भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
मैसूर के पास एक गांव में एक दंपत्ति रहा करते थे। पति का नाम था चेनबसप्पा और पत्नी का नाम था गंगव्वा। दोनों अपने परिवार में राजी-खुशी रहते थे। कुछ दिनों से चेनबसप्पा का स्वास्थ्य ठीक नहीं था। कुछ उल्टा-सीधा खा लिया होगा। गर्मी भी बहुत थी। सुबह-सुबह जब उठा तो जी मचल उठा और वह उठकर पिछवाड़े गया और उसे उल्टी हो गयी। अपनी उल्टी का रंग काला देखकर वह थोड़ा घबरा गया। अंदर आकर थोडा परेशान होकर उसने अपनी पत्नी गंगव्वा से कहा, “अरी गंगव्वा, कल से जी मचल रहा था। थोड़ा परेशान भी था और आज सुबह-सुबह मुझे उल्टी हो गयी।
और उल्टी का रंग भी काला था। पता नहीं क्या हो गया है। थोडी चिंता-सी हो रही है”। गंगव्वा ने बात सुनी, वह भी थोडी परेशान हुई। उसे परेशान देखकर पड़ोसन ने उसे पूछा, “ए गंगी, क्या बात है… परेशान लग रही हो।” पड़ोसन की उसके प्रति चिंता देखकर गंगव्वा ने उसे कहा, “क्या बताऊँ…इनकी तबियत ठीक नहीं है और सुबह उनको उल्टी भी हो गयी और उल्टी भी कौव जैसी काली थी।” परेशान हूँ। चैनबसप्पा का गाँव छोटा-सा था। उस पड़ोसन ने अपनी पड़ोसन को गंगव्वा के पति चेनबसप्पा के उल्टी की बात बतायी और कहा, “ऐ राधव्वा, तुमने सुना क्या, गंगव्वा के पति को सुबह-सुबह उल्टी हुई और उल्टी से कौवा बाहर आया।” सुनकर राधव्वा हैरान हो गयी। उसने अपने घर जाकर सबको बताया कि, सुना कि गंगव्वा के पति चैनबसप्पा को उल्टी हुई और उससे दो कौवे बाहर आए। चौनबसप्पा की उल्टी की खबर गाँव भर में फैल गयी। उल्टी से कौवे निकलने की बात में अब कई सारे पक्षी शामिल हो गए और गांव भर में खबर फैल गयी कि चेनबसप्पा की उल्टी से तरह तरह के रंगीन पक्षी बाहर निकल रहे हैं।
यह बात मात्र गाँव की नहीं शहर तक पहुँच गयी और चेनबसप्पा को देखने गाँव और शहर से लोग-बाग आने लगे। यह बात चेनबसप्पा के पास पहुँची। वह परेशान हो उठा। भला उसे देखने के लिए लोग क्यों आने लगे हैं। पता चला कि उसकी उल्टी से पक्षी बाहर निकल रहे हैं, ऐसी खबर सुनकर लोग उसे देखने आने लगे हैं। उसने अपनी पत्नी गंगव्वा को बुला लिया और पूछा तुमने लोगों से क्या कहा है, उसने बडे ही भोलपन से कहा, अजी, मैंने तो पडोसन से केवल इतना ही कहा कि इनको कौवे की तरह काली उल्टी हो रही है। बात अब उसे पता चला कि गंगव्वा की बात का सूत्र पकडकर लोगों ने क्या-क्या सोचा और अपनी ओर से कुछ और जोड़कर एक नयी कहानी ही तैयार कर दी थी।
उसने लोगों को बुला लिया और कहा कि, “मुझे माफ कीजिए। मुझे बस काले रंग की उल्टी हो गयी थी। और मेरी पत्नी गंगव्वा ने बस इतना कहा थी कि उल्टी कौवे के रंग-सी काली थी, बस। पता नहीं लोगों ने उसमें क्या-क्या जोड़कर, मिर्च मसाला लगाकर यह बात कह दी। मुझे माफ कीजिए। मेरी वजह से आप सबको तकलीफ हुई।” लोग कुछ अफलातुन देखने आए थे। पर कुछ ऐसा देखने को नहीं मिला। कुछ निराश हुए तो कुछ हंसकर चले गए। (तात्पर्यगलत बात हवा के साथ फैल जाती है।) ।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
