैतिकता का पाठ पढ़ाएं। बच्चों को बताएं कि नैतिक शिक्षा के जरिए वह जिंदगी में बड़े कामयाब इंसान बन सकते हैं।
बच्चे आजकल सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रोनिक मीडिया तक सुखियां बटोरते हैं। आज के बच्चे
बहुत कम उम्र में ही बड़े-बड़े कारनामे कर जाते हैं। बच्चों की ट्रेनिंग में आप कुछ मिस कर जाते हैं। दरअसल आप अपने बच्चों को बहुत कम उम्र से ही अच्छे-अच्छे स्कूलों में दाखिला तो करा देते हैं, लेकिन नैतिक मूल्य नहीं सिखाते हैं। जितनी स्कूली शिक्षा जरूरी है उतनी ही नैतिक शिक्षा भी
जरूरी है, जो देश का आने वाला सुनहरा भविष्य तय करती है। अब आपको बताते हैं की बच्चों का नैतिक विकास करना इतना जरूरी क्यों है, आइए जानते हैं-
वृद्धाश्रम में बूढ़े मां-बाप का बढ़ता स्तर
बच्चे तरक्की की राह पर इतना आगे बढ़ गए हैं कि वे अपनों के लिए सोचना ही बंद कर देते हैं। आजकल मां-बाप बच्चों को पढ़ाने और काबिल बनाने में अपना सब कुछ लगा देते हैं, पर बच्चे उन्हे बुढ़ापे में वृद्धाश्रम का रास्ता दिखा देते हैं, ये भी कही-न-कही नैतिक शिक्षा के अभाव का ही परिणाम है। अगर बच्चों को बचपन से ही मां-बाप की अहमियत और ह्रश्वयार का मूल्य पता होगा तो
वो ऐसा कभी नहीं करेंगे।
नियमों और कानूनों के अनुपालन का अभाव
बात चाहे ट्रैफिक नियमों की हो या पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान की, ज्यादातर लोग इसके नियमों के पालन में लापरवाही करते ही नजर आते हैं। कानून को न मानने में कमजोर नैतिक शिक्षा ही जिम्मेदार हैं। समाज के प्रति एक जिम्मेदार रवैया सिखाने से बच्चे नियमों का पालन जिम्मेदारी से
करेंगे। अब जानते हैं कि बच्चे किन स्थानों से नैतिक जिम्मेदारी सीख सकते हैं-
1. बच्चे जैसा माहौल पाएंगे वैसे ही बनेंगे इसीलिए बच्चों को समाज की बुराइयों की बजाय अच्छाइयों से रूबरू करवाएं। वृक्ष रोपण, पर्यावरण संरक्षण जैसे समाजिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कहें,
जिससे बच्चा बचपन से ही समाज के प्रति जिम्मेदार बनेगा।
गैजेट्स का नियंत्रित उपयोग
आज कल बच्चे बड़े बाद में होते हैं और उनके पैरेंट्स मोबाइल, टीवी की आदत पहले डलवा देते हैं। बहुत सी मां तो अपना काम शांति से कर सकें इसीलिए वो अपने बच्चों को खुद फोन दे कर चुप करा देती हैं, जिससे धीरे-धीरे उनमें फोन की आदत पड़ जाती है। बच्चों को मोबाइल का
नियंत्रित उपयोग करना सिखाएं, उनमें किसी भी चीज की लत न लगने दें।
छोटी-छोटी जिम्मेदारियों से बनेंगे सयाने
बच्चों को अपनी जिम्मेदारियां और काम का आभास उनके बचपन से ही उनमें डालना चाहिए। घर के छोटे-मोटे काम जैसे अपने खिलौनों को खेलने के बाद संभाल कर रखना, स्कूल से आने के बाद अपने कपड़े और बैग को सही जगह पर रखना जैसी जिम्मेदारियां निभाना सिखाएं।
शेयरिंग इज केयरिंग की सीख
बच्चे जो अपने बचपन में सीखते हैं वही वो बड़े होने तक करते हैं, इसीलिए बच्चों को हमेशा अच्छी
आदतें ही सिखाएं ताकी वे उम्र भर वही काम करते रहें। बच्चों में शेयरिंग और दूसरों की केयरिंग की भावना डालना बेहद जरूरी है। खाने-पीने का सामान हो या फिर बुक्स, कपड़े ही क्यों न हो, बच्चों
को शेयर करने की सीख जरूर दें और इतना ही नहीं बड़े-बूढ़े बच्चे जानवरों की केयर करना भी सिखाएं।
बाल मन में बोएं मानवता का बीज
बच्चों को बचपन में ही बड़ों का सम्मान करना सीखना चाहिए। ध्यान रहे बच्चे सिर्फ आपके घर के बड़ों का ही केवल सम्मान न करते हों उनके मन में प्रत्येक इंसान के लिए, दया, विनम्रता का भाव
होना चाहिए। जानवरों के प्रति भी उनके मन में करुणा डालने की भी नैतिक जिम्मेदारी है।
ईमानदारी का पाठ सिखाएं
आप अपने बच्चों को ईमानदारी के बारे में समझाएं और उन्हें हमेशा ईमानदारी पर चलना ही सिखाएं। इतनी बड़ी और जरूरी बात बच्चों के मन में डालने के लिए आप स्टोरी या मूवीज का सहारा ले सकते हैं, जिससे बच्चे आसानी से समझ सकते हैं।
मदद करना सिखाएं
‘कर भला तो हो भला!’ ऐसी कहावतों के साथ बच्चों को मदद करने के लिए कहें। घर हो या बाहर जहां कहीं भी मौका मिले जरूरतमंद की हेल्प जरूर करने की सीख दें।
बच्चो के जीवन में अच्छे गुणों को उतारना बहुत जरूरी है, उनके अंदर सभी अच्छी आदतों को बचपन में ही डाले
शांति से करें हर समस्या का समाधान

बच्चों को बात-बात पर डांटना, मारना, गुस्सा करना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है,
इससे बच्चे चिड़चिड़े और गुस्से वाले हो जाएंगे। बच्चों के स्वभाव में शांति और हर समस्या को
गुस्से से नहीं सोच समझ कर हल करना सिखाएं। आप बच्चों को कभी भी गुस्सा करते देखें तो
उनको ह्रश्वयार से गुस्से के दुष्परिणाम और शांति से विवादों को सुलझाकर समझाएं।
अपने लिए स्टैंड लेना सिखाएं
बच्चे कल को उम्र के किसी भी पायदान पर खड़े हों उनको किसी के सहारे न रहना पड़े इसीलिए उनमें बचपन से ही अपने लिए खड़ा होना सिखाएं। बात जब सही गलत की हो या फिर बच्चे आपसे किसी की शिकायत करें तो आप बच्चों को बोलें की वो खुद से ही अपनी लड़ाई जीते।
बी कॉन्फिडेंट रहना सिखाएं
आत्मविश्वास से व्यक्ति जिंदगी की हर सीढ़ी चढ़ सकता है। बच्चों में आत्मविश्वास जगाने के लिए आप आप उनके छोटे-छोटे कामों के बाद तारीफ करना न भूलें। हर काम को करने का जज़्बा उनमें पैदा करें। समय के साथ सामंजस्य बिठाए अपने बच्चों को ये सिखाना बहुत जरूरी है की हमेशा समय और परिस्थितियां एक जैसी नहीं रहेंगी। वक्त के साथ अपने आपको ढालने की कोशिश करने की सीख दें। अब एडजस्ट और कॉम्प्रोमाइज का अर्थ यह नहीं है की वो हर बात को कॉम्प्रोमाइज बोलकर पीछे ही हट जाएं इसीलिए बच्चों को हमेशा सही और गलत बात का ज्ञान होना भी जरूरी है।
बच्चों से करें डेली फेस टू फेस बातचीत
आप कितना भी बिजी रहते हों लेकिन आपको अपने डेली रूटीन में से थोड़ा सा समय अपने बच्चों के हिस्से में भी डालना चाहिए। आप उनकी सारे दिन की बातें सुन सकते हैं, कुछ अपने जीवन से जुड़े अनुभव शेयर कर उन्हें समाजिक जीवन से भी अवगत करवा सकतें हैं।
परिवार की कद्र करना पहले सिखाएं

अकसर देखा जाता है की परिवार में हुए मतभेद के चलते बच्चे भी अपने से बड़ों के साथ दुर्व्यवहार करने लग जातें हैं, ऐसे वक्त में अपने बच्चों को तुरंत टोकें। परिवार जन की इज्जत करना सिखाएं और बच्चा जो देखता है वही सीखता है इसीलिए याद रखिए की अपने बच्चे के सामने कोई ऐसा
काम न करें जिससे वो गलत चीज सीख ले।
