kyun ho rahe hain log aape se bahar
kyun ho rahe hain log aape se bahar

Why People are Losing Control: गुस्सा भावनाओं को प्रकट करने का माध्यम है। गुस्सा आना एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन कई बार ये गुस्सा इतना बढ़ जाता है कि व्यक्ति आवेग में सामने वाले को नुकसान पहुंचा सकता है। गुस्सा अपनी बात मनवाने का नहीं बल्कि दूसरे के प्रति अपनी नाराजगी प्रदर्शित करने का माध्यम है। आप इसे उसी तरह लें।

दिल्ली में 19 वर्षीय निखिल की हत्या उसके साथ पढ़ने वाले कुछ लड़कों ने ही कर दी। निखिल का दोष केवल इतना था कि वह अपनी महिला मित्र को परेशान करने का विरोध कर रहा था। यह कहानी केवल निखिल की ही नहीं हैं। अभी हाल में कई ऐसे मामले आए हैं जिनमें छोटी-छोटी बातों पर लोग अपना आपा खो जाते हैं। यूपी के चंदौली में एक महिला ने केवल इसलिए फांसी लगा ली कि उसके पति ने उसे सबके सामने थप्पड़ मार दिया। ये थप्पड़ केवल इसलिए मारा गया था कि उसने डीजे पर डांस करने से मना कर दिया था। ये केवल दो लोगों की कहानी नहीं है, आपको
अखबार या सोशल मीडिया में कई ऐसी कहानियां पढ़ने को रोज मिलती होंगी। आजकल के लोगों में सहनशीलता की बेहद कमी आ गई है।
अकसर आपने मेट्रो, बस या सड़क पर देखा होगा कि लोग हल्का-सा धक्का लगने पर ही ऐसे लड़ने लगते हैं जैसे कि सामने वाले ने उनके गाल पर थप्पड़ जड़ दिया हो। दुनिया में जितने लोग हैं सबका स्वभाव एक समान नहीं होता है किसी को छोटीछोटी बातों पर गुस्सा आता है और खत्म हो
जाता है वहीं कुछ लोग अपना गुस्सा दबा कर रखते हैं और जब एक दिन उनका गुस्सा उफान पर चढ़ता है तो वह या तो अपने किसी करीबी या अपने साथ कोई बड़ा नुकसान कर लेते हैं।

अगर आप घर से बाहर निकल रहे हैं तो शांत रहें क्योंकि बाहर वाले को आपको व्यवहार के बारे में पता नहीं है। केवल घर के लोग ही आपके गुस्से को बर्दाशत कर सकते हैं क्योंकि वह आप को अच्छी तरह से जानते हैं। छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करके आगे बढ़ने में ही भलाई है। ये काम मुश्किल है लेकिन धीरे-धीरे आप इसे अपनी आदत में शुमार कर लेंगे तो आपको दिक्कत नहीं होगी। मनोचिकित्सक मानते हैं कि शहरी लोगों में अत्यधिक गुस्सा उनके खराब लाइफस्टाइल की वजह से है। बढ़ती जनसंख्या के कारण सड़कों पर भीड़ ज्यादा हो गई है। सड़क पर एक से दो घंटे तक जाम में फंसे रहने के कारण लोग अपने जरूरी काम के लिए लेट हो जाते हैं। जिस वजह से भी उन्हें गुस्सा अधिक आता है।
आजकल की दौड़ती-भागती जिंदगी में लोगों के बीच प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है। आज के युवा कम उम्र में ही सफलता का स्वाद चखना चाहते हैं, वह संघर्ष करने से कतराते हैं और जब उन्हें संघर्ष करना पड़ता है तो यही उनके अंदर गुस्से का रूप धारण कर लेता है। कई मामले में देखा गया है कि
बच्चे अपने माता-पिता के अनुसार नहीं चलना चाहते हैं जिसकी वजह से भी कई बार आपसी तनाव बढ़ जाता है और दोनों ही लोग गुस्से के गिरफ्त में आ जाते हैं।
कुछेक माता-पिता आज भी बच्चों को अपने द्वारा दिखाए गए रास्ते पर ही चलने का आदेश देते हैं लेकिन बच्चे उनके अनुसार नहीं चलना चाहते हैं। कुछेक मामले में अभिभावक बच्चे को नहीं समझ
पाते हैं या बच्चे अभिभावक को नहीं समझ पाते हैं। ऐसे मामले आजकल समाज में
बहुत देखने को मिल रहे हैं।

अपने अनुसार जब चीजें नहीं मिलती है तो लोगों में एक कुंठा घर कर जाती है, जिसकी वजह से गुस्सा अधिक आता है और कई बार गुस्सा इस स्तर का होता है कि हम ना चाहते हुए भी अपने सबसे करीबी को मौत के घाट उतार देते हैं। गुस्सा एक प्रकार से हमारी भावना को व्यक्त करने का माध्यम ही है। कई लोग तेज चिल्ला कर अपना कोई नुकसान करके गुस्से को प्रदर्शित करते हैं। तो कुछ लोग तोड़-फोड़ करके भी अपने गुस्से को शांत कर लेते हैं। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रयोग को भी अत्यधिक गुस्से का कारण माना जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग दूसरों के हंसते चेहरे या घूमने की तस्वीर देखकर लगता है कि केवल मेरी जिंदगी ही नीरस है। वर्चुअल और असल जिंदगी में लोग अंतर न करने के कारण भी गुस्से की गिरफ्त में जाकर अपने स्वास्थ्य का नुकसान कर रहे हैं।
मोबाइल पर हम इतने ज्यादा प्रभावी हो गये हैं कि इसके बिना चंद मिनट भी बिताना मुश्किल हो जाता है। दिल्ली में पढ़ने वाले 20 वर्षीय नमन की कहानी आपके घर के बच्चे की भी हो सकती है।

गेम खेलते समय जब नमन का इंटरनेट नहीं चल रहा था तो उसने गुस्से में बिना सोचे-समझे अपने 20 हजार के फोन को तीसरी माले से नीचे फेंक दिया। इस घटना से परेशान होकर उसके पिता ने उसे जब जोर से एक चांटा मारा तो उसने अपने पिता का गला दबाकर हत्या कर दिया। इस घटना को देखने से आप जान सकते हैं कि मोबाइल कितना बड़ा दुश्मन बन गया है।

डॉ. राजेश सागर (प्रोफेसर ऑफ साइकेट्रिस्ट, एम्स, दिल्ली) समाज में बढ़ते आक्रोश का कारण लोगों में डर का खत्म हो जाना है। आजकल लोग बिना डर के जी रहे हैं। वह गुस्से में आकर अपनी पत्नी या बच्चे तक को मार देते हैं। उन्हें भविष्य के बारे में पता नहीं होता है, इसका क्या परिणाम होगा। आए दिन बढ़ रही घटनाओं को देखते लोगों को लगता है कि किसी को जान से मार देना या उसको हानि पहुंचाना सभी समस्या का समाधान है।
आंतरिक बेचैनी के कारण भी कई लोगों को अत्यधिक गुस्सा आता है। आपके दिमाग में बहुत सारी चीजें चल रही होती हैं, जिसके कारण आप वर्तमान में जो काम कर रहे हैं उसमें आपका मन नहीं लगता है और आप चिड़चिड़े हो जाते हैं।
आपके परिवार में कुछ लोग ऐसे जरूर होंगे जो अपनी ताकत दिखाने के लिए भी गुस्सा करते हैं। ऐसे लोगों को लगता है कि गुस्सा ताकत दिखाने का सटीक माध्यम है। इस समस्या से बचने के लिए राजेश सागर के अनुसार आप ये उपाय कर सकते हैं-

Why People are Losing Control
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1.बच्चों को शुरुआत दौर से बताएं कि गुस्सा अपने भाव को प्रकट करने का माध्यम है।
2. गुस्से को कंट्रोल करें।
3. लंबी सांस लें।
4. गुस्से को हैंडल करना सिखाएं।

5. बच्चों की मदद करें।
6.समाज में गुस्से को बढ़ावा न दें।

घर के बाहर इस तरह की समस्या से निपटने के प्रोफेसर ऑफ साइकेट्रिस्टी दिल्ली, एम्स में कार्यरत डॉ. राजेश सागर का कहना है कि समाज में बढ़ते आक्रोश का कारण लोगों में डर का खत्म हो जाना है। आजकल लोग बिना डर के जी रहे हैं। वह गुस्से में आकर अपनी पत्नी या बच्चे तक को मार देते हैं। उन्हें भविष्य के बारे में पता नहीं होता है इसका क्या परिणाम होगा। आए दिन बढ़ रही घटनाओं को देखते लोगों को लगता है कि किसी को जान से मार देना या उसको हानि पहुंचाना सभी समस्या का समाधान है।
जिस तरह टीवी पर बीड़ी, सिगरेट के दुश्परिणाम दिखाकर लोगों को जागरुक किया जाता है ठीक उसी तरह इस समस्या से निपटने के लिए पोस्ट और टीवी पर विज्ञापन प्रकाशित करना चाहिए।
लोगों के इस मामले के जागरुक करना अति आवश्यक हो गया है। वेब सीरिज या फिल्म पर ऐसे मारधाड़ के सीन देखकर भी लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है।
जिस तरह आप बुखार या अन्या किसी बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं ठीक उसी तरह अपने गुस्स को कंट्रोल करने के लिए मनोवैज्ञानिक से मिलें। समाज में इसके प्रति भी जागरूकता फैलानी चाहिए।

सपना झा गृहलक्ष्मी पत्रिका में बतौर सोशल मीडिया मैनेजर और सीनियर सब एडिटर के रूप में साल 2021 से कार्यरत हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदी पत्रकारिता में ग्रेजुएशन और गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से पत्रकारिता...