उन दिनों मैं मायके उन दिनों मैं मायके गई हुई थी। अचानक, एक दिन मेरे पति देव अपने एक जिगरी मित्र के साथ वहां आ धमके। कुछ ही देर में मैं उन दोनों के लिए चाय बनाकर ले आई। इनके मित्र महोदय पहला घूंट लेते ही तपाक से बोल पड़े, ‘अच्छा खासा मजाक कर लिया भाभी आपने! क्या हम लोगों को शुगर का मरीज समझ रखा है आपने? यह सुनकर मैंने सोचा कि शायद मैं चीनी डालना भूल गई हूं। मैं किचन की तरफ भागी और अगले ही पल दो अलग-अलग चम्मच में चीनी भरकर उन दोनों महाशय के कप में डाल दी। पतिदेव के मित्र ने चीनी को चम्मच से हिलाकर ज्योंही चाय चखी, वे कहने लगे, ‘आपने तो डबल धमाल कर दिया भाभी। मैं कुछ समझी नहीं कि आप क्या कह रहे हैं। तभी मेरे पतिदेव बोले, ‘असल में साल्टी चाय काफी टेस्टी बन गई है। उसी की प्रशंसा मेरे मित्र महोदय कर रहे हैं। माजरा क्या है, तब मुझे समझ में आया। दरअसल मैंने चीनी के बदले चम्मच में नमक भरकर ही उन लोगों के कप में डाल दिया था। बात समझते ही मैं शर्म से लाल हो गई।
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