शरीर में इन अंगों की साफ-सफाई का भी रखें ध्यान: Wash Body Parts
Wash Body Parts

Wash Body Parts: स्वस्थ रहने के लिए पर्सनल हाइजीन बेहद जरूरी है। अमूमन हम सभी रोजाना नहाना, ब्रश करना और व्यक्तिगत साफ-सफाई का ध्यान भी रखते हैं। फिर भी बिजी लाइफ स्टाइल के कारण कई लोग इन्हें आनन-फानन में निपटाते हैं या फिर जरूरतानुसार अच्छी तरह सफाई नहीं करते। नहाते समय पीठ, नाभि, नाखून के नीचे और उंगलियों के बीच का हिस्सा, कोहनी, एड़ी जैसे शरीर के कई अंगों को नजरअंदाज कर देते हैं। जिसके चलते कई बार उन्हें इन अंगों में बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन होने, त्वचा काली-ड्राई होने जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। जिनसे बचने के लिए जरूरी है कि शरीर के इन अंगों की उपेक्षा न करके नियमित और समुचित ध्यान दिया जाए।

Wash Body Parts:स्कैल्प

त्वचा के बाकी हिस्सों की तरह सिर की त्वचा में भी पसीने की ग्रंथियां होती हैं। अधिकांश लोग अपने बालों को हर रोज शैंपू नहीं करते, जबकि सिर की त्वचा को भी नियमित सफाई की आवश्यकता होती है। बाल धोते समय अगर स्कैल्प की देखभाल ठीक तरह न की जाए तो वहां बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से खुजली, डेंड्रफ होता है, गंदगी की वजह से मृत कोशिकाओं की पपड़ी-सी जमने लगती है।
स्कैल्प को मृत त्वचा से बचाने के लिए भले ही आप शैंपू न कर पाएं, रोजाना गर्म पानी से अच्छी तरह मालिश जरूर करनी चाहिए। मालिश मृत कोशिकाओं को हटाने में कारगर होती है। इससे स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है और रूसी, जलन, खुजली जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। बालों और स्कैल्प में ड्राइनेस हो तो हेयर ऑयल से मालिश करना फायदेमंद होता है। स्कैल्प को हेल्दी बनाए रखने के लिए ड्राई शैंपू, हेयर जैल और अन्य स्टाइलिंग हेयर उत्पादों के उपयोग से बचना चाहिए।

कानों के पीछे

Wash Body Parts Tips
Wash Body Parts-Ear

यह जगह थोड़ी-सी अंदर धंसी होती है। इसमें बहुत सारे ऑयल ग्लैंड होते हैं। ये ग्लैंड सीबम का स्राव करते हैं और बैक्टीरिया को छुपने में मदद करते हैं। हम आमतौर पर इस जगह की नियमित सफाई करना भूल जाते हैं और केवल अपने बाल धोते समय ही साफ़ करते हैं। नियमित रूप से सफाई न करने पर यहां की त्वचा पर फंगल सफेद पपड़ी-सी जमने लगती है जिसमें इचिंग होती है और दुर्गंघ भी आने लगती है।
इंफेक्शन से बचने के लिए कानों को पीछे की तरफ जरूर साफ करना चाहिए। गर्म पानी में भीगे कपड़े से रगड़कर साफ कर सकते हैं। ध्यान रखें कि नमी से बचाने के लिए साफ करने के बाद साफ तौलिये से जरूर सुखा लें।

जीभ

अक्सर लोग ओरल हाइजीन में दांतों और मसूड़ों की सफाई के लिए दिन में दो बार ब्रश करते हैं और माउथवाॅश का इस्तेमाल करते हैं। जबकि ओरल हाइजीन का अहम हिस्सा जीभ की सफाई करना भूल जाते हैं। छोटी-छोटी लाइनें और उभार वाली जीभ की नियमित सफाई न की जाए, तो इसमें बैक्टीरिया आसानी से पनप सकते हैं। इससे न केवल सांसों की बदबू बल्कि दांतों की सड़न भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि रोजाना ब्रश करने के बाद जीभ साफ करनी चाहिए। जिसे टंग स्क्रेपर या टुथब्रश से आसानी से साफ किया जा सकता है ।

गर्दन के पीछे

Behind the neck
Neck Cleaning

ध्यान न रखने पर गर्दन शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में काली दिखती है। इसके साथ ही बाल लंबे होने, पसीने से नमी बनी रहने, पर्यावरण प्रदूषकों और रसायनों के संपर्क में रहने के कारण गर्दन की त्वचा पर सूक्ष्म जीवाणु और बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। जो धीरे-धीरे त्वचा की रंगत बदल देते हैं।
इससे बचने के लिए गर्दन को रोजाना नहाते समय ठीक से साफ करना जरूरी है। इसके लिए गर्दन के आगे और पीछे साबुन लगाएं। अपने हाथों को नीचे से गर्दन के ऊपर और इसके विपरीत गंदगी को हटाने के लिए ले जाएं। मृत त्वचा कोशिकाओं को एक्सफोलिएट करने के लिए लूफा से गर्दन को अच्छी तरह से साफ करें। धोकर तौलिये से सुखा लें।

पीठ

चूंकि पीठ में पसीना आता है। नहाते समय हाथ पीठ पर न जा पाने की वजह से साबुन भी ठीक से नहीं लगा पाते। केवल शॉवर में खड़े होकर सिर्फ अपनी पीठ पर हल्का-सा साबुन लगाना और थोड़े-से पानी से गीला करना काफी नहीं होता। पीठ को ठीक तरह साफ न किया जाए, तो पीठ की त्वचा में बैक्टीरिया संक्रमण होने और खुजली-जलन होने का जोखिम बना रहता है।
जरूरी है कि पीठ साफ करने के लिए सप्ताह में कम से कम तीन बार बैक स्क्रबर, एक्सफोलिएटिंग स्पंज, लूफा या वॉशक्लॉथ का उपयोग करना चाहिए। अगर कोई दिक्क्त हो तो इसके लिए अपने करीबी व्यक्ति की मदद भी ली जा सकती है।

नाभि या बेली बटन

इसकी दरारों में बैक्टीरिया आसानी से छिपकर पनपने लगते है। अगर इसे नियमित रूप से साफ नहीं किया जाता है, तो इससे गंदगी जमने लगती है। डार्क और नमीयुक्त होने के कारण नाभि बैक्टीरिया के प्रजनन के लिए आदर्श होती है। बैक्टीरिया के प्रजनन से दुर्गंध और संक्रमण हो सकता है। इसलिए नियमित रूप से साफ करना जरूरी है। नहाते समय नाभि को भी धो लें और तौलिये से सुखाएं। या फिर नाभि साफ करने के लिए साबुन के पानी में भिगोई रूई या ईयर बड का इस्तेमाल कर सकते हैं।

कोहनी

Elbow
Elbow Cleaning

गहरे रंग की और सूखी पपड़ीदार कोहनी सफाई के प्रति अनदेखी करने का परिणाम है। कोहनी की त्वचा में मृत कोशिकाएं बनने लगती है जिसमें कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। इस समस्या से छुटकारा आपने के लिए आप एक्सफोलिएट कर सकते हैं। इसलिए नहाते समय एक्सफोलिएटिंग क्रीम का इस्तेमाल करें और मृत कोशिकाओं को कम करने के लिए अपनी कोहनी को बाथ पफ या लूफा से रगड़ें। गहरे रंग को हल्का करने के लिए नींबू के रस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। एक्सफोलिएट करने के बाद अपनी कोहनी के आसपास की त्वचा को मुलायम बनाने के लिए मॉइस्चराइजर लगाना न भूलें।

नाखूनों के नीचे की त्वचा

Nails
Nails Cleaning

हाथ धोते समय यदि आप नाखूनों को रगड़कर नीचे की त्वचा की सफाई नहीं करते, तो गंदगी अक्सर नाखूनों के नीचे फंस जाती है। जिससे उन जगहों पर काली रेखाएं बन जाती हैं। हैंड हाइजीन का पूरी तरह ध्यान न रखने पर हानिकारक बैक्टीरिया नाखूनों के नीचे जमा हो सकते हैं, जो दस्त जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं।
नाखून साफ रखने के लिए हाथ धोते समय जरूरी है कि नाखून के निचले हिस्से को भी अच्छी तरह साफ करें। हथेली में साबुन का झाग लेकर नाखूनों को हथेली पर धीरे-धीरे रगड़ें या मुलायम ब्रश से साफ करें। इससे नाखूनों में जमा गंदगी साफ हो जाएगी। साबुन के पानी या सैनिटाइजर में डूबी रुई से भी अपने नाखून साफ कर सकते हैं।

पैर की उंगलियों के बीच की जगह

शरीर का एक और हिस्सा जिसे आमतौर पर उपेक्षित किया जाता है, वह पैर की उंगलियों के बीच का क्षेत्र है। पैरों में जुराब-जूते पहने रहने, गर्मी ज्यादा लगने सेे पसीना आने, पैरों की ठीक से सफाई न करने के कारण पैर की उंगलियों के बीच गंदगी, फंगस और बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। पैरों से दुर्गंध आना, उंगलियों के बीच इचिंग होने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
जरूरी है कि रोजाना नहाते समय अपने पैर की उंगलियों के बीच साबुन लगाकर अच्छी तरह धोकर तौलिये से सुखाएं। नमी से बचने के लिए उंगलियों के बीच टेल्कम पाउडर लगाएं। हर समय जूते पहनने के बजाय सैंडल, फ्लिप-फ्लॉप या चप्पल पहनना, समय-समय पर पेडीक्योर करना बेहतर है।
(डाॅ जे रावत, फिजीशियन, सहगल नियो अस्पताल, दिल्ली)