एक समय की बात है, एक प्रसिद्ध शायर था। उसका नाम फ़िरोज़ था। वह युवा, सुंदर तथा बुद्धिमान था। वह बसरा शहर में अपनी शायरी के लिए जाना जाता था और अक्सर एकांत स्थानों व जंगलों में जाकर शायरी लिखता । कुदरती नजारों के बीच बैठकर उसे नए-नए विचार आते थे।
एक दिन वह घने जंगल में घूमते-घूमते अचानक एक दुष्ट शैतान के इलाके में जा निकला और एक घने बरगद के नीचे बैठकर बोला, “अब मैं कुछ लिख सकता हूं।’
शैतान यह सह नहीं सका। वह गुस्से से आगबबूला होकर फ़िरोज़ के सामने आकर गरजा, “मेरे इलाके में आने की हिम्मत कैसे की ?” फ़िरोज़ डरकर उठ गया। उसने माफी भी मांगी, पर शैतान उसे माफ नहीं करने वाला था। वह गुस्से से बोला, “तुम्हें अपने किए की सजा भुगतनी होगी । “
फ़िरोज़ को माफी नहीं मिली तो उसने जान बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ने का फैसला किया।
” हा हा हा! लगता है कि पेड़ों पर चढ़ने का बड़ा शौक है तो ये लो, तुम्हारी ये इच्छा भी पूरी कर देता हूं।” उसने उंगलियां चटकाकर कोई मंत्र पढ़ा और देखते-ही-देखते फ़िरोज़ एक बंदर बन गया ।

बेचारा फ़िरोज़ कर भी क्या सकता था। बंदर बनकर वह पेड़ों पर कूदता – फांदता रहता। इसी तरह कई महीने बीत गए। एक दिन उसने एक कारवां आते देखा। ऊंट व सौदागर बगदाद जा रहे थे।
बंदर बना फ़िरोज़ उनके सामने करतब दिखाकर उनका दिल बहलाने लगा। वह ज़मीन पर कलाबाजियां दिखाता, जिससे सभी खूब हंसते । वे उसे अपने साथ बगदाद ले गए।
बगदाद पहुंचते ही उसने एक मुनादी सुनी, “सुलतान के शाही दरबार की ओर से मुनादी है। आप सबको न्यौता है कि सुलतान के नाम खत लिखें। सबसे बेहतर लेखक को सुलतान का सलाहकार बनाया जाएगा।

कारवां के एक सदस्य ने तय किया कि वह सुलतान के दरबार में खत लिखने जाएगा। उसका नाम था ‘सादिक’ | उसने फ़िरोज़ बंदर को भी साथ ले लिया और सोचा कि सुलतान को बंदर देखकर अच्छा लगेगा। सादिक ने सुलतान को दरबार में अपना खत दिखाया तो वे बोले, “यह तो मुझे पसंद आया, पर माफ करना मैं तुम्हें अपना सलाहकार नहीं बना सकता।” उन्होंने सादिक को पत्र लौटा दिया।


फ़िरोज़ बंदर को अच्छा मौका मिला। उसने झट से सादिक के हाथ से कागज़ – कलम छीन लिया और लिखने लगा। पूरा दरबार एक बंदर को लिखते देख हैरान था ।
सुलतान पत्र पढ़कर प्रभावित हुए। उन्होंने तत्काल अपनी बेटी राजकुमारी जुबैदा को बुलवाया, वह एक जादूगरनी थी।
सुलतान ने राजकुमारी से कहा, ” हे प्यारी राजकुमारी ! जादू से पता लगाकर बता कि ये बंदर कौन है?’
राजकुमारी जुबैदा ने हवा में हाथ लहराकर कुछ जादुई मंत्र बोले । उसने पिता से कहा, “यह बंदर एक बुद्धिमान लेखक है। एक बेरहम शैतान ने इसे इंसान से बंदर बना दिया है । “


सुलतान ने बेटी को हुक्म दिया कि वह शैतान का जादू तोड़ दे।
राजकुमारी ने पिता की आज्ञा का पालन किया। उसने एक मंत्र पढ़ा और देखते-ही-देखते बंदर एक इंसान बन गया ।
फ़िरोज़ ने सुलतान व उसकी बेटी को लाख-लाख धन्यवाद दिया।
सुलतान ने कहा, ” तुम तो काबिल आदमी हो, तुम्हें इनाम मिलना चाहिए। “
शायर ने कई सालों तक बगदाद के सुलतान को अपनी सेवाएं दीं, क्योंकि उन्होंने उसे अपना शाही सलाहकार बना लिया था।

