naavik sindabaad kee pahalee yaatra - arebiyan naits kee kahaanee
naavik sindabaad kee pahalee yaatra -

बहुत समय पहले बगदाद में सिंदबाद नामक एक आदमी रहता था। वह अमीर घर में पैदा हुआ था, पर जवानी की मूर्खता के कारण वह जुए में सब हार गया। उसने घर के बचे सामान को नीलाम किया और समुद्री यात्रा करने वाले लोगों के दल में शामिल हो गया ।

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The First Voyage of Sindbad the Sailor

सिंदबाद ने साथी नाविकों के साथ कई द्वीपों की यात्राएं कीं। वहां उसने पैसा कमाने के लिए कई वस्तुएं बेचीं व उनका आदान-प्रदान भी किया।

एक दिन उसका जहाज छोटे-से द्वीप के पास रुका। वह एक हरा-भरा इलाका था। जहाज के कप्तान ने कहा कि यात्री कुछ देर वहां आराम कर सकते हैं

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The First Voyage of Sindbad the Sailor

सिंदबाद व उसके साथी कुछ देर टहलते रहे, फिर उन्होंने भोजन करने के लिए आग जला ली। अचानक पूरे द्वीप में भयंकर खलबली होने लगी। कुछ नाविक चीखते हुए जहाज की ओर भागे, “ जल्दी चलो, जान बचाओ ! हम किसी द्वीप पर नहीं, बल्कि एक सोती हुई व्हेल पर बैठे हैं।

कुछ लोग तो बच गए, पर जैसे ही सिंदबाद भागने लगा तो मछली ने गहरे समुद्र में डुबकी लगा दी। वह लकड़ी के एक लट्ठे पर बैठा रह गया, जो आग जलाने के लिए रखा गया था। जहाज भी उसे समुद्र की लहरों के सहारे छोड़कर आगे निकल गया।

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The First Voyage of Sindbad the Sailor

वह सारी रात उसी लट्ठे को पकड़कर तैरता रहा। अगली सुबह वह एक द्वीप पर था। वह पेड़ों की जड़ों को पकड़-पकड़कर किनारे तक आया और ज़मीन पर बेसुध होकर लेट गया ।

उसे भूख लगी थी। कुछ देर बाद उसे वहां रखे हुए कुछ फल व सामने ही पानी का झरना दिखाई दिया। वह तरोताज़ा होकर फल खाने बैठा तो वहां एक घोड़े को बंधे हुए देखा ।

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The First Voyage of Sindbad the Sailor

वह घोड़े के पास गया तो उसने जमीन के नीचे से आती कुछ आवाजें सुनीं। अचानक कुछ लोगों ने आकर सिंदबाद से पूछा, “तुम इस द्वीप पर कैसे आए? “

सिंदबाद ने उन्हें अपनी रोमांचक कथा सुनाई । उन लोगों ने बताया कि वे उस द्वीप के राजा मिहरेज के नौकर हैं। वे हर रोज़ वहां राजा के घोड़ों को चारा देने आते हैं।

वे उसे राजा के पास ले गए। राजा ने उसका खुले दिल से स्वागत किया। उसके लिए

स्वादिष्ट भोजन मंगवाया। सिंदबाद को वहां जाकर बहुत अच्छा लगा।

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कुछ दिन बाद, एक शाम वह समुद्री किनारे पर बैठा आराम कर रहा था। उसने एक जहाज को लंगर डाले देखा। उसका कप्तान अपने आदमियों से बड़े-बड़े बॉक्स उतरवा रहा था। सिंदबाद पास गया तो उसने देखा कि कुछ बंडलों पर उसका अपना नाम लिखा था। वह समझ गया कि वे बंडल उसी जहाज के थे, जिस पर उसने सफर शुरू किया था।

सिंदबाद ने कप्तान को पहचान लिया, पर कप्तान ने उसे नहीं पहचाना। सिंदबाद ने उसे राजा से मिलने के बारे में बताया। इसी दौरान वहां कुछ दूसरे नाविक भी आ गए। उन्होंने सिंदबाद को पहचान लिया।

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अब तो कप्तान भी सिंदबाद को को जीवित पाकर बेहद प्रसन्न हुआ। उसने उसका सारा सामान लौटा दिया। सिंदबाद ने द्वीप के राजा को उसकी दरियादिली व मेज़बानी के लिए तोहफा दिया।

वहां सभी को धन्यवाद देने के बाद वह उसी जहाज से अपने घर लौट गया। इस यात्रा में उसने बहुत-सी चीजें खरीदीं व बेचीं और कई हजार दीनार कमाए ।

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सिंदबाद घर पहुंचा तो परिवार से मिलकर बेहद प्रसन्न हुआ। वह लंबे समय के बाद परिवार को देख रहा था। उसने अपने पैसे से एक बड़ा घर बनवाया व परिवार के साथ आराम से रहने लगा।