bachon se dosti
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“ओह, कितने प्यारे-प्यारे बच्चे…! और इससे भी बढ़कर तो यह कि उनका पक्का यकीन है मुझ पर, कि सांता आएगा और…और…और…! सच्ची-मुच्ची बच्चों का दोस्त होने से बड़ी खुशी इस दुनिया में कुछ और नहीं, और कैसे कहूँ कि मैंने वह हासिल की है, मैंने…!!”

सोचते हुए सांता के हृदय में एक मीठी हिलोर सी उठी और आँखों में आँसू छलछला आए।

‘अफसोस, लोगों के जीवन में सच्ची खुशी के पल कितने कम हैं। पर वे चाहें तो क्या नहीं हो सकता, क्या नहीं! आखिर बच्चे इस दुनिया में ईश्वर का रूप ही तो हैं, उसका सबसे भोला और निर्मल रूप…!!’ सांताक्लाज ने सोचा और एकाएक तेजी से आगे चल पड़ा।

वह चलता गया, चलता गया, चलता गया…! उसे तरह-तरह के अनुभव हो रहे थे। इतनी बातें, इतने दृश्य…कि उसका मन उदासी से भर गया। दुनिया में कितनी अमीरी, कितना पैसा है, फिर भी लोग कितने बेहाल हैं। पता नहीं क्यों लोग अपने से बाहर निकलकर देखना और सोचना ही नहीं चाहते? इसीलिए तो दुनिया में इतने दुख हैं। कोई नहीं समझता कि सिर्फ प्यार बाँटने से ही दुनिया के दुख कम होते हैं।

सांता कुछ दुखी था, पर फिर उसके मन में वही चक्कर चल पड़ा कि किस बच्चे के लिए क्या-क्या करना है…? उसके मन में एक-एक बच्चे की तसवीर उभर आई। हैरी, जॉन, नील, पिंकी, रमजानी, बीनू, सत्ते…और न जाने कितने बच्चे। कोई किसी गली, कोई किसी मोहल्ले या कॉलोनी में। पर दिल सबके एक जैसे।…बस, अब अपने सुंदर उपहारों के साथ उन तक पहुँचना है, चाहे जैसे भी हो, पहुँचना है।

“बच्चे नहीं जानते कि क्रिसमस की मीठे सपनों वाली रात में उनके दोस्त सांता ने उनके लिए कितनी भागदौड़ की!…हालाँकि क्या इसमें खुद मुझे खुशी नहीं मिलती? सच पूछो तो खुशी एक ऐसी मिठाई है कि जितनी बाँटो, उतनी बढ़ेगी। वह बाँटने से कम नहीं होती, बल्कि बढ़ती है। यकीनन…यकीनन…!!”

सांता ने मुसकराते हुए अपने आप से कहा और धीरे से ‘जिंगल..जिंगल’ गाना शुरू कर दिया।

ये उपन्यास ‘बच्चों के 7 रोचक उपन्यास’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंBachchon Ke Saat Rochak Upanyaas (बच्चों के 7 रोचक उपन्यास)