खेल बच्चों के विकास में मदद करता है
खेलकूद मौज-मस्ती का एक तरीका होता है, लेकिन बच्चों की सीखने-समझने की क्षमता बढ़ाने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती हैI
Unicef initiative: शुरुआती तीन वर्षों तक बच्चे का मस्तिष्क काफी तेजी से विकसित होता हैI यह समय उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता हैI इस दौरान माता-पिता बच्चे के समुचित विकास के लिए एक बेहद ही सरल और मजेदार तरीका अपना सकते हैं और वह है बच्चे के साथ खेलनाI खेलकूद मौज-मस्ती का एक तरीका होता है, लेकिन बच्चों की सीखने-समझने की क्षमता बढ़ाने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती हैI इससे न सिर्फ बच्चे और माता-पिता के बीच एक बेहतर समझ बनती है, बल्कि आगे चलकर इसकी वजह से बच्चे में समस्याएं सुलझाने और अपने विचारों को बेहतर तरीके से व्यक्त करने की क्षमता भी विकसित होती हैI
माता-पिता या बच्चों की देखभाल करने वालों को अपनी दिनचर्या में से कम से कम एक घंटे का समय बच्चों के साथ खेलने के लिए जरूर निकालना चाहिएI इससे बच्चों में खेल-खेल में नए-नए तरीके सीखने, नेतृत्व करने और निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती हैI
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भारत में ‘खेल का घंटा’ का आयोजन किया गया

भारत में पहली बार 11 जून को ‘खेल का घंटा’ का आयोजन किया गयाI यह बच्चों के जीवन में खेल के महत्व को उजागर करने और बच्चों के खेल में माता-पिता के सहयोग को बढ़ावा देने की एक महत्वपूर्ण पहल हैI मौज-मस्ती, हंसी-मजाक और फ्री प्ले वाले इस एक घंटे का उद्देश्य बच्चों को वयस्कों के बनाए नियम-कायदों में बंधे बिना खेल गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करना हैI यह पहल बच्चों के समग्र कल्याण और स्वस्थ विकास में खुलकर खेलने की भूमिका को प्राथमिकता देती है और इसकी अहमियत को दर्शाती हैI
खेल गतिविधियों से वंचित रहने के वैश्विक आंकड़े

वैश्विक आंकड़े दर्शाते हैं कि आजकल बहुत से बच्चों को अपने माता-पिता और देखभालकर्ताओं के साथ खेलने के जरूरी समय नहीं मिल पाता हैI राइट टू प्ले की एक रिपोर्ट की मानें तो आज केवल 27% बच्चे अपने घर के बाहर खेलते हैं, जबकि उनके माता-पिता की पीढ़ी के 71% बच्चे घर के बाहर खेलते थेI इस तरह की खेल गतिविधियों का हिस्सा न बन पाना बच्चों के समग्र मानसिक और शारीरिक विकास को काफी हद तक प्रभावित करता हैI
बच्चों के विकास के लिए खेल है जरूरी

यूनिसेफ इंडिया की शिक्षा विशेषज्ञ सुनीशा आहूजा बताती हैं कि बच्चों के संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए खेल बहुत जरूरी हैI खेलकूद के जरिए बच्चों को अपने आसपास के वातावरण को जानने-समझने का मौका मिलता हैI इससे उनमें संज्ञानात्मक कौशल विकसित होता है, जो आलोचनात्मक सोच, समस्या समाधान और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने में बेहद अहम हैI सामाजिक विकास की बात करें तो खेल बच्चों को नए रिश्ते बनाना सिखाता है, उनकी कल्पनाओं को पंख देता है और रचनात्मकता कौशल और जिज्ञासु प्रवृत्ति को भी विकसित करता हैI भावनात्मक स्तर पर, अपने माता-पिता के साथ खेलने पर बच्चों को प्यार और सुरक्षा का एहसास होता हैI इसके साथ ही वे तनाव से उबरना भी सीखते हैंI
किस तरह के खेल को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं

माता-पिता और देखभालकर्ता बच्चों के साथ फ्री प्ले को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैंI उन्हें बस यह पूरी तरह से बच्चों पर छोड़ देना है कि वो कौन-सा खेल खेलना चाहते हैंI वे बच्चों के साथ वैसे खेल भी खेल सकते हैं जिसमें कार्डबोर्ड के डिब्बे, कपड़ों के टुकड़े जैसी रोजमर्रा की चीजों का इस्तेमाल हो रहा हो या फिर बच्चे अपनी कल्पना से कोई खेल बना रहे होंI खेल के दौरान पेरेंट्स को बच्चों के लिए सुरक्षित और खुशनुमा माहौल प्रदान करने और उन्हें प्रोत्साहित करने पर ध्यान देना चाहिएI
