जानिए पीरियड के दौरान क्यों होता है पैरों में दर्द: Leg Pain During Periods
Leg Pain During Periods

Leg Pain During Periods: अमूमन यह माना जाता है कि पीरियड के दौरान महिला के केवल पेट या कमर में ही दर्द होता है। लेकिन हर किसी के साथ ऐसा नहीं होता है। कुछ महिलाओं को पेट और कमर के अलावा पैरों में भी काफी दर्द होता है। कई बार उन्हें दर्द के साथ ऐंठन की शिकायत होती है। ऐसा होना बेहद ही सामान्य है। दरअसल, पीरियड्स के दौरान जब ब्लीडिंग होती है तो ना केवल शरीर में तेजी से हार्मोन बदलते हैं, बल्कि गर्भाशय में भी संकुचन होता है, जिसे मेंस्ट्रुअल क्रैम्प के रूप में जाना जाता है। इसी मेंस्ट्रुअल क्रैम्प के चलते शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऐंठन के साथ-साथ पैरों में दर्द का अनुभव भी हो सकता है।

अमूमन यह देखने में आता है कि पीरियड्स के दौरान पैरों में दर्द पहले और दूसरे दिन काफी अधिक होता है। हालांकि, कुछ महिलाओं को पीरियड्स के पूरे समय पैरों में दर्द हो सकता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही कारणों के बारे में बताएंगे, जिसकी वजह से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पैरों में दर्द होता है-

पीरियड के दौरान पैरों में दर्द क्यों होता है?

Leg Pain During Periods
Reason of Leg Pain During Periods

पीरियड्स आने से पहले या फिर पीरियड्स के दौरान पैरों में दर्द होने के पीछे कई वजहें जिम्मेदार हो सकती हैं। मसलन, इस दौरान पैरों में दर्द की एक मुख्य गर्भाशय का संकुचन हो सकता है, जिसे आमतौर पर मेंस्ट्रुअल क्रैम्प भी कहा जाता है। पीरियड के दौरान अनफर्टिलाइज्ड एग और थिक यूट्रस लाइनिंग शरीर से ब्लड के रूप में डिस्चार्ज होती है। इस दौरान शरीर में ऐंठन होती है और पेट, कमर या फिर पैरों में दर्द का अहसास होता है।

हार्मोनल परिवर्तन

पीरियड्स एक ऐसा समय होता है, जब महिला के शरीर में बहुत तेजी से हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। दरअसल, इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजेन का लेवल एकदम से गिरने लगता है, जिससे हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन हार्मोनल बदलावों के कारण भी महिला को पैरों में दर्द की शिकायत हो सकती है।

डिसमेनोरीया

Periods

डिसमेनोरीया भी मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स है, जिसमें पेट के निचले हिस्से पर बहुत अधिक दर्द या ऐंठन की समस्या होती है। डिसमेनोरीया के कारण ना केवल पेट के निचले हिस्से बल्कि पैरों में भी दर्द की शिकायत हो सकती है। दरअसल, पीरियड्स के दौरान यूट्रस अपनी लाइनिंग को बाहर निकालने में मदद करने के लिए उसे सिकोड़ता है। ऐसे में यूट्रस की दीवारें सिकुड़ जाती हैं और पास की ब्लड वेसल्स पर दबाव पड़ता है, जिससे बहुत अधिक दर्द होता है।

तनाव

यह देखने में आता है कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं अपेक्षाकृत अधिक तनाव को अनुभव करती हैं। जिसके कारण भी उन्हें पैरों में दर्द की समस्या हो सकती है। दरअसल, जब आप तनावग्रस्त होते हैं, तो यह आपके दिमाग के एक हिस्से को प्रभावित करता है जो पैरों के नर्वस सिस्टम से जुड़ा हुआ होता है। पीरियड्स के दौरान होने वाली ऐंठन और तनाव मिलकर पैरों के दर्द की समस्या को गंभीर बना सकते हैं।

पाचन संबंधी समस्याएं

पीरियड में दर्द क्यों होता है, इसकी एक वजह पाचन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। खासतौर से, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज़, एसिडिटी, और गैस्ट्रोइंटेस्टिनल इंफेक्शन आदि हो सकता है। जब आपका पाचन तंत्र सही तरह से काम नहीं करता है तो इससे ना केवल पेट में समस्या होती है, बल्कि इससे पैरों में भी दर्द हो सकता है।

इंटरनल इंफेक्शन

ऐसी कई महिलाएं होती हैं जो पीरियड्स के दौरान अपनी हाइजीन का सही तरह से ध्यान नहीं रखती हैं। जिसके कारण उन्हें इंटरनल इंफेक्शन हो जाता है। जब इंटरनल इंफेक्शन होता है तो इससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। हो सकता है कि इस इंटरनल इंफेक्शन के कारण आपको पैरों में दर्द की समस्या का सामना करना पड़े।

स्पैसिम

Leg Pain
Leg Pain

बहुत सी महिलाओं को स्पैसिम के कारण भी पीरियड्स के दौरान पैरों में दर्द का सामना करना पड़ता है। दरअसल, स्पैसिम एक फिजिकल कंडीशन होती है, जिसमें गर्भाशय के आसपास के मांसपेशियों में दर्द होता है। यह दर्द सिर्फ पैरों तक ही नहीं रहता है, बल्कि इससे पैरों में भी दर्द का अहसास हो सकता है।

बहुत अधिक फिजिकल एक्टिविटी करना

पीरियड्स के दौरान शरीर पहले से ही थकान का अनुभव करता है। ऐसे में अगर बहुत अधिक फिजिकल एक्टिविटी की जाती है तो इससे शरीर में तनाव पैदा होता है। बाद में इसी तनाव के कारण पैरों में दर्द की शिकायत हो सकती है। इसलिए पीरियड्स में हल्का व्यायाम करना अच्छा माना जाता है। आप इस दौरान योग, ध्यान या लाइट कार्डियो कर सकती हैं। लेकिन हैवी वर्कआउट करने से बचें।

फिजिकल रिलेशन बनाना

अमूमन लोग यह सवाल पूछते हैं कि पीरियड में संबंध बनाने से क्या होता है। इससे महिला के बॉडी पेन में इजाफा हो सकता है। अधिकतर लोग सोचते हैं कि पीरियड्स के दौरान संबंध बनाना अधिक सुरक्षित होता है और प्रेग्नेंसी का डर नहीं रहता है। लेकिन पीरियड के समय फिजिकल रिलेशन बनाने से पैरों में दर्द हो सकता है। ऐसा इसलिए हो सकता है, क्योंकि इससे पैरों की मसल्स पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। जिससे दर्द बहुत अधिक बढ़ सकता है। 

पीरियड्स के दौरान पैरों के दर्द से राहत कैसे पाएं?

पीरियड्स के दौरान जब पैरों में बहुत अधिक दर्द होता है तो हम सोचते हैं कि पीरियड में दवा खाना चाहिए कि नहीं। अगर आप दवा का सेवन नहीं करना चाहती हैं तो ऐसे में आप कुछ आसान घरेलू उपायों को अपना सकते हैं। मसलन-

leg pain
leg pain
  • दर्द से राहत पाने के लिए गर्म पट्टी या हॉट वॉटर बैग की मदद ली जा सकती है। इसके लिए आप हॉट वॉटर बैग में आप गर्म पानी डालें और फिर उसे दर्द वाले हिस्से पर रखें। कुछ देर तक जब आप पैरों में दर्द वाले हिस्से पर हॉट वॉटर बैग रखते हैं तो इससे आपको काफी राहत मिलती है।
  • दर्द होने पर मसाज करना भी काफी अच्छा माना जाता है, इससे पैरों को काफी रिलैक्स मिलता है। इसके लिए आप जैतून का तेल, सरसों का तेल या फिर नारियल के तेल को हल्का गर्म करें और फिर तेल से पैरों की मसाज करें। करीबन पांच-दस मिनट तक पैरों की मसाज करने से पैरों की मसल्स काफी रिलैक्स होती है।
  • अगर आपको पैरों में काफी दर्द का अहसास हो रहा है तो ऐसे में दर्द से राहत पाने के लिए अपने पैरों को आराम दें। हो सकता है कि आपको यह उपाय बेमानी लगता हो, लेकिन इससे यकीनन आपको काफी आराम मिले। जल्द राहत पाने के लिए आप अपने घुटनों के नीचे तकिया लगाएं और फिर आराम करें।
  • नींबू पानी ना केवल आपके शरीर को डिटॉक्स करने में मददगार है, बल्कि इससे पीरियड्स के दौरान होने वाले पैरों के दर्द से भी राहत मिलती है। इसके लिए आप एक गिलास गर्म पानी में नींबू का रस और ताजा अदरक का रस मिलाएं। इस पानी को पीने से दर्द काफी हद तक कम होता है और आपको ताजगी का अहसास होता है।
  • पीरियड्स में दर्द होने पर केला खाना भी काफी अच्छा माना जाता है। दरअसल, केले में पोटेशियम काफी अच्छी मात्रा में होता है और इसलिए जब आप इसे खाते हैं तो इससे मसल्स की ऐंठन कम होती है। साथ ही साथ, पैरों में दर्द भी कम होता है। 
  • ऐसा माना जाता है कि अजवाइन का पानी पीने से भी पीरियड्स में होने वाले पैरों के दर्द से राहत मिल सकती है। इसके लिए आपको बस इतना करना है कि आप एक गिलास गर्म पानी में थोड़ी सी अजवाइन डालें और उसे करीबन 20 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें। इसके बाद आप उसे छान लें और उसका सेवन करें। आप चाहें तो पानी को उबालें और फिर उसमें अजवाइन डालकर धीमी आंच पर पांच मिनट के लिए पकाएं। अंत में, पानी को छान लें और हल्का ठंडा करके पीएं।
  • शॉवर लेने से ना केवल बॉडी को रिलैक्स करने में मदद मिलती है, बल्कि दर्द से भी राहत मिलती है। खासतौर से, अगर आप गुनगुने पानी से नहाती हैं तो इससे आपकी मसल्स को काफी आराम मिलता है और पैरों में ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ता है। जिससे दर्द में आराम मिलता है। गर्मी के दिनों में गर्म पानी से नहाना संभव नहीं होता है तो ऐसे में आप नहाने से पहले अपने पैरों को 10 मिनट के लिए गुनगुने पानी के टब में रखें। इससे पैर काफी रिलैक्स फील करते हैं।
  • पीरियड्स में अक्सर तरह-तरह का खाना खाने की क्रेविंग होती है, लेकिन शुगरी और जंक फूड खाने से समस्या और भी बढ़ सकती है। इसलिए, दर्द से राहत पाने के लिए अपने आहार पर खासतौर पर ध्यान दें। इस दौरान प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स युक्त बैलेंस डाइट लें। साथ ही साथ, बॉडी के हाइड्रेशन लेवल भी ध्यान दें।
  • पीरियड्स के दौरान अगर आप पैरों के दर्द से निजात पाना चाहती हैं तो ऐसे में बहुत अधिक देर तक खड़े होने से बचें। विशेष रूप से इस दौरान बहुत लम्बे समय तक हील्स पहनने से भी बचें। इससे आपके पैरों में दर्द की समस्या कई गुना बढ़ सकती है।
  • पैरों के दर्द को कम करने के लिए योग और प्राणायाम आदि की मदद भी ली जा सकती है। भद्रासन, वीरासन और अनुलोम विलोम प्राणायाम आदि करने से यकीनन आपको बेहद फायदा होगा।

FAQ | क्या आप जानते हैं

पीरियड में पैरों में दर्द क्यों होता है?

पीरियड में पैरों में दर्द की मुख्य वजह शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव होते हैं। इसके अलावा, गर्भाशय में संकुचन, अत्यधिक तनाव, बहुत अधिक फिजिकल एक्टिविटी करना, शारीरिक संबंध बनाना या फिर बहुत अधिक देर तक खड़े रहने आदि से भी पैरों में दर्द हो सकता है। 

नॉर्मल पीरियड कितने दिन आते हैं?

जिस तरह हर महिला का शरीर अलग होता है, ठीक उसी तरह उसका पीरियड साइकल भी अलग होता है। आमतौर पर किसी भी महिला को 21 से 35 दिनों बाद पीरियड होते हैं। पीरियड का साइकल 2 दिन से लेकर सात दिन के बीच का होता है। इसे नॉर्मल पीरियड माना जाता है।

क्या सिर्फ 2 दिन का पीरियड होना नॉर्मल है?

अक्सर यह देखने में आता है कि बच्चा होने के बाद महिला का पीरियड टाइम कम हो जाता है। सामान्य तौर पर, पीरियड्स दो दिन से लेकर सात दिन तक होते हैं। हालांकि, अगर आपको सिर्फ दो दिन तक पीरियड्स होते हैं, तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं है। यह पूरी तरह से सामान्य है।

पीरियड कितने साल तक होता है?

किसी भी महिला के जीवन में पीरियड की अवधि अलग-अलग हो सकती है। सामान्य तौर पर, लगभग 12 साल की उम्र में लड़की को पीरियड्स आने शुरू होते हैं। हालांकि, आज के समय में 10-11 साल की लड़कियों को भी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। ठीक इसी तरह, पीरियड्स बंद होने की उम्र 50 साल के आसपास की मानी गई है। इस अवस्था को मेनोपॉज कहा जाता है।

पीरियड खत्म होने के क्या लक्षण होते हैं?

जब किसी महिला का मेनोपॉज पीरियड चल रहा होता है तो उस दौरान पीरियड्स एकदम से बंद नहीं होते हैं। हालांकि, वह अनियमित हो सकते हैं। साथ ही साथ, महिला का एस्ट्रोजन हार्मोन लेवल कम होने लगता है और वजाइना में ड्राईनेस हो सकती है। इतना ही नहीं, मेनोपॉज के दौरान वजन बढ़ने से लेकर हॉट फ़्लैशेज, थकान, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स आदि भी हो सकते हैं। इसके पीछे की मुख्य वजह शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव होते हैं।

मैं मिताली जैन, स्वतंत्र लेखिका हूं और मुझे 16 वर्षों से लेखन में सक्रिय हूं। मुझे डिजिटल मीडिया में 9 साल से अधिक का एक्सपीरियंस है। मैं हेल्थ,फिटनेस, ब्यूटी स्किन केयर, किचन, लाइफस्टाइल आदि विषयों पर लिखती हूं। मेरे लेख कई प्रतिष्ठित...