Story of three princes and fairies
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बहुत समय पहले की बात है, एक सुलतान था। उसका नाम था अबू- अल – खैर ! उसके तीन बेटे थे। उनके नाम थे अली, अहमद और हुसैन। सुलतान की एक प्यारी भांजी भी थी

नूर – ओ – निहार । सुलतान चाहता था कि अपने किसी बेटे से भांजी का विवाह कर दे।

वह अपने सभी बेटों को बहुत चाहता था, इसलिए उसे लगता था कि उससे नाइंसाफी न हो जाए। एक दिन उसने सभी बेटों को परखने का फैसला लिया।

उसने बेटों को बुलाकर कहा, “प्यारे पुत्रो! दूर के इलाकों में जाओ और मेरे लिए उपहार लाओ। सबसे अच्छा उपहार लाने वाले से ही मैं अपनी भांजी का विवाह करूंगा । “

सभी राजकुमार नूर – ओ – निहार की खूबसूरती पसंद करते थे और उससे विवाह करना चाहते थे। वे सब महल से निकल पड़े ताकि सुलतान के लिए सबसे अच्छा तोहफा ला सकें।

सबसे बड़ा राजकुमार हुसैन बिसनगर शहर में गया। वहाँ चारों ओर काफी चहल-पहल थी । उसने एक कालीन वाले को कालीन बेचते देखा तो पूछा, “इस खूबसूरत कालीन की क्या कीमत है? “

“हुजूर! केवल पचास सोने की मोहरें । ” कालीन वाले ने बताया।

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हुसैन सुनकर दंग रह गया, “क्या ! पचास सोने की मोहरें ?” “ हां जनाब ! यह कोई सादा कालीन नहीं है। यह जादुई कालीन उड़ता है। इस पर बैठकर दुनिया के किसी भी कोने में जा सकते हैं।

हुसैन को तो यकीन ही नहीं हुआ। वह उसे परखने के लिए उस पर जा बैठा। कालीन हवा में उड़ने लगा। वह झटपट नीचे उतरा और पचास सोने की मोहरें देकर कालीन खरीद लिया।

राजकुमार अली एक ऐसे व्यापारी के पास पहुंचा, जो अजीब चीजें बेचता था। उसने व्यापारी से कहा कि कोई अनूठी चीज दिखाइए ।

व्यापारी ने उसे कांच की लंबी नली दिखाई। वह देखने में खूबसूरत, रंग-बिरंगी और काफी चमक रही थी। राजकुमार ने पूछा, “क्या, दाम है?”

“जी, पचास सोने की मोहरें ! “

क्या, इतनी महंगी ?”

यह कोई आम चीज़ नहीं है। इसमें आप मनचाही चीज़ या व्यक्ति देख सकते हैं

राजकुमार ने कांच की नली में नूर – ओ – निहार को देखने की इच्छा जताई, तभी उसे वह सुंदर नवयुवती दिखाई दी। वह फव्वारे के पास बैठी गा रही थी। राजकुमार ने नली खरीद ली।

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तीसरा राजकुमार समरकंद जा पहुंचा। वह अच्छे उपहार की तलाश करते-करते थक गया था। अचानक उसने एक तेज आवाज सुनी, ” खजूर ले लो। पचास सोने की मोहरों का एक खजूर ! “

राजकुमार ने सोचा, ‘अरे! यह तो भोले-भाले लोगों को ठग रहा है । ‘

‘अरे भई ! इतने महंगे खजूर?” उसने पूछा।

सौदागर बोला, “ये तो करिश्माई खजूर हैं। इसे खाने वाले के सभी रोग मिट जाते हैं। ‘

अहमद ने एक खजूर खाया और उसकी बाजू का घाव तुरंत ठीक हो गया। उसे ऐसा उपहार पाकर खुशी हुई। उसने झट से खजूर खरीद लिया।

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तीनों राजकुमार महल पहुंचे। सुलतान को कीमती उपहार पसंद भी आए, किंतु उसके लिए तय करना मुश्किल था कि सबसे अच्छा कौन – सा था।

उसने कहा, “तुम सबके उपहार अच्छे हैं, किंतु मैं सबसे अच्छे का चुनाव नहीं कर पा रहा हूं। तुम एक – एक और परीक्षा दो । एक तीर छोड़ो। जिसका तीर सबसे दूर जाएगा, वही विजेता होगा । “

राजकुमार अहमद का तीर इतनी दूर गया कि मिला ही नहीं । अली का तीर भी दूर गया, पर मिल गया। हुसैन ऐसा नहीं कर पाया। अली को विजेता मानकर नूर से उसका विवाह कर दिया गया। हुसैन इतना मायूस हुआ कि महल छोड़कर चला गया और फकीर बन गया।

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इस दौरान अहमद भी महल से निकल गया। उसे लगा कि सुलतान ने उसे छला था। वह जंगलों, पहाड़ों में अपना तीर खोजने लगा। अंत में उसे तीर मिल गया । वह एक गुफा में फंसा था, ज्यों ही उसने तीर खींचा तो गुफा का दरवाजा खुल गया। वहां एक खूबसूरत युवती बैठी थी। वह बोली, “ जनाब ! स्वागत है! ‘

उसने हैरानी से पूछा, “तुम मुझे जानती हो, हसीना ? “

हसीना ने कहा, “मैं आपके ही इंतजार में थी । मैं परी हूं। मेरा नाम परीबानो है। आप ही वे किस्मत वाले हैं, जिन्हें दुनिया की सबसे खूबसूरत बीवी मिली है। हम एक-दूजे के लिए बने हैं। ‘

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अहमद परी की सुंदरता देखकर दंग रह गया। उसने परी से विवाह कर लिया व परीलोक में ही रहने लगा।

एक दिन उसने अपने पिता से मिलना चाहा। परीबानो ने उसे पंख भी दे दिए। वे दोनों उड़कर सुलतान से मिलने गए।

सुलतान ने कहा, “ पुत्र ! यह परीबानो है ना, जिसकी खूबसूरती के चर्चे सारी दुनिया में है । “

अहमद ने कहा, “हां, यह वही परीबानो है। अल्लाह बड़ा मेहरबान है । “

अहमद ने पिता को गले लगा लिया।

पिता के साथ कुछ वक्त बिताने के बाद वे परीलोक लौट गए, फिर वे वहां खुशी-खुशी रहने लगे ।

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