अनोखेलाल का बटुआ

Hindi Story: अनोखेलाल कभी कोई काम नहीं करता था, पर उसका बटुआ तंबाकू की सप्लाई का काम करता था। बटुए की सी.आर. में लिखते, प्लस। रिटायर होने के बाद उसने कहा था, ‘मेरे बिना काम नहीं चल पाएगा।’  वह कहना चाह रहा होगा, ‘मेरे बटुए की तंबाकू के बिना ऑफिस के स्टॉफ को कैंसर हो नहीं पाएगा।’ साहब ने उससे पूछा था, ‘शिकायत पर कार्रवाई हुई?’

तिकड़मीलाल जी से पहले शीघ्र फिर अतिशीघ्र फिर यथाशीघ्र फिर तत्काल फिर अविलंब और फिर लौटती डाक से जांच प्रतिवेदन चाहा गया। डाकें तो कई लौटीं पर जांच प्रतिवेदन प्राप्त नहीं हुआ। उसने कहा, ‘तिकड़मी को यथाशीघ्र जांच प्रतिवेदन भेजने के निर्देश दे रहा हूं। अतिशीघ्र मुझे तंबाकू खिलाओ। तत्काल कैंसर हो या नहीं। शीघ्र, यथाशीघ्र या अतिशीघ्र तो कैंसर हो जाएगा। तंबाकू खाने के बद भी यदि जीवित रहा तो प्रतिवेदन प्रस्तुत कर देना। कैंसर की पीड़ा के बावजूद लिखने की क्षमता रही तो अपना अभिमत संचालक महोदय को प्रस्तुत कर दूंगा। बटुआ आधा खाली नजर आ रहा है। शीघ्र दुकान पर जाओ। यथाशीघ्र तंबाकू भरवा कर तत्त्काल आओ। वह अविलंब दुकान पर चला गया। कार्यालय। कार्यालय प्रमुख द्वारा उसे स्मृति चिह्नï भेंटÓ किया गया। रिटर्न गिफ्ट के रूप में उसने तंबाकू से भरा हुआ बटुआ कार्यालय प्रमुख को सौंप दिया। मुझे चिंता है कि निरंतर सेवन करने से स्टाफ कैंसर से पीड़ित हो कर दूसरे लोक को नहीं पहुंच जाए। क्या स्टाफ आ सकता है, नया स्टाफ तंबाकू खाकर कैंसर को इनवाइट नहीं करेगा। इसकी गारंटी कौन लेगा?