Symtomps of Stroke
Stroke Symptoms Credit: Istock

Symtomps of Stroke: पिछले कुछ महीनों में स्‍ट्रोक के मामले तेजी से सामने आए हैं, जिसमें 6 से 45 वर्ष तक की उम्र के व्‍यक्ति इसका शिकार हुए हैं। ये एक ऐसी समस्‍या है जिसमें ब्रेन सेल्‍स को ब्‍लड मिलना बंद हो जाता है जिसके कारण बॉडी ऑर्गेन काम करना बंद कर देते हैं और कुछ ही मिनटों में मरीज दम तोड़ देता है। हार्ट अटैक की तरह स्‍ट्रोक भी एक सामान्‍य बीमारी के रूप में अपने पैर पसार रही है। इसका शिकार व्‍यक्ति कहीं भी और कभी भी हो सकता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं स्‍ट्रोक आने के लगभग 15 मिनट पहले शरीर हमें कई संकेत देता है जिसे अधिकांश मामलों में नजरअंदाज कर दिया जाता है। यदि इन संकेतों को सही समय पर पहचान लिया जाए तो मरीज को बचाया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं स्‍ट्रोक के संकेतों के बारे में।

क्‍या है स्‍ट्रोक

Symtomps of Stroke-स्‍ट्रोक के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
what is a stroke

स्‍ट्रोक को सामान्‍य भाषा में लकवा भी कहा जाता है। इसमें व्‍यक्ति के शरीर का कोई भी अंग एकदम से काम करना बंद कर सकता है। साथ ही व्‍यक्ति के बोलने की शक्ति भी कम हो जाती है। स्‍ट्रोक तब होता है जब ब्रेन में ब्‍लड की कमी हो जाती है। इससे ब्रेन को ऑक्‍सीजन नहीं मिलता और वो डेड हो जाता है। ब्‍लोकेज होने की स्थिति में ब्रेन तक ब्‍लड पहुंच नहीं पाता। जिसके कारण ब्रेन की नसें फट जाती हैं।

स्‍ट्रोक का प्रकार

इस्‍केमिक स्‍ट्रोक: ब्‍लड फ्लो में रुकावट आमतौर पर ब्‍लड वेसल्‍स के अंदर थ्रोम्‍बस या एम्‍बोलिज्‍म के कारण होती है।

हेमरेजिक स्‍ट्रोक: ये ब्‍लीडिंग के बाद होने वाला स्‍ट्रोक है जो ब्रेन में होता है।

ट्रांजिएंट इस्‍केमिक अटैक: ये थ्रोम्‍बोसिस, एंबोलिज्‍म या अन्‍य स्थितियों के कारण होता है जो अधिक संकेत नहीं देता।

स्‍ट्रोक के कारण 

– अधिक वजन

– खराब लाइफस्‍टाइल

– डायबिटीज

– स्‍मोकिंग

– हाई ब्‍लड प्रेशर

– कार्डियोवस्‍कुलर डिजीज

– बढ़ती उम्र

– अधिक शराब का सेवन

– हाई कोलेस्‍ट्रॉल

– पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा अधिक होता है स्‍ट्रोक

स्‍ट्रोक के संकेत

स्‍ट्रोक के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
signs of a stroke

शरीर के एक भाग में सुन्‍नपन: ये स्‍ट्रोक का सबसे सामान्‍य संकेत है जिसमें शरीर के एक तरफ का हिस्‍सा अचानक सुन्‍न हो जाता है। साथ ही व्‍यक्ति को थकान महसूस होने लगती है। इस स्थिति में हाथ, पैर और चेहरा सुन्‍न हो जाता है, जिसके कारण मरीज उसे हिला भी नहीं पाता।

बोलने में कठिनाई: स्‍ट्रोक आने से पहले व्‍यक्ति को बोलने में कठिनाई महसूस होने लगती है। वह सही ढंग से वाक्‍य नहीं बना पाता और न ही दूसरों को अपनी बात बता पाता है। ऐसे में मरीज की जुबान लड़खड़ाने लगती है।

ब्‍लर विजन : स्‍ट्रोक से पहले व्‍यक्ति को देखने में परेशानी महसूस हो सकती है। किसी खास हिस्‍से में काला धब्‍बा दिखाई दे सकता है।

चक्‍कर आना: स्‍ट्रोक की वजह से व्‍यक्ति को चक्‍कर आ सकते हैं या कमजोरी महसूस हो सकती है जिसकी वजह से उसे चलने में दिक्‍कत आने लगती है।

स्‍ट्रोक से कैसे करें बचाव

– स्‍ट्रोक आने की स्थिति में सिर को नीचे की ओर झुकाकर बैठ जाएं ताकि ब्रेन तक ब्‍लड को पहुंचने में मदद मिल सके।

– स्‍ट्रोक के संकेत महसूस होने के दौरान किसी भी तरह का खाना, पीना और यहां तक की मेडिसन का सेवन न करें।

– ब्‍लड प्रेशर हमेशा 120/80 mmHg से कम बनाएं रखें।

– डाइट में फल और सब्जियों को शामिल करें।

– प्रतिदिन 30 मिनट एक्‍सरसाइज जरूर करें।

– डायबिटीज और कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को करें कंट्रोल।

– शराब और सिगरेट को पूरी तरह से बंद कर दें।