सिर दर्द हो सकता है, जानलेवा ब्रेन एन्यूरिज्म: Brain Aneurysm Disease
Brain Aneurysm

Brain Aneurysm Disease: कुछ अरसे पहले सोशल मीडिया में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ की अभिनेत्री एमिलिया क्लार्क को ब्रेन एन्यूरिज्म की खबर काफी सुर्खियों में रही। एमिलिया ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि वो ब्रेन की दो सर्जरी के बाद नाॅर्मल लाइफ बिता रही हैं। जबकि जिनपिंग सर्जरी के बिना ही इससे रिकवर हुए। ब्रेन एन्यूरिज्म गंभीर जानलेवा बीमारी है। सौ में से 3-4 लोगों में यह बीमारी मिल जाती है। इससे पीड़ित 40-45 प्रतिशत मरीजों की मृत्यु होने की संभावना रहती है।

वैसे तो हर किसी ने कभी न कभी छोटा-मोटा सिरदर्द महसूस किया होगा। ज्यादा भागदौड़ या तनाव के कारण भी सिरदर्द की स्थिति पैदा हुई होगी। लेकिन अगर व्यक्ति को सिर में इतना तेज दर्द हो कि उसे लगे मानो सिर ही फट जाएगा। साथ ही गर्दन भी अकड़ी हुई महसूस हो तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। क्योंकि व्यक्ति ब्रेन एन्यूरिज्म का शिकार हो सकता है।

Brain Aneurysm Disease: क्या है ब्रेन एन्यूरिज्म

ब्रेन एन्यूरिज्म दिमाग में मौजूद खून की नसों की कमजोरी है। ब्रेन के अंदर मौजूद नसें घुमावदार मोड़ लिए होती हैं। दिल की धड़कनों से आता खून का फ्लो नसों के घुमावदार मोड़ पर दवाब डालता है जिससे नसों की वाॅल कमजोर हो जाती है। कमजोर पड़ी नस फूल जाती है और कई बार बाहर की तरफ छोटे-से गुब्बारे की तरह फूल जाती हैं। यह गुब्बारा धीरे-धीरे बड़ा होता जाता है, लेकिन फटता नहीं है। ऐसे एन्यूरिज्म दिमाग को दबाने लगते हैं। वो जिस हिस्से को दबाते हैं, उसके फंक्शन में दिक्कत आती है और मरीज को तेज सिर दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं।

कई मामलों में एन्यूरिज्म के लक्षणों को सिरदर्द मानकर अनदेखी करने और समुचित उपचार न किए जाने पर देरी हो जाती है। एन्यूरिज्म गुब्बारा फट भी जाता है। जिसकी वजह से ब्रेन में इंटरनल हैमरेजिक ब्लीडिंग होे जाती है। केवल एक-तिहाई मरीज ही सही समय पर अस्पताल पहुंच पाते हैं जिनका उपचार हो पाता है। कुछ मरीजों की तुरंत मौत हो जाती है, जबकि कुछ मरीज सही समय पर अस्पताल न पहुंचने के कारण कोमा में चले जाते हैं।

क्या है कारण

  • ब्लड प्रेशर लंबे समय से कंट्रोल में न होना।
  • अचानक बहुत ज्यादा गुस्सा होने पर ब्र्रेन के अंदर प्रेशर बढ़ना।
  • मादक पदार्थों का सेवन या स्मोकिंग अधिक करना।
  • स्पीलीन या किडनी में पाॅलिसिस्टिक डिजीज होना।
  • 40-60 साल के लोगों (मिडल एज या ओल्ड एज) में खून की नसों का लचीलापन कम होना।
  • मेनोपाॅज के बाद शरीर में एस्ट्रोजन लेवल कम होने से पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा खतरा रहना।
  • सिर में चोट लगने पर खून की नस में सूजन आना।
Brain Aneurysm Disease
Causes of Brain Aneurysm Disease

लक्षण

ब्रेन एन्यूरिज्म गुब्बारा जब तक नहीं फटता, मरीज में कोई लक्षण नजर नही आते। मरीज आम व्यक्ति की तरह जीवन जीता रहता है। दिमाग के हिस्सों में एन्यूरिज्म के दवाब से कभी-कभी उसे सिर में तेज दर्द की समस्या जरूर रहती है। पेन किलर खाने पर कुछ समय के लिए उसे आराम भी मिल जाता है। लेकिन दवाब के बढ़ने से दर्द के साथ आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, एक आंख अपने आप छोटी हो जाना, गर्दन में दर्द होना जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है ।

ब्रेन एन्यूरिज्म फटने से पहले ये समस्याएं ज्यादा बढ़ जाती हैं जैसे- असहनीय तेज सिर दर्द होना, गर्दन में दर्द-अकडाहट होना, उल्टी आना, देखने में मुश्किल होना, डबल विजन होना, धुंधला दिखाई देना, चलने में बैलेंस बिगड़ना, आवाज कम सुनाई देना, एक तरफ के हाथ-पैर में कमजोरी आना, बेहोशी आना।

कैसे होता है डायगनोज

लक्षणों के आधार पर डाॅक्टर मरीज की ब्रेन स्क्रिनिंग करते हैं। सिटी स्कैन, सिटी एंजियोग्राम से एन्यूरिज्म के बैलून के फटने या हैमरेज होने का पता चल जाता है। एमआरआई स्कैन और एमआर एंजियोग्राफी भी की जाती है जिससे पता चलता है कि एन्यूरिज्म ब्रेन के किस हिस्से में है और कितना बड़ा है। इसके अलावा सेरेब्रल एंजियोग्राफी या डिजीटल सब्सट्रेक्शन एंजियोग्राफी भी की जाती है।

क्या है उपचार

ब्रेन एन्यूरिज्म के फटने के बाद इंटरनल ब्लीडिंग से कई तरह की जटिलताएं हो सकती हैं जिनकी वजह से मरीज की मौत भी हो सकती है। जरूरी है कि ब्रेन एन्यूरिज्म के बैलून के फटने से पहले ही समुचित उपचार किया जाए। अगर ब्रेन एन्यूरिज्म गुब्बारा 4-5 मिली मीटर से बड़ा है, तो उसका इलाज तीन तरीकों से किया जाता है-

क्लिपिंग सर्जरी

इसमें माइक्रो सर्जरी करके दिमाग की हड्डी को खोला जाता है। ब्रेन एन्यूरिज्म के बैलून के गर्दन पर एक क्लिप लगाई जाती है। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि क्लिपिंग से खून की नस में किसी तरह की रूकावट न हो। इसके रिजल्ट बहुत अच्छे होते हैं।

इंटरवेंशनल इंट्रावैस्कुलर कॉलिंग

इसमें पैर से खून की नसों के रास्ते ब्रेन एन्यूरिज्म तक कैथेटर डाली जाती है। इसके माध्यम से एन्यूरिज्म को प्लेटिनम के छोटे-छोटे काॅयल से भर कर सील कर दिया जाता है। इससे एन्यूरिज्म में खून अंदर नहीं जा पाता और उसके फटने की संभावना कम हो जाती है।

Ultrasound
Intravascular Ultrasound

वेब डिवाइस

यह ब्रेन एन्यूरिज्म के उपचार की नई तकनीक है। इसमें माइक्रो सर्जरी के माध्यम से वूवन एंडोब्रिज (वेब) डिवाइस को एन्यूरिज्म के अंदर डाला जाता है। यह डिवाइस कई रूपाकारों में आती है जो एन्यूरिज्म को सील कर देती है। इससे नसों में फ्लो होने वाला खून एन्यूरिज्म के अंदर नहीं जा पाता और किसी तरह का खतरा नहीं रहता।

जटिलताएं

हालांकि ब्रेन एन्यूरिज्म के सही समय पर और समुचित उपचार से मरीज नाॅर्मल जिंदगी जी पाते हैं। फिर भी दिमाग की नसों के इलाज में 3-5 प्रतिशत मरीजों को कुछ साइड इफेक्ट का सामना भी करना पड़ सकता है। जैसे-एन्यूरिज्म बैलून फटने पर ब्रेन में चारों तरफ खून फैल जाता है। यह खून ब्रेन में सर्कुलेट होने वाले सीएफएस पानी के बाहर निकालने के रास्तों को ब्लाॅक कर देता है। धीरे-धीरे ब्रेन के अंदर पानी जमा होने लगता है यानी हाइड्रोसफैलस की स्थिति आ जाती है। दिमाग की नस फटने के बाद इलाज होने या इलाज के दौरान गलत नस बंद हो जाए या ब्रेन क्लाॅटिंग हो सकती है। मरीज कोमा में जा सकता है या उसे लकवा हो सकता है। इसके अलावा उसकी आवाज, सोचने-समझने की क्षमता जा सकती है।

ब्रेन एन्यूरिज्म के उपचार के उपरांत कई जटिलताएं भी सामने आती हैं जिनका निदान संभव नहीं हो पाता। मरीज को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है, यहां तक कि उसकी मौत भी हो सकती है। जैसे-फटे बैलून के छेद पर खून जमा हो जाता है। जब मरीज जोर से खांसता है, छींकता है तो जमा खून निकल सकता है और ब्रेन एन्यूरिज्म में से दोबारा ब्लीडिंग हो सकती है। ऐसी स्थिति में लगभग 90 प्रतिशत मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। इसी तरह कुछ मामलों में ब्रेन एन्यूरिज्म बैलून के फटने पर निकले खून में से कुछ कैमिकल्स निकलने शुरू हो जाते हैं। जो आसपास की खून की नसों को संकुचित कर देते हैं। इससे हार्ट से ब्रेन तक जाने वाली ब्लड-सप्लाई में बाधित हो जाती है। यह स्थिति मरीज के लिए जानलेवा हो सकती है।

एन्यूरिज्म से बचाव भी है संभव

सबसे जरूरी है व्यक्ति ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन को कंट्रोल में रखें। एल्कोहल, स्मोकिंग से परहेज करें। सिर दर्द को हल्के में न लें। असहनीय सिर दर्द के साथ एन्यूरिज्म के किसी भी तरह के लक्षण अचानक महसूस होते हैं, तो तुरंत डाॅक्टर को कंसल्ट करें।

(डाॅ दिनेश सत्ती, न्यूरोलाॅजिस्ट, जीटीबी अस्पताल, दिल्ली)