एक समय की बात है, एक धनी सौदागर था । वह अक्सर व्यापार करने दूसरे शहरों में जाता था। एक दिन वह लंबी यात्रा पर रवाना हुआ। उसने खजूरों से भरा एक थैला लिया क्योंकि उसे एक ऐसे रेगिस्तान से गुज़रना था, जहां खाने के लिए आसानी से कुछ नहीं मिलता था।

वह तीन दिन के लंबे सफर के बाद चौथे दिन ऐसी जगह पहुंचा, जहां रेगिस्तान में कुछ पानी था और खजूर व ताड़ के पेड़ दिख रहे थे। वह काफी भूखा व थका हुआ था। उसने पेड़ के नीचे सुस्ताने का मन बनाया।
वह थैले से खजूर निकालकर खाने लगा, तभी एक तेज़ आवाज़ से उसका ध्यान भंग हुआ। उसके सामने एक जिन्न हाथ में तलवार लिए खड़ा था।

इससे पहले कि सौदागर खतरे को भांपता । जिन्न उसे बांह से पकड़कर गरज़ा, “तुम्हें जान से मार दूंगा। तुमने मेरे बेटे की जान ली है। “
भय से कांपते हुए सौदागर ने कहा, ” तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है। मैं तो एक सौदागर हूं, दूसरे शहर में जा रहा हूं। तुम्हारे बेटे को जानता तक नहीं । “
जिन्न ने उस पर भरोसा नहीं किया और बोला, “क्या ये खजूर की गुठलियां तुमने नहीं गिराईं ? ‘
“हां, मैंने ही गिराई हैं। ” सौदागर ने जवाब दिया

तब मेरा बेटा पेड़ के पास से जा रहा था। एक गुठली उसकी आँख में लगी और वह मर गया ।” जिन्न ने गरजते हुए कहा ।
सौदागर अपनी निर्दोषता की दुहाई देते हुए बोला, “ क्षमा करें, मैंने जान-बूझकर तुम्हारे बेटे को नहीं मारा । “
जिन्न जिद पर अड़ा रहा। उसने कहा, “तुम्हें मरना ही होगा । मरने के लिए तैयार हो जाओ । “
सौदागर ने कहा, “ अच्छा ! यदि मेरा सिर काटना ही चाहते हो तो पहले मुझे मेरे परिवार से मिल जाने दो। उनके भविष्य के लिए कुछ प्रबंध करके मैं तुम्हारे पास लौट आऊंगा । ” जिन्न ने दया दिखाते हुए उसे जाने दिया ।

मायूस व उदास सौदागर अपने घर पहुंचा। उसने अपने बीवी-बच्चों को जिन्न की सारी कहानी कह सुनाई। वे सब भी सुनकर रोने लगे। वे उसकी कोई मदद नहीं कर सकते थे।
सौदागर ने सारे कर्जे चुका दिए और परिवार के भविष्य के लिए पैसा भी सुरक्षित कर लिया। अब उसे जिन्न के पास वादा निभाने जाना था। उस बात को एक साल होने को था। उसने भारी मन से परिवार से विदा ली और जिन्न के पास चल दिया। जब वह यथास्थान पहुंचकर जिन्न के इंतजार में था तो उसने एक बूढ़े को लाल हिरण के साथ वहां से जाते देखा ।

बूढ़े ने सौदागर की ओर देखकर पूछा, “यहां क्या कर रहे हो ? यहां तो कई दुष्ट जिन्न घूमते रहते हैं । “
जवाब में सौदागर ने अपनी कहानी सुना दी।
बूढ़े ने कहा, “मैं भी देखना चाहता हूं कि तुम जिन्न का सामना कैसे करोगे। मैं भी यहीं रुकता हूं।’
थोड़ी ही देर में एक दूसरा बूढ़ा दो काले कुत्तों के साथ आ गया । उसने भी वही सवाल दोहराया और फिर वह भी वहीं बैठ गया ।
एक बूढ़े ने कहा, “ धुएं का बादल आ गया। “

सौदागर ने कहा, “नहीं, वह तो जिन्न आ रहा है। ‘
वहां आते ही जिन्न गरजा, “मरने को तैयार हो जा?”
यह सुनकर दोनों बूढ़े जिन्न के पैरों पर गिरकर बोले, ” हे जिन्न राजकुमार ! हम विनती करते हैं ! हमारी कहानियां सुन लो । अगर ये अच्छी लगे तो सौदागर को छोड़ देना ।

दोनों बूढ़ों ने जिन्न को दो विचित्र कहानियां सुनाईं, जिन्हें सुनकर जिन्न ने खुश होकर सौदागर को माफ कर दिया।
सौदागर ने उन्हें धन्यवाद दिया और फिर खुशी-खुशी अपने परिवार के पास लौट गया।
