बहुत समय पहले की बात है। अरब देश के अगराबाह में एक निर्धन दर्जी रहता था। उसका एक पुत्र था अलादीन । अलादीन बड़ा लापरवाह लड़का था। वह सारा दिन खेल में समय बरबाद किया करता था। एक दिन अलादीन घर के पास खेल रहा था। अचानक एक बूढ़े आदमी ने आकर पूछा, क्या तुम अलादीन हो? तुम तो अपने पिता जैसे दिखते हो?” अलादीन यह सुनकर हैरान हो गया । बूढ़े आदमी ने कहा, “मैं तुम्हारा चाचा हूं। कई सालों से किसी दूसरे शहर में रहता था।” उसने अलादीन को खिलौने और मिठाइयां भी दीं।
” कितना भला आदमी है। यह सचमुच मेरा चाचा ही होगा । ” अलादीन ने स्वयं से कहा, पर सच्चाई तो कुछ और ही थी ।
बूढ़ा आदमी उसका चाचा नहीं था। वह एक दुष्ट जादूगर था। वह भोले अलादीन से अपना काम निकलवाना चाहता था ।
अगले दिन, बूढ़ा जादूगर अलादीन को एक खूबसूरत बाग में ले गया। उन्होंने लंबा सफर तय किया । अंत में वे दो पहाड़ों के पास पहुंचे। उन पहाड़ों को एक पतली – सी घाटी ने बांटा हुआ था। जादूगर ने कुछ विचित्र मंत्र पढ़े। अचानक उनके नीचे की ज़मीन खुलने लगी। एक पत्थर का चोर दरवाजा सामने आया। अलादीन उस अलग-सी दिखने वाली जगह को देखकर डर गया। जादूगर जानता था कि अलादीन को कैसे संभालना है। उसने चोर दरवाजा ऊपर किया व अलादीन से कहा, “बेटा! डरो नहीं। बस, मेरी बात मानो । ” जादूगर ने कहा । अलादीन ने सवालिया नजरों से जादूगर की ओर देखा ।


बेटा ! मुझे पता है कि तुम कितने गरीब हो। तुम्हारे पिता परिवार का ध्यान भी नहीं रख पाते । मैं यहां तुम्हारे दुख-दर्द दूर करने आया हूं। यहां तुम्हारे लिए एक बड़ा खजाना गड़ा है । तुम्हारा परिवार पैसे वाला हो जाएगा।” जादूगर ने अलादीन को फुसलाना चाहा।
अलादीन ने चुपचाप ‘हां’ में सिर हिलाया ।
उसने अलादीन से कहा, “ नीचे जाओगे तो एक खुला दरवाजा मिलेगा। वह तुम्हें दो बड़े कमरों में ले जाएगा। उन्हें पार कर लेना। किसी सामान को हाथ मत लगाना। थोड़ा आगे जाने पर एक चिराग जलता दिखेगा । “
चाचा! उस चिराग का क्या करना है?” अलादीन ने पूछा। अलादीन को समझ नहीं आ रहा था कि चाचा उससे चाहता क्या है।
बस चिराग को फूंक मारकर बुझा देना। उसका तेल निकालकर उसे मेरे पास ले आना। ” दुष्ट जादूगर ने कहा।
अलादीन ने वही किया, जो जादूगर ने कहा था। वह चिराग तक पहुंच गया। वापस लौटते समय वह पेड़ों पर लटकते फलों और वहां बिखरे पड़े
हीरे-जवाहरातों को देखकर हैरान हो गया। उसने काफी कुछ जेबों में भर लिया, फिर अलादीन चिराग के साथ लौटा। वहां पहुंचकर वह चिल्लाया, चाचा! मुझे बाहर निकालो। ” जादूगर बोला, बेटा ! पहले चिराग दो ।

अलादीन डर गया। वह फूट-फूटकर रोने लगा, “नहीं, मैं चिराग नहीं दूंगा । पहले मुझे बाहर निकालो। मुझे यह जगह अच्छी नहीं लग रही है। ‘
अलादीन की बात सुनकर जादूगर को इतना गुस्सा आया कि वह अलादीन को वहीं बंद करके लौट गया। बेचारा अलादीन गुफा में ही बंद हो गया। अलादीन वहीं बैठकर रोने लगा। गलती से उसने अपने हाथ से चिराग मसल दिया। अचानक चिराग का विशाल जिन्न प्रकट हो गया।
अलादीन डर गया। उसने डरकर पूछा, “तुम कौन हो ? ‘
जिन्न ने भारी स्वर में कहा, “सलाम, आका। मैं इस चिराग का जिन्न हूं। मैं आपका गुलाम हूं और आप मेरे मालिक । बताएं कि मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं?”
अलादीन जोर-जोर से रोने लगा। उसने कहा, “मुझे घर वापस जाना है।”

” जैसी आपकी मर्जी, मालिक । ” जिन्न ने कहा ।
अलादीन कुछ ही पलों में अपने घर में था । उसने पिता को सारी कहानी सुना दी। पिता बहुत उत्सुक थे। उन्होंने चिराग को मला तो जिन्न सामने आ गया। पिता ने उससे धन मांगा और वे देखते-ही-देखते अमीर हो गये।
एक दिन अलादीन ने खूबसूरत शहजादी बदर-अल-बदूर को देखा। वह उसे चाहने लगा। उसने मां को सुलतान के पास रिश्ते की बात करने के लिए भेजा। सुलतान को भी अलादीन की अमीरी का पता था। उसने प्रस्ताव मान लिया। अलादीन व शहजादी की शादी हो गई। जिन्न ने उसके हुक्म पर एक आलीशान महल बनवा दिया।

दुष्ट जादूगर को भी अलादीन के महल का पता चला। वह समझ गया कि यह सब चिराग के जिन्न का ही कमाल था । उसने वह चिराग पाने के लिए एक योजना बनाई । एक दिन जब अलादीन महल में नहीं था तो जादूगर चिराग बेचने वाले के भेष में महल पहुंच गया। वह चिल्लाया, “पुराने चिराग के बदले नए चिराग ले लो। “
शहजादी ने झट से उस मैले, पुराने चिराग के बदले नया चिराग ले लिया। उसे नहीं पाता था कि वह जादुई चिराग है।

जादुई चिराग पाकर उसके जिन्न के बल पर जादूगर ने शहजादी को अफ्रीका पहुंचा दिया। अलादीन को पता चला तो उसने भी अफ्रीका जाने का फैसला किया। उसे काफी खोजबीन के बाद शहजादी मिली। वह शहजादी को देखकर प्रसन्न हुआ। उसने शहजादी को नींद की दवा देकर कहा कि वह उसे जादूगर की शराब में मिला दे। जादूगर को खुशी थी कि इतनी सुंदर शहजादी उसे शराब पिला रही थी। शराब पीते ही नींद की दवा ने असर दिखलाया और वह बेहोश हो गया।
अलादीन ने चिराग मला व जिन्न को बुलाया। अलादीन के हुक्म पर जिन्न उन्हें वापस महल में ले गया, फिर वे खुशी-खुशी रहने लगे।

