मिस ब्यूटी-गृहलक्ष्मी की कहानी: Beauty Story
Miss Beauty

Beauty Story: शिल्पा दीदी की न्यू फैशन मार्केट में फ़ैन्सी उत्पादों की दुकान थी। साथ ही वो पीकों, रफू, फॉल आदि का कार्य भी करती थी। उनके अगल-बगल पवन फोटो स्टूडियों व नेहा की डिजाइनर सूट्स की दुकान थी। तीनों में मित्रतापूर्ण व्यवहार था।

 उस रोज दीदी को नया चश्मा बनवाने जाना था सो उन्हें आने में कुछ देर हो गई। दीदी ने दुकान में प्रवेश किया ही था कि पवन एक झोकें की तरह आ पहुंचा।

     “वाउ! सो क्यूट दीदी! न्यू ऐनक में तो आप कॉलेज की प्रोफेसर लग रही है।”

      “दिखूंगी ही न…दो नंबर की बलि जो चढ़ गई।” दीदी बोली।

      “बलि..किसकी बलि चढ़ गई दी?” नेहा भी आ खड़ी हुई।

      दीदी ने दोनों को बताया कि उनकी आई साइट माइनस में है अब तीन नंबर का ऐनक चढ़ गया। तब दोनों ने सारा दोष उनकी मोबाइल पर चिपके रहने की आदत को दिया।

  पांच साल पहले जब शिल्पा दीदी ने मोबाइल लिया था तो वें इसका इस्तेमाल करना नही जानती थी परंतु धीरे धीरे उनको इसकी इतनी आदत हो गई कि प्रति घंटे चार पांच फोटो क्लिक करके सोशल साइट्स पर चढ़ा देती थी। पिछले साल उन्होने मिस ब्यूटी एप की मेम्बरशिप तब ले ली जब उन्होने एक महिला ग्राहक को ये कहते सुना कि इस एप पर तीन बेस्ट फोटो को हर महीने नकद पुरस्कार मिलता है।

 अतिउत्साहित दीदी ने मिस ब्यूटी एप पर अपना खाता बना डाला जहां एक प्रतियोगिता जारी थी जिसमें दो महीने में सौ फोटो अलग-अलग वस्त्रों व कोणों द्वारा खींची गई होनी चाहिए। दीदी ने निश्चय करके अपनी जीत के प्रयास शुरू कर दिये। नेहा से दस डिजाइनर सूट्स तुरंत क्रय कर लिये। पवन को उन्होने मोबाइल पकड़ाकर फोटो लेने का कार्यभार सौप दिया था जिसमे वह निपुण था।
अब दीदी ग्राहकों के सामने मोबाइल में व्यस्त रहने लगी नतीजतन असंतुष्ट होकर वें चले जाते। इसका कुछ प्रभाव उनके रफू, पीकों, फॉल कार्य पर भी पड़ा था।
यूं तो पवन और नेहा ने अपने जीवन में भूत प्रेत की सैकड़ों कहानियां सुनी थी लेकिन इन दिनों वें वायरल के भूत को साक्षात देख रहे थे जो दीदी पर हावी था।
एक दिन नेहा खीझकर बोली, ”क्या दीदी! हर वक़्त मिस ब्यूटी एप, कॉन्टेस्ट, क्लिक..कितने दिन हो गये आपके हाथ का बादाम का हलवा खाये।”

“एक बार जीतने दे फिर सीधे पार्टी करना..” दीदी ने गर्व से कहा था।
उधर पवन कई दिनों से दीदी को फिजूलखर्ची रोकने के लिए कह रहा था। जब दुकान मालिक ने आकर चार महीनों का बकाया किराया मांगा तब दीदी ने अगले महीने पूरा हिसाब करने का आश्वासन देकर उसे विदा कर दिया। दीदी को तकनीक जाल का सीमित उपयोग करने की हिदायतें, समझाइशें दी गई जो उनके सिर के ऊपर से जाती रही।
 मिस ब्यूटी एप पर दीदी का भरोसा उस दिन और अधिक गहरा गया जब उन्होने दो हजार रुपये जीतने का मेसेज देखा जो दस हजार पॉइंट्स होने का परिणाम था। नेहा के अधीर जैसे सील दिये गये हो व पवन पर दीदी ने चुप नियंत्रण मंत्र फूंका हो। दोनों आश्चर्यचकित थे। अब तो दीदी ने एप में पांच हजार रुपये लगाकर उसे सालभर तक बढ़ा दिया था।

 दीदी के जन्मदिन की शाम पवन और नेहा तथा घनिष्ठ सखियों की उपस्थिति में क्लिक करने का सिलसिला चलता रहा जब तक कि उनकी पंद्रह वर्षीय पुत्री कल्पना ने रूठते हुए अपना मुंह नही फुला लिया।
कैलेंडर के पन्ने पुराने होते जा रहे थे। फिर एक दोपहर दीदी भागकर पहले पवन फिर नेहा को दुकान में खीच लाई। वें एप पर फोटो अपलोड नही कर पा रही थी।
पवन ने एप की टर्म एंड कंडिशन को चेक किया, “यू आर नॉट इलीजिबल आफ्टर थरटी फाइव एज।” पढ़ते हुए वह तपाक से बोला।
 दीदी की आंखों में सवाल देखकर उसने बताया, “इसमें नियम ये है कि पैंतीस साल के होने के बाद आप इसकी प्रतियोगिताओं में भाग नही ले सकते।”
“शायद दीदी ने अपनी जानकारी सही सही भर दी… है न पवन?” कहते हुए नेहा ने मोबाइल हाथ में लिया। “योर अकाउंट इज परमानेंटली ब्लोक्ड़..दी ये मेसेज देखिये।” वह चीखी।

      “आपको क्या जरूरत थी दीदी एज सही भरने की..” क्रोधित स्वर में पवन बोला।

      दीदी ने तुरंत एप खोलने की कोशिश की पर असफल रही। “तुम दोनों कुछ करो न।” रुंधे गले से दीदी इतना ही बोल पाई। उस रात दीदी को तेज बुखार आ गया।

      अगले दिन दोनों दीदी के घर पहुंचे। पति राजेश जी दीदी के सिरहाने बैठे थे। दीदी का हाल जानने के बाद बातें चल निकली। राजेश जी के अनुसार, “वायरल होने का ये मार्ग उचित नही था..ये तो किसी एप को विकसित करने की रणनीति थी।” उनके मत पर नेहा और पवन ने अपने समर्थन की मोहर लगा दी थी।

      जब दीदी स्वस्थ होकर दुकान लौटी तो वहां पहले से दुकान मालिक उपस्थित था। नेहा अपनी डेस्क को व्यवस्थित कर रही थी व पवन धीमे कदमों से चला आ रहा था। दुकान मालिक सात महीने का पूरा किराया लेने अन्यथा दुकान खाली कर देने पर अड़ गया।

      दीदी की आर्थिक स्थिति समझते हुए पवन दुकान मालिक से बोला “अंकल आपके चार महीने का किराया मैंने आपके खाते में पहुंचा दिया।”

      “हम्म! लेकिन बाकी कब…?”

      “रुकिए अंकल..” नेहा भी आ चुकी थी। “क्या मैं कुछ नहीं लगती दीदी की?” प्रश्न करते हुए उसने भी बाकी रुपये मोबाइल से पहुंचा दिये।

      मोबाइल में नजरे गड़ाये दुकान मालिक वहां से चल दिया।

      दीदी की आंखों की कोर पर खुशी के आंसू भर गए जिसे उन्होने लुढ़कने नही दिया वें बोली, ”इस वायरल होने की ललक ने पहले मेरी आंखें क्षीण की, फिर ग्राहक, पैसा और अब दुकान भी जाने वाली थी..कितना समझाया तुम सब ने पर मैं नही मानी।”

      “हम केवल कहने के लिए नहीं कहते..दिल से आपको दीदी मानते भी है।” मुस्कुराकर पवन ने कहा।

      नेहा दीदी से जा लिपटी।

      कुछ देर बाद जब वें दीदी का लाया बादाम का हलवा खा रहे थे तो नेहा ने तीनों की सेल्फ़ी क्लिक कर ली।