एकांतवास – गृहलक्ष्मी की कहानी | Hindi Short Story | Grehlakshmi

अमन को यह एकांतवास अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। उसे यह समझते देर नहीं लगी कि यह उसके किए का ही फल है। अब वह जान चुका था कि अकेले रहने का दर्द क्या होता है।

अमन ने पूरे अस्पताल को एक बार फिर गौर से देखा। जगह-जगह फूलों की महक, लोगों के चेहरे की मुस्कराहट, गुलाबी चमकते कपड़ों में खड़ी नर्संे और एकदम सफेद रंग के कोट पहने डॉक्टर। उसे कोरोना योद्धा बोलने वाले सभी लोगों से घूमती हुई उसकी दृष्टि एक डॉक्टर पर जाकर रुक गई। महिला डॉक्टर ने मुस्कराते हुए खूबसूरत फूलों का एक गुलदस्ता उसकी ओर बढ़ाया और बोली, ‘अमन जी, आपको हम सब की ओर से असीम शुभकामनाएं। अब आप कोरोना से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं और अपने घर जा सकते हैं।’

अमन ने गुलदस्ता लेते हुए उन सबको शुक्रिया कहा और बाहर की तरफ जाने लगा। तभी एक नर्स ने उसे पीछे से पुकारा, ‘आप शायद कुछ भूल गए हैं।’ उसने पीछे मुड़ कर देखा, एक थैली में एक तस्वीर थी, जो आज से 20 दिन पहले यहां आते समय वह अपने साथ लाया था, उसके परिवार की तस्वीर। उसने थैली अपने हाथ में ले ली और अस्पताल से बाहर निकल आया।

ऑटो में बैठते हुए उसका मन जैसे कहीं और ही दौड़ रहा था। हवा के साथ उड़ते उसके बाल उसे भी अपने साथ उसके बीते समय में लिए जा रहे थे। उसे याद आने लगा उसका बचपन, उसका घर जहां 2 कमरे के घर में उसके पिता जब रेलवे की नौकरी से लौटते तो उन तीनों भाई-बहनों को अपनी साईकिल पर बैठा लेते और मां उन्हें कितना प्यार करती।

अचानक ऑटो वाले ने जोर से ब्रेक लगाया और वह जैसे वर्तमान में लौट आया। आज वह बड़ी सी कंपनी में निदेशक के पद पर है, उसकी पत्नी एक बुटिक की स्वामिनी है और उनके दो प्यारे-प्यारे बच्चे हैं पर पिछले 20 दिन में उसकी दुनिया में जैसे तूफान-सा आ गया है।

उसे याद आया जब 20 दिन पहले वह ऑफिस से लौटा था। ‘मीनल जल्दी से एक कड़क काफी बनवाओ, मेरे सर में बहुत दर्द है।’ उसने अपनी पत्नी को अपनी भारी सी आवाज़ में आदेश दिया। काफी पीने के बाद उसके दर्द में कुछ आराम नहीं आया तो उसने मीनल को फिर आवाज़ लगाई, ‘मीनल रामू से कहो मेरे सर की मालिश कर दे।’ मीनल शायद अपने काम में व्यस्त थी तो उसने अन्दर से ही पूछा, ‘क्या बात है?’ ‘मेरा सर बहुत भारी हो रहा है’ उसने कहा

रामू के मालिश करने के बाद भी जब कुछ आराम नहीं आया तो उसने अपने डॉक्टर को फोन कर ही दिया। ‘आप अपनी कोविड की जांच क्यों नहीं करवा लेते?’ डॉक्टर के समझाने पर आखिर उसने जांच करवा ही ली।

पर अगले दिन जैसे सब बदल गया। उसको कोरोना होने का पता चलते ही उसकी पत्नी और बच्चे ऊपर की मंजिल में बंद हो गए, नौकर आने बंद हो गए और पड़ोसी, रिश्तेदारों ने तो तरह-तरह की बातें बनानी आरम्भ कर दीं। क्या वो एक अछूत है? ठीक है उसे एक बीमारी हो गई है तो वो किसी से नहीं मिलेगा, किसी के पास नहीं जायेगा पर उसे इस हिकारत से देखना? उसका दिल कहीं टूटता जा रहा था। पत्नी ने उसे फोन करके कहा, ‘आप जब तक सही नहीं होते अस्पताल में रहिए, बच्चे छोटे हैं हम सब को खतरा है।’

दूसरे दिन ही उसे अस्पताल भेज दिया गया पर उसका एकांतवास तो ऐसा है, जो खत्म ही नहीं हो रहा। एक कमरे में बिलकुल अकेले हालांकि बाकि सुविधाएं थीं पर पूरी दुनिया से अलग-थलग। अचानक ऑटो वाले की आवाज ने उसे धरातल पर ला पटका। साहब 60 रुपये हुए। हां, उसने जेब से 100 का नोट निकाल कर उसकी ओर बढ़ा दिया और अपने घर की ओर निगाह उठाई।

उसकी पत्नी और बच्चे घर के बाहर उसकी प्रतीक्षा में थे। पर अचानक उसके कदम तेज होते गए, उसकी पत्नी और बच्चे उसका स्वागत करने आगे बढ़े पर ये क्या! वो उन सब को अनदेखा करते हुए अपने घर के पीछे बने नौकरों के कमरे की ओर बढ़ने लगा। उसके कदम तेज होते जा रहे थे। हांफते हुए वह कमरे में पड़ी खटिया के पास पहुंचा और उस पर लेटी एक बूढ़ी औरत के पैरों में गिर गया।

आंखों में भरे आंसुओं से उसने रुंधे गले से पुकारा, ‘मां, मां मुझे माफ कर दो, अब मैंने जाना, एकांतवास क्या होता है। अकेले रहने का दंश कैसा होता है? जो पीड़ा, जो एकांतवास मैंने 20 दिन झेला आप तो यह एकांतवास दो साल से झेल रही हैं। मां हमने आपकी फेफड़ों की बीमारी के भय से आपको हम सब से अलग यहां रख दिया ताकि हम सब संक्रमित ना हो जाएं।

मां मैंने आपके साथ जो व्यवहार किया अब वही सब मेरे साथ हुआ तब मुझे यह एहसास हुआ कि अपने परिवार से दूर रहना क्या होता है। समाज की हिकारत भरी नजरों का सामना करना कितना मुश्किल है। मां, आज मैं यह समझ गया हूं कि हमें रोग से लड़ना है रोगी से नहीं। अपनों का साथ ही हमें स्वस्थ रखता है। मां, चलो घर चलो।’

अमन मां का हाथ पकड़ कर घर में प्रवेश करता है और अपनी पत्नी मीनल और बच्चों से कहता है, ‘आज से हम अपनी गलती का प्रायश्चित्त करेंगे, आज से दादी यहीं रहेंगी।’ उसकी मां अपने आंसुओं को पोंछते अमन और बच्चों के गले लग जाती हैं और फिर सोचती हैं कोरोना चाहे जैसा हो पर इस कोरोना ने उनके एकांतवास का अंत कर दिया।

Leave a comment