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एकांतवास—गृहलक्ष्मी की कहानियां

गृहलक्ष्मी की कहानियां-अमन को यह एकांतवास अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। उसे यह समझते देर नहीं लगी कि यह उसके किए का ही फल है। अब वह जान चुका था कि अकेले रहने का दर्द क्या होता है।अमन ने पूरे अस्पताल को एक बार फिर गौर से देखा। जगह-जगह फूलों की महक, लोगों […]

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एकांतवास – गृहलक्ष्मी की कहानी

अमन को यह एकांतवास अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। उसे यह समझते देर नहीं लगी कि यह उसके किए का ही फल है। अब वह जान चुका था कि अकेले रहने का दर्द क्या होता है। अमन ने पूरे अस्पताल को एक बार फिर गौर से देखा। जगह-जगह फूलों की महक, लोगों के […]

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आपकी हिंदी-गृहलक्ष्मी की कविता

मैं भारत माँ की पुत्री हूँ , मैं आपकी अपनी हिंदी हूँहिन्द का सम्मान हूँ मैं , महासागर का मान  हूँ lअशोक महान के देश की हूँ मैं आपकी अपनी हिंदी हूँ lतुलसीदास की दोहावली हूँ मैं ,कबीरदास की साखी हूँ lभूषण की शिवा बावनी हूँ मैं , केशव की चन्द्रिका हूँमैं भारत माँ की […]

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